पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में प्रोजेक्ट एलीफेंट की 21वीं संचालन समिति की बैठक की अध्यक्षता की


वन्यजीव संरक्षण, विशेषकर मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को सक्रिय भागीदार बनाना महत्वपूर्ण है: श्री भूपेंद्र यादव

Posted On: 26 JUN 2025 4:03PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में 26 जून, 2025 को देहरादून के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आईजीएनएफए) में प्रोजेक्ट एलीफेंट की 21 वीं संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में हाथी क्षेत्र वाले राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों, वैज्ञानिकों और प्रक्षेत्र विशेषज्ञों के साथ-साथ प्रमुख संरक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों ने प्रोजेक्ट एलीफेंट की प्रगति की समीक्षा की और भारत में हाथी संरक्षण के लिए भावी परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया। बैठक में मानव-हाथी संघर्ष पर ध्यान दिया गया, जो मानव सुरक्षा और हाथी संरक्षण के लिए निरंतर एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। चर्चाओं में मानव-हाथी संघर्ष के प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी पर ज़ोर दिया गया।

श्री भूपेंद्र यादव ने वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से, उन क्षेत्रों में जो मानव-वन्यजीव संघर्ष से बुरी तरह प्रभावित हैं, को सक्रिय भागीदार बनाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष का प्रभावी प्रबंधन वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। श्री यादव ने अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों और जमीनी स्तर के संरक्षण कार्यकर्ताओं की कार्य स्थितियों में सुधार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया।

उन्होंने जागरूकता उत्पन्न करने के महत्व पर जोर देते हुए, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए भारतीय रेलवे, विद्युत मंत्रालय, एनएचएआई और खदान डेवलपर्स के साथ समन्वित प्रयासों का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र (एसएसीओएन), भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और राज्य वन प्रशिक्षण संस्थानों जैसे संस्थानों को जागरूकता और लोक संपर्क कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। श्री यादव ने रेलवे दुर्घटनाओं के कारण हाथियों की मौतों पर डेटा के प्रणालीगत संग्रह और विश्लेषण की आवश्यकता तथा राज्यों, संस्थानों और विशेषज्ञों के बीच ज्ञान साझा करने के महत्व पर भी जोर दिया ताकि इन क्षेत्रों में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को को बढ़ावा दिया जा सके।

बैठक में प्रमुख पहलों पर अद्यतन जानकारी दी गई, जैसे कि दक्षिणी और पूर्वोत्तर भारत में मानव-हाथी संघर्ष पर क्षेत्रीय कार्य योजना तैयार करना, 3,452.4 किलोमीटर संवेदनशील रेलवे खंडों को कवर करने वाले सर्वेक्षणों को पूरा करना, जिसमें 77 उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान की गई; और बंदी हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग की प्रगति, जिसमें 22 राज्यों में 1,911 आनुवंशिक प्रोफाइल पूरे किए गए हैं। समिति ने उल्लेख किया कि पूर्वोत्तर राज्यों में समन्वित हाथियों की आबादी के आकलन का चरण-I पूरा हो चुका है, जिसमें 16,500 से अधिक गोबर के नमूने एकत्र किए गए हैं। नीलगिरि हाथी रिजर्व के लिए मॉडल हाथी संरक्षण योजना (ईसीपी) पर भी काम चल रहा है, जिसे दिसंबर 2025 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

बैठक के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी किए गए, जिनमें हाथी-ट्रेन टकराव को कम करने के लिए सुझाए गए उपायों पर एक रिपोर्ट; असम, झारखंड और छत्तीसगढ़ में 23 वर्षों के मानव-हाथी संघर्ष पर एक व्यापक अध्ययन; बंदी हाथियों के लिए सुरक्षित रूप से दांत की ट्रिमिंग कार्य प्रणालियों पर एक परामर्शी और प्रोजेक्ट एलीफेंट त्रैमासिक न्यूज लेटर ट्रम्पेट का नवीनतम संस्करण शामिल है।

समिति ने भविष्य को देखते हुए, 12 अगस्त, 2025 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में विश्व हाथी दिवस समारोह की तैयारियों पर चर्चा की, जहां गज गौरव पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे। आगामी प्रमुख कार्यों में नीलगिरि ईसीपी को अंतिम रूप देना, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में तीन वर्षीय हाथी ट्रैकिंग अध्ययन की शुरुआत, कैम्पा समर्थन के साथ हाथी रिजर्व में प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) का संचालन करना और उदलगुरी परिदृश्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए रिपु-चिरांग हाथी रिजर्व के लिए एक समेकित संरक्षण रणनीति का विकास शामिल है। संचालन समिति ने वन्यजीव संरक्षण के लिए समुदाय-आधारित और पारंपरिक ज्ञान आधारित समावेशी दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

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