वित्त मंत्रालय
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने आज नई दिल्ली में सीबीडीटी के प्रधान मुख्य आयुक्तों के साथ सम्मेलन की अध्यक्षता की
करदाता सेवा (शिकायतें, आदेशों का अनुपालन एवं सुधार), राजस्व संग्रह और मांग प्रबंधन, मुकदमेबाजी प्रबंधन और आकलन और अन्य विभागीय मामलों (सतर्कता और प्रणाली परियोजनाएं) सहित सीबीडीटी के समग्र प्रदर्शन पर प्रस्तुतियां दी गईं
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कर रिफंड की समय पर प्रक्रिया और करदाता शिकायतों के सक्रिय समाधान की आवश्यकता दोहराई
श्रीमती सीतारमण ने लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से बेहतर शिकायत निवारण पर जोर दिया
प्रविष्टि तिथि:
23 JUN 2025 8:41PM by PIB Delhi
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में प्रधान मुख्य आयकर आयुक्तों (पीआर.सीसीएसआईटी) के सम्मेलन की अध्यक्षता की।

बैठक में राजस्व विभाग के सचिव श्री अरविंद श्रीवास्तव, सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री रवि अग्रवाल, सीबीडीटी के सदस्य और सीबीडीटी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
वित्त मंत्री को निम्नलिखित प्रमुख निष्पादन संकेतकों के बारे में जानकारी दी गई:
करदाता सेवा (शिकायत निवारण एवं रिफंड):
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- वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल 160,229 शिकायतों (सीपीजीआरएएमएस और ई-निवारण) में से 1,31,844 शिकायतों का समाधान किया गया (17.06.2025 तक), जिससे 82.28% निपटान हुआ।
- वित्त वर्ष 2024-25 की तुलना में 19.06.2025 तक वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जारी रिफंड में 58.04% की वृद्धि देखी गई, जो बेहतर करदाता सेवाओं को दर्शाता है
- वित्त वर्ष 2025-26 में आदेश देने के प्रभाव के कारण 23,376 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया और सुधार पर 10,496 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया।
मुकदमेबाजी प्रबंधन:
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- लंबित 5.77 लाख अपीलों में से 2.25 लाख से अधिक अपीलों को वित्त वर्ष 2025-26 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विवादित मांग का समाधान हो जाएगा।
- वर्ष 2024 में मौद्रिक सीमा बढ़ाए जाने के बाद लगभग 4605 मामले वापस ले लिए गए तथा लगभग 3120 मामलों में अपील दायर नहीं की गई, क्योंकि अपील दायर करने की मौद्रिक सीमा बढ़ा दी गई थी।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, विशेष रूप से फेसलेस असेसमेंट, ई-सत्यापन प्रणाली, कर छूट और स्लैब दरों में बदलाव तथा डिजिटल सेवा वितरण में। उन्होंने करदाताओं को ठोस लाभ पहुंचाने के लिए इन सुधारों को और मजबूत करने का आह्वान किया।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने सभी प्रधान मुख्य आयकर आयुक्तों (पीआरसीसीएसआईटी) को निर्देश दिया कि वे विवादित कर मांगों के निपटान को प्राथमिकता दें और उसमें तेजी लाएं जो वर्तमान में फेसलेस अपीलीय अधिकारियों के समक्ष लंबित हैं। इसका उद्देश्य मुकदमेबाजी के लंबित मामलों को कम करना और समय पर समाधान सुनिश्चित करना है , जिससे करदाताओं का सिस्टम में भरोसा बढ़े।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने निर्देश दिया कि हाल के नीतिगत परिवर्तनों में अधिसूचित संशोधित मौद्रिक सीमा से नीचे आने वाली सभी विभागीय अपीलों की पहचान की जाए तथा उन्हें तीन महीने की अवधि के भीतर वापस ले लिया जाए।
केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई घोषणाओं के अनुसार, विभाग द्वारा कर विवाद अपील दायर करने की मौद्रिक सीमा निम्नानुसार बढ़ाई गई:
· आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के लिए: ₹50 लाख से बढ़ाकर ₹60 लाख किया गया।
· उच्च न्यायालयों के लिए: ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹2 करोड़ किया गया।
· सर्वोच्च न्यायालय के लिए: ₹2 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ किया गया।
सम्मेलन के दौरान श्रीमती सीतारमण ने कर रिफंड की समय पर प्रक्रिया और करदाताओं की शिकायतों के सक्रिय समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया । पीआरसी और आयकर आयुक्तों से इन क्षेत्रों की बारीकी से निगरानी करने और सेवा वितरण और पारदर्शिता में सुधार के लिए करदाता-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने को कहा गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने सीपीजीआरएएमएस और ई-निवारण प्लेटफॉर्म पर शिकायतों के मामलों पर ध्यान दिया। उन्होंने सीबीडीटी को शिकायतों की प्रकृति का विश्लेषण करके समाधान में तेजी लाने और न केवल मौजूदा लंबित मामलों को हल करने के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया, बल्कि उन चुनौतियों का समाधान करने का भी निर्देश दिया, जो शिकायतों का कारण बन रही हैं।
श्रीमती सीतारमण ने सीबीडीटी को निर्देश दिया कि वह विभाग से संबंधित सीपीजीआरएएमएस और ई-निवारण जैसे शिकायत निवारण तंत्रों में लंबित मामलों को काफी हद तक कम करे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तरदायी शासन सुनिश्चित करने के लिए करदाताओं की शिकायतों का शीघ्र और समयबद्ध निपटान आवश्यक है ।
श्रीमती सीतारमण ने करदाताओं की सहभागिता और शिकायत निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में सीपीजीआरएएमएस प्लेटफॉर्म के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि सीपीजीआरएएमएस मामलों से निपटने में क्षेत्रीय प्रदर्शन की बारीकी से निगरानी की जाए और देश भर में एक समान सेवा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए जहां आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय शुरू किए जाएं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रधान मुख्य आयुक्तों (पीआरसीसी) से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि कर अनुपालन प्रक्रियाएँ सरल, अधिक पारदर्शी और करदाता-अनुकूल हों । उन्होंने अनुपालन के लिए एक संरचित, प्रक्रिया-संचालित दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला, जिससे समय के साथ करदाताओं के लिए अधिक आसानी होगी और सभी क्षेत्रों में स्वैच्छिक अनुपालन में सुधार होगा।
वित्त मंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों के तुलनात्मक प्रदर्शन अध्ययन का सुझाव दिया, जिसमें निम्नलिखित संकेतकों पर ध्यान केंद्रित किया गया:
• शिकायतों का निपटारा
• प्रभावी आदेश (ओजीई) जारी किए गए
• सुधार कार्य पूर्ण हो गया
• धारा 119 के तहत क्षमा के मामलों पर कार्रवाई की गई
केंद्रीय वित्त मंत्री ने सलाह दी कि इस विश्लेषण से कार्य निष्पादन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों की पहचान करने तथा परिचालन को सुचारू बनाने के प्रयासों को दिशा देने में मदद मिलेगी।
यह स्वीकार करते हुए कि कुछ क्षेत्र बेहतर अनुपालन और सेवा वितरण प्रदर्शित करते हैं, श्रीमती सीतारमण ने स्थानीय मुद्दों के समाधान के लिए क्षेत्रवार रणनीति तैयार करने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे सिफारिश की कि क्षेत्रों को बेहतर प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना चाहिए, ताकि सभी प्रमुख प्रदर्शन क्षेत्रों में स्थिरता और सुधार सुनिश्चित हो सके।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने नए आयकर विधेयक का मसौदा तैयार करने में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के कार्य की सराहना की, जो कानूनों में सरलीकरण और स्पष्टता के संबंध में माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक मूर्त रूप देता है। उन्होंने विभाग से कहा कि संसद द्वारा विधेयक पारित हो जाने के बाद वह देशव्यापी जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तैयार रहे।

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एमजी/केसी/जीके/ डीके
(रिलीज़ आईडी: 2139091)
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