वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
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कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने पशुधन और मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात पर गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया


डीएएचडी के सचिव ने इस वित्त वर्ष में निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि और प्रसंस्करण संयंत्रों की स्टार रेटिंग का आह्वान किया ताकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके

खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) मुक्त क्षेत्र के रूप में 9 राज्यों की पहचान की गई

भारत का पशुधन निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 12.56 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 5114.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंचा

Posted On: 06 JUN 2025 8:39PM by PIB Delhi

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) तथा भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने आज नई दिल्ली में संयुक्त रूप से "पशुधन एवं उनके मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात - भविष्य की संभावनाएं एवं आगे का रास्ता" विषय पर एक गोलमेज कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला में केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, उद्योग हितधारकों, नीति विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने गुणवत्ता वृद्धि, रोग निवारण, बाजार पहुंच पहल, खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) मुक्त बुनियादी ढांचे, तकनीकी प्रगति, बाजार तक पहुंच की पहल और वैश्विक बाजार के साथ जुड़ाव के माध्यम से भारत के पशुधन निर्यात इकोसिस्टम को मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया।

गोलमेज कार्यशाला की अध्यक्षता पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने की। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में डीएएचडी की अपर सचिव श्रीमती वर्षा जोशी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग की संयुक्त सचिव श्रीमती केसांग यांगजोम शेरपा और एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव शामिल थे।

अपने भाषण में, डीएएचडी की सचिव, श्रीमती अलका उपाध्याय ने कहा कि, "रोग नियंत्रण बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता प्रणालियों में निरंतर निवेश, बेहतर बाजार पहुंच और निर्यात तथा जैव सुरक्षा उपायों के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से, भारत पशुधन निर्यात में, विशेष रूप से मूल्य-वर्धित क्षेत्रों में, एक वैश्विक नेतृत्व के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है और उद्योग को अधिक आकांक्षी होना चाहिए तथा इस वित्त वर्ष में निर्यात में 20 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए।" उन्होंने कहा, "उद्योग को पशुधन के प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और पशुधन से प्राप्त उत्पादों की गुणवत्ता में और सुधार करना चाहिए। इसके लिए संयंत्रों और प्रतिष्ठानों को स्टार रेटिंग देनी चाहिए ताकि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी निर्यात सुनिश्चित किया जा सके।"

डीएएचडी की अपर सचिव श्रीमती वर्षा जोशी ने विशेष संबोधन देते हुए रोग नियंत्रण प्रयासों पर नवीनतम जानकारी साझा की और "गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर संसाधन आपूर्ति, स्वच्छ और स्वास्थ्यकर परिस्थितियों की तत्काल आवश्यकता, नर बछड़े बचाने की परियोजना, बाजार की जानकारी और देश में खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) मुक्त क्षेत्र स्थापित करने की आवश्यकता" पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि "एफएमडी कार्यक्रम की प्रगति और उपलब्धि के आधार पर विभाग 9 राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात को एफएमडी मुक्त क्षेत्र के रूप में नामित करने की दिशा में काम कर रहा है।" उन्होंने "मूल्य श्रृंखला में ट्रेसबिलिटी शुरू करके और विभाग के पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) के तहत उद्योग को समर्थन देकर पशुधन निर्यात की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की आवश्यकता" पर भी प्रकाश डाला।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग की संयुक्त सचिव श्रीमती केसांग यांगजोम शेरपा ने भारत के कृषि-निर्यात क्षेत्र में विविधता लाने में इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया और इस बात पर जोर दिया कि पशु उत्पादों का निर्यात भारत के कृषि निर्यात में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है। उन्होंने भारत के पशुधन उत्पादों के निर्यात के लिए नए बाजार खोलने में अंतर-मंत्रालयी समन्वय की भूमिका और भारत के पशुधन निर्यात को बढ़ाने के लिए भारत के मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने इस बात पर जोर दिया कि “स्वच्छ, पता लगाने योग्य और गुणवत्ता-आश्वासन वाले पशुधन उत्पादों के एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में भारत की भूमिका बढ़ रही है।” उन्होंने बताया, "पिछले वित्त वर्ष में पशु उत्पादों का कुल निर्यात 5114.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो 12.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।"उन्होंने कहा, "नए बाजारों तक पहुंच बनाकर, निर्यात के लिए नए और अभिनव मूल्यवर्धित और प्रसंस्कृत उत्पादों को विकसित करके और उच्चतम गुणवत्ता और मानकों को बनाए रखने के लिए उद्योग को प्रोत्साहित करके पशु उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।"

कार्यशाला में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, विशेषकर पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) और राज्य पशुपालन विभागों, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) सहित केंद्र एवं राज्य सरकार के नीति निर्माताओं के साथ-साथ ऑल इंडिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईएमएलईए) जैसे उद्योग संघों, वैज्ञानिकों, आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के राज्य पशु चिकित्सकों और उद्योग विशेषज्ञों सहित अन्य की सक्रिय भागीदारी देखी गई।

गोलमेज कार्यशाला में 50 अग्रणी पशुधन प्रतिष्ठान और प्रमुख पशुधन निर्यातक जैसे कि एलनसंस, फेयर एक्सपोर्ट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एचएमए ग्रुप्स, अल दुआ, प्योर फूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, मरहबा फ्रोजन फूड, इंडाग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य ने भी भाग लिया। तकनीकी सत्र और विशेषज्ञ जानकारी में पशुधन निर्यात विनियामक सुधारों और निर्यात बाजार की गतिशीलता में भारत के प्रदर्शन को रेखांकित किया गया। इसके बाद उपस्थित अनेक हितधारकों के बीच खुली चर्चा हुई जिसमें उनकी प्रतिक्रिया, चिंताओं और कार्यान्वयन योग्य रणनीतियों पर चर्चा की गई।

कार्यशाला में भारत को पशुधन और उसके मूल्य संवर्धित उत्पादों (वीएपी) के निर्यात के लिए वैश्विक बाजारों में अग्रणी देश बनाने और एक समन्वित भविष्य के लिए पूर्ण रुप से तैयार दृष्टिकोण की आधारशिला रखी गई। “पशुधन एवं उनके मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात – भविष्य की संभावनाएं और आगे का रास्ता” विषय पर आयोजित गोलमेज कार्यशाला एक मजबूत, अनुपालनकारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी पशुधन निर्यात क्षेत्र को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है।

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