उप राष्ट्रपति सचिवालय
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अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) के 65वें और 66वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ (अंश)

Posted On: 28 MAY 2025 9:50PM by PIB Delhi

नौजवान मित्रो, आप सबके बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्‍नता और आनंद का अनुभव हो रहा है।

प्रतिष्ठित शिक्षको, गौरवान्वित अभिभावको और मेरे प्रिय छात्रो, मुझे इस महत्वपूर्ण अवसर पर, अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई के 65वें और 66वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है।

माननीया मंत्री महोदया सुश्री अनुप्रिया पटेल ने आपकी गतिविधियों का ब्यौरा दिया है। मैं आपको बता दूं कि आप बहुत प्रासंगिक हैं। हर बीतते दिन के साथ आपकी भूमिका बढ़ती जाएगी। यह निश्चित रूप से शैक्षणिक उपलब्धियों के जश्न का दिन है। लेकिन मेरे प्यारे युवा छात्रो, नौजवान मित्रो, यह एक बड़ी जिम्मेदारी का आह्वान भी है। माननीया मंत्री महोदया ने जिस तरह से संकेत दिया है, देश उम्मीद और संभावनाओं से भरा हुआ है। देश आगे बढ़ रहा है, पहले से कहीं ज्‍यादा आगे। यह आगे बढ़ना अजेय है।

डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त करने वाले सभी छात्रों और आमंत्रित लोगों के लिए यह बहुत ही खास दिन है। आप सभी को बधाई, लेकिन प्रिय छात्रो, यह आपकी अपनी उपलब्धि नहीं है। आपके लिए, आपके परिवारों, आपके गुरुओं और इस यात्रा में आपके साथ काम करने वाले सभी लोगों के लिए यह सामूहिक गौरव का क्षण है।

मेरा आपसे अनुरोध है, आपसे अपील है कि कृपया अपने मातृ संस्थान से जुड़े रहें। हमेशा अपने मातृ संस्थान पर गर्व करें और अपने सहकर्मियों से आजीवन संपर्क कायम रखें। मित्रो, जब हम अपने देश के भविष्य के बारे में सोचते हैं, तो शक्तिशाली त्रिगुण, जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता को याद करना अनिवार्य और शिक्षाप्रद है। ये 3डी नए भारत की आत्मा को परिभाषित करते हैं। ये तीन स्तंभ भारत की पहचान और आकांक्षाओं का सार समेटे हुए हैं।

नौजवान मित्रो, आप सभी की वजह से भारत इस समय दुनिया में सबसे महत्वाकांक्षी राष्ट्र है। जनसांख्यिकी एक सशक्‍त मानव पूंजी का प्रतिनिधित्व करती है, जो प्रगति के इंजन को ईंधन देती है। लोकतंत्र सामूहिक निर्णय लेने के लिए मजबूत ढांचा प्रदान करता है। किसी भी अन्य शासन में, निर्णय लेने में लोगों की भागीदारी नहीं होती है। उस दृष्टिकोण से लोकतंत्र अद्वितीय है और विविधता, भारत पूरी दुनिया के लिए विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। हमारे पास शानदार परिदृश्य, संस्कृतियों, परंपराओं और दृष्टिकोणों का एक स्पेक्ट्रम है, जो हमारे महान भारत को दुनिया में अद्वितीय बनाता है।

दोस्तो, जनसांख्यिकीय रुझान केवल आंकड़े नहीं हैं और आप इसे मुझसे ज्‍यादा जानते हैं। जनसांख्यिकी इससे कहीं आगे की बात है, जनसांख्यिकी किसी देश की नब्ज होती है। किसी देश के बदलाव को परिभाषित करती है। इन आंकड़ों को समझना, ये सांख्यिकीय आंकड़े नीति निर्माताओं को अपनी ताकत का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाते हैं। इस डेटा के बिना, नीति निर्माता असहाय हैं। वे अंधेरे में टटोलते रहेंगे और साथ ही यह युवा आबादी की क्षमता को तलाशने और दिशा देने में भी मदद करेगा। साथ ही, आपका डेटा एडमिनिस्‍ट्रेशन में बैठे लोगों को चुनौतियों का गंभीरता से सामना करने में मदद करता है। बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवा असमानताएं, क्षेत्रीय असंतुलन जैसे क्षेत्रों में कठिन चुनौतियों का समाधान किया जाता है। अगर मैं ऐसा कहूं तो, जनसांख्यिकी सतत विकास की दिशा में भारत की यात्रा का मार्गदर्शन करने वाला कम्पास है जो एक वैश्विक आवश्यकता है।

मेरे युवा मित्रों को हमेशा याद रखना चाहिए कि भारत दुनिया का सबसे पुराना, सबसे बड़ा और सबसे जीवंत लोकतंत्र है। भारत 1.4 बिलियन लोगों को विविध आवाजों, अलग-अलग विचारों, कभी-कभी परस्पर विरोधी विचारों, राष्ट्रीय चुनौतियों और समाधानों को संबोधित करने के लिए एक सहभागी मंच प्रदान करता है। ये समाधान संवाद, बहस और आम सहमति से निकलते हैं। विविधता हमारी ताकत है। यह हमारी विविध संस्कृति, हमारी समृद्ध भाषाओं, हमारी जातीयता में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है जो भारत को पूरी दुनिया में बहुत खास बनाती है।

हमेशा याद रखें कि मानव जाति में समावेशिता मौलिक है और भारत में समावेशिता हमारी सभ्यता की नस में है, समावेशिता हमारे खून में है।

प्रिय नौजवान मित्रो, जनसंख्या विज्ञान के छात्रों के रूप में, आप इन तीन स्तंभों जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता के चौराहे पर विशिष्ट रूप से स्थित हैं। जनसंख्या विज्ञान के छात्रों के रूप में, आप एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं जहां जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता एक दूसरे से मिलती हैं। जनसंख्या प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने में आपकी विशेषज्ञता ही निर्णय लेने में एक सूचित दिमाग को तैयार करेगी। यह खतरों को विफल करने में भी मदद करेगा, मेरे शब्दों को ध्यान से याद रखें। जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के कारण लोकतांत्रिक परिवर्तन बहुत चुनौतीपूर्ण, चिंताजनक रूप से चिंताजनक, गहरी चिंता का कारण हैं। ये चुनौतियां जो बहुत कठिन हैं, डेटा विश्लेषण के आपके प्रयासों से उनका समाधान किया जा सकता है।

आप कच्चे डेटा और सार्थक शासन के बीच सेतु हैं, क्योंकि आप डेटा का विश्लेषण करते हैं, आप डेटा का अध्ययन करते हैं, और वह डेटा संख्याओं को ऐसे आख्यानों में बदलने में बहुत सहायक होता है जो भारत के भविष्य को आकार देते हैं। हमारा देश दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश होने का गौरव रखता है और इसलिए, जनसंख्या अनुसंधान अकादमिक से कहीं आगे है। यह राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य है। जनसंख्या की आवाजाही, इसकी वृद्धि, वितरण और संरचना को समझना ऐसी नीतियों को तैयार करने के लिए मौलिक है, जो सतत विकास, आर्थिक विकास, सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करती हैं। यह पहलू राष्ट्रीय सुरक्षा और सद्भाव के लिए भी महत्वपूर्ण है।

मैं जानता हूं कि आप चुनौतियों से अवगत हैं। आपका डेटा उन लोगों को जागृत करेगा, जिन्हें इन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है, क्‍योंकि ये चुनौतियां भयानक रूप ले चुकी हैं। नौजवान मित्रो, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि हमें अपने युवा जनसांख्यिकीय लाभांश की जोरदार ताकत को समझना और उसकी सराहना करनी होगी। भारत को गर्व है और यह दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय है, क्योंकि यहां की औसत आयु मात्र 28 वर्ष है, जबकि चीन और अमेरिका की औसत आयु 38 और 39 वर्ष है।

इसलिए, हमारा विकास का इंजन संचालित होगा। आपकी भागीदारी के कारण यह सभी क्षेत्रों में प्रगति सुनिश्चित करेगा। कभी मत भूलिए कि आप शासन में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। आप 2047 में विकसित भारत के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे, लेकिन मुझे सावधानी बरतनी चाहिए। इस युवा ऊर्जा को कौशल, उद्यमशीलता, नवाचार और स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली नीतियों के माध्यम से प्रभावी ढंग से निर्देशित और उपयोग किया जाना चाहिए।

यह सब आपके द्वारा किए गए डेटा विश्लेषण के बिना संभव नहीं है। भारत सरकार द्वारा हाल ही में आगामी दशकीय जनगणना में जाति-आधारित गणना को शामिल करने हेतु लिया गया निर्णय गेम-चेंजिंग है, जो शासन में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्‍धि है। यह परिवर्तनकारी होगा, यह हमें समानता लाने के लिए समान रूप से आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करेगा और सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। जब डेटा उपलब्ध होगा तो यह हमारी मदद भी करेगा और असमानताओं की हमारी समझ को समृद्ध करेगा, क्योंकि यदि असमानताएं हैं तो वे और भी अधिक असमानताएं पैदा करती हैं। वे उन्हें उत्‍पन्‍न करती हैं जो शासन का सार नहीं है और इसलिए यह जाति-आधारित जनगणना से जो डेटा निकलेगा, वह हमें लक्षित विकास के लिए मार्गदर्शन करेगा। विकास उन क्षेत्रों में पहुंचेगा जहां इसकी आवश्यकता है, यह मैं गर्व के साथ कह सकता हूं। आईआईपीएस जैसी संस्थाएं ऐसे डेटा की व्याख्या करने और समावेशी समाधानों का प्रस्ताव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विशिष्ट रूप से स्थित हैं।

नौजवान मित्रो, धीमी और दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय बदलाव, जो सामान्य है, उससे भिन्‍न प्राकृतिक जनसांख्यिकीय परिवर्तन होने चाहिए, लेकिन वे आमतौर पर धीमे और दीर्घकालिक होते हैं। लेकिन कुछ भौगोलिक क्षेत्रों की बनावट को बदलने के उद्देश्य से कोरियोग्राफ किए गए, अच्छी तरह से संरचित और खराब तरीके से डि‍जाइन किए गए बदलाव होते हैं। ये सबसे चिंताजनक रुझान हैं, जबकि प्राकृतिक जनसांख्यिकीय बदलाव धीरे-धीरे होते हैं, कुछ क्षेत्रों की जनसांख्यिकीय संरचना में जानबूझकर और सुनियोजित परिवर्तन एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।

युवा मित्रो, हमारी जनसांख्यिकी में ये सुनियोजित परिवर्तन अक्सर राजनीतिक या रणनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं, जो निश्चित रूप से हमारे राष्ट्र के लिए अच्छे नहीं हैं। ये हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन को बिगाड़ते हैं। भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए ऐसी खतरनाक प्रवृत्तियों पर सतर्क निगरानी और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।

नौजवान मित्रो, इन कठिन निर्णयों को लेने के लिए डेटा की आवश्यकता है, आपकी भूमिका यहां महत्वपूर्ण है। मैं आपको सावधान करना चाहूंगा, भारत अनियंत्रित अवैध प्रवासियों द्वारा संचालित जनसांख्यिकीय बदलावों के संबंध में एक अध्‍यधिक चिंताजनक स्थिति का सामना कर रहा है, साथ ही एक और भयावह तंत्र जो चालाकी से धर्मांतरण को आकर्षित करता है, जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को विकृत करता है।

मित्रो, ये कोई साधारण चुनौतियां नहीं हैं, ये कोई आसपास की चुनौतियां नहीं हैं, ये अस्तित्वगत चुनौतियां हैं, जिनके लिए तत्काल दृढ़ निश्चय और प्रभावी राष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। अब कार्य करने का समय है, स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ कार्य करने का समय है, क्योंकि यह टाइम बम टिक-टिक कर रहा है। हमें इसे पूरा करके दिखाना होगा। हमें अपनी सभ्यता की प्रामाणिकता, पवित्रता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अडिग, दृढ़ संकल्पित प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करना होगा। लोगों को समझना चाहिए कि लोकतंत्र क्या है? हम लोकतंत्र को क्यों महत्व देते हैं? हम लोकतंत्र को दो चीजों - पहला, अभिव्यक्ति का अधिकार और दूसरा, संवाद की स्वतंत्रता के लिए महत्व देते हैं। सही मायने में लोकतंत्र समानता की वास्तुकला है, यह एक गंभीर आश्वासन है कि प्रत्येक नागरिक की, चाहे वह किसी भी मूल या साधन का हो, राष्ट्र के सामूहिक भाग्य में समान हिस्सेदारी होगी। मेरे प्यारे युवा मित्रो, आपको यह हमेशा याद रखना चाहिए।

प्रामाणिक संवाद हमारा मूल सभ्यतागत मूल्य है, हम बयानबाजी नहीं कर सकते, हम अंध-राष्ट्रवाद नहीं कर सकते, सार्वजनिक संवाद प्रामाणिक होना चाहिए। उपनिषदों और धर्मशास्त्रों से प्राप्त हमारी विरासत हठधर्मिता पर संवाद और क्रोध पर संयम का जश्न मनाती है।

मुझे कभी-कभी दुख होता है जब हठधर्मिता और क्रोध हावी हो जाता है, देश के युवाओं, देश के युवाओं, देश के भविष्य को सार्वजनिक संवाद को अधिक तर्कसंगत और समझदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। मेरा मतलब है कि हमारी सभ्यतागत लोकाचार के साथ तालमेल बिठाना चाहिए। जनता के साथ संवाद की प्रामाणिकता मौलिक है। सुरक्षा पहलुओं जैसे कुछ अपवाद हैं, लेकिन बाकी के लिए यह समझौता नहीं किया जा सकता है।

लोकतंत्र की आत्मा ईमानदार, ईमानदार, तथ्यात्मक रूप से संतुलित और सही संवाद में बसती है। दोस्तो, कुछ समस्याएं स्‍पष्‍ट तौर पर हमारे सामने हैं। लाखों में अवैध प्रवासियों की संख्या इसे जनसांख्यिकीय हमले से कम नहीं बना रही है, फर्जी धर्मांतरण भी अत्‍यधिक चिंताजनक है। देश के युवाओं को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी, जो सोशल मीडिया के माध्यम से उस मानसिकता को दर्शाती है ताकि एक राष्ट्रीय भावना पैदा हो। हमें इन चुनौतियों पर काबू पाना होगा जो हमारी सभ्यतागत प्रकृति को नुकसान पहुंचा सकती हैं और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।

नौजवान मित्रो, मैं आपको बता दूं कि कुछ चुनौतियां चुपचाप नहीं आती हैं, वे हमारे सामने खड़ी होती हैं। जब हमारी सीमाओं की पवित्रता अनियंत्रित अवैध प्रवासियों द्वारा भंग की जाती है, तो यह कानून और व्यवस्था का सवाल नहीं है, यह हमारे अस्तित्व का सवाल है, यह राष्ट्रीय अखंडता का सवाल है। ये लोग हमारे राष्ट्रीय संसाधनों की अत्‍यधिक मांग करते हैं। वे हमारे हाथों से काम छीन लेते हैं और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता को कमजोर बनाते हैं। ऐसी विनाशकारी चुनौतियों के प्रति हमेशा सचेत रहें, जब जनसांख्यिकीय संतुलन को जैविक विकास द्वारा नहीं, बल्कि भयावह सुनियोजित डिजाइन द्वारा हेरफेर किया जाता है।

तो फिर, दोस्तो, अब यह पलायन का सवाल नहीं है। यह जनसांख्यिकीय आक्रमण का सवाल है। भारत ने इसे झेला है। क्या आप आधिकारिक आंकड़ों की कल्पना कर सकते हैं? और मैं कहता हूं कि अब यह बहुत ज़्यादा है। इस देश में लाखों अवैध प्रवासी हैं। क्या हम उन्हें झेल सकते हैं? हमें इस देश में ऐसे लोगों की जरूरत है, जो हमारी सभ्यता के प्रति समर्पित हों, जो भारतीयता में विश्वास रखते हों, जो हमारे राष्ट्रवाद में विश्वास रखते हों, जो देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हों। हमारे देश में ऐसे लोग कैसे रह सकते हैं? हमें इससे बहुत जल्द निपटना होगा।

जैसा कि मैंने कुछ समय पहले कहा था, उतना ही परेशान करने वाला, चिंताजनक और गहरी चिंता का विषय है कि जबरन या प्रेरित धर्मांतरण के माध्यम से आस्था को हथियार बनाया जा रहा है, जहां आस्था की जगह प्रलोभन ने ले ली है। हर आस्था स्वैच्छिक, वैकल्पिक होनी चाहिए। यह प्रलोभन और एजेंडे के द्वारा प्रेरित है। ये अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं। वे सामाजिक सद्भाव, सांस्कृतिक सामंजस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करती हैं। हमेशा याद रखें, और भारत दुनिया में इसके लिए जाना जाता है, लोकतंत्र को दयालु होना चाहिए, जैसा कि माननीया मंत्री ने संकेत दिया था। लेकिन लोकतंत्र आत्मसंतुष्ट होने का जोखिम नहीं उठा सकता।

दूसरा, हाल ही में माननीया मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताया गया, हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। उनकी उपलब्धि उल्लेखनीय है। जरा सोचिए, दुश्मन के इलाके में, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हुए, बहावलपुर और मुरीदके में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को स्पष्ट रूप से नष्ट कर दिया गया। इसका प्रभाव इतना अधिक था कि ताबूतों के साथ उनकी सेना, उनके मंत्री और आतंकवादी भी थे।

इसलिए मैं जोर देकर कहता हूं कि शांति लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए आवश्यक और मौलिक है। कभी मत भूलिए कि शांति ताकत के विरोध से ही सुरक्षित होती है। लोकतंत्र तभी पनप सकता है और समृद्ध हो सकता है जब ताकत, प्रभावी सुरक्षा, आर्थिक लचीलापन, आंतरिक सद्भाव के माध्यम से शांति अर्जित की जाती है। इतिहास इसका सबूत है। आक्रमणों को विफल किया जा सकता है और शांति तभी सुरक्षित की जा सकती है जब हम युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहें।

भारत ने वैश्विक संदेश दिया है। अब हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम इसे खत्म कर देंगे और इसके स्रोत को नष्ट कर देंगे। शांति संघर्ष की भावना नहीं है। यह तैयारियों की उपस्थिति है। लोकतंत्र सुरक्षा की उपजाऊ मिट्टी में एक नाजुक फूल है। अगर सुरक्षा नहीं होगी तो लोकतंत्र फल-फूल नहीं सकता। आर्थिक अवसरों की धूप और सामाजिक सद्भाव की निरंतर वर्षा के लिए भी शांति की आवश्यकता होती है। लोकतंत्र की बात करें तो शांति के बिना लोकतंत्र भय, अविश्वास और अराजकता में बदल जाता है। लेकिन हमें शांति को निष्क्रियता नहीं समझना चाहिए।

मेरे प्यारे नौजवान मित्रो, स्थायी शांति कभी दी नहीं जाती। इसे अर्जित किया जाता है और इसकी रक्षा की जाती है। एक राष्ट्र निर्णायक नीतियों के द्वारा, अपनी अर्थव्यवस्था में लचीलापन लाकर अपनी सीमाओं को सुरक्षित करता है। तब राष्ट्र शांति का किला बन जाता है। हमें इस क्षेत्र में एक शक्तिशाली सैन्य बल के रूप में उभरना होगा। हाल ही में उभरे गठबंधनों को हमने निर्णायक रूप से पराजित किया है, हमें उनके बारे में हमेशा जागरूक रहना होगा। हमें प्राचीन ज्ञान को अपनाना चाहिए। और ध्यान रहे, अपने प्राचीन शास्त्रों के कारण भारत वैश्विक ज्ञान का खजाना है।

शांति मंत्र है, हम शांति में विश्वास करते हैं, यही कारण है राष्ट्र ने कभी विस्तार में विश्वास नहीं किया है। लेकिन हमें कौटिल्य की बुद्धिमानी भरी सलाह को कभी नहीं भूलना चाहिए। मैं उन्हें उद्धृत करता हूं "एक राजा जो युद्ध के लिए तैयार है, वह अपनी शर्तों पर शांति सुनिश्चित करता है।" दोस्तो, हमारा लोकतंत्र हमारी सभ्यता के सार पर अटल है।

भारत का आधारभूत चरित्र सनातन धर्म के शाश्वत ज्ञान से उपजा है, जो स्वाभाविक रूप से समावेशिता और सद्भाव को अपनाता है। दुनिया का कौन सा देश समावेशी विकास, समावेशी जीवन और सद्भाव का दावा कर सकता है? सभ्यता की भावना में गहराई से निहित हिंदू धर्म का बहुमत कभी भी बहुसंख्यकवाद से निर्देशित नहीं हुआ है। लोग इसे गलत समझते हैं। हिंदू धर्म का बहुमत बहुसंख्यकवाद नहीं है। ये आवेग हमारे लिए विरोधाभासी हैं। और दुनिया भर की अन्य परंपराओं में अंतर देखें। उनकी असहिष्णुता का स्तर, उनकी कट्टरता का स्तर।

वे जनसांख्यिकीय विस्फोट के माध्यम से नियंत्रण करने के मिशन को निर्धारित करते हैं। सदियों से, इस परिभाषित भेद ने भारत की बहुलवादी पहचान को आकार दिया है। विस्तारवाद का हिंदू धर्म में कोई स्थान नहीं है। सनातन धर्म में कोई स्थान नहीं है। यह एक विचार है क्योंकि हम जीतना नहीं चाहते बल्कि सह-अस्तित्व चाहते हैं।

नौजवान मित्रो, अंत में, आपकी शिक्षा सिर्फ एक प्रमाण पत्र नहीं है। यह एक नैतिक दिशा-निर्देश है। आपकी शिक्षा यहीं नहीं रुकती। सीखना आजीवन है। अब आप ज्ञान और राष्ट्र निर्माण के संगम पर खड़े हैं। आपका डेटा नीतियों को प्रभावित करेगा। आपकी अंतर्दृष्टि भविष्य को आकार देगी। आपका विवेक तय करेगा कि भारत किस तरह से समान रूप से आगे बढ़ेगा। प्रगति मौलिक है। लेकिन एकमात्र प्रगति जो खुशी लाती है वह समान प्रगति है।

अपने काम में सिर्फ अकादमिक उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जिम्मेदारी भी दर्शाएं। याद रखें कि समाज की प्रगति का सही मापदंड यह नहीं है कि वह कितनी तेजी से आगे बढ़ता है, बल्कि यह है कि वह कितनी करुणा और एकजुटता के साथ आगे बढ़ता है। आईआईपीएस की सशक्‍ता, विनम्रता, साहस और प्रतिबद्धता के मूल्यों को आगे बढ़ाएं। सहानुभूति के साथ नेतृत्व करें, अंतर्दृष्टि के साथ शासन करें। और हमेशा याद रखें कि संख्याएं मायने रखती हैं। संख्याएं शासन तय करती हैं, लेकिन लोग संख्याओं से परे मायने रखते हैं और यही आपका काम है। आपके नंबर यह तय नहीं करते कि कौन चुना जाएगा। आपके डेटा विश्लेषण के नंबर यह तय करेंगे कि कैसे खुशियां चारों ओर फैलेंगी, कैसे लोग अच्छी नींद लेंगे।

एक बार फिर बधाई। आपका ज्ञान विश्‍वव्‍यापी हो, आपकी ईमानदारी कायम रहे, आपकी यात्रा प्रेरणादायी हो। मैं फिर से, मुझे यह महान अवसर प्रदान करने के लिए गतिशील मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल जी का आभारी हूं। और मैं इंद्र देवता का भी आभारी हूं। मैं थोड़ा विलंब से आया, लेकिन मैं आ सका।

नौजवान मित्रो,  अंत में मैं यह बताना चाहता हूं, यह तो ऊपर वाले का फैसला है कि मुझे यहां आकर आपको निमंत्रण देना था, अब इस निमंत्रण को आप ठुकरा मत देनाठुकराने का एक तरीका हैदेरी करना।

मैंने तीन सप्ताह दिए हैं, मैं तैयार हूं, पलक-पांवड़े बिछा कर। राजस्थान से आया हूं, राजस्थान में कहा जाता है पधारो म्हारे देश।

धन्यवाद।

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एमजी/केसी/एसकेएस/ओपी    


(Release ID: 2132467)
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