मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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“इको-फिशिंग पोर्ट्स” पर जोर: नई दिल्ली में मत्स्य पालन विभाग और एएफडी ने तकनीकी वार्ता की

Posted On: 27 MAY 2025 5:47PM by PIB Delhi

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग और एजेंस फ्रांसेइस डे डेवलपमेंट (एएफडी) [तकनीकी और वित्तीय सहयोग के लिए फ्रांस से बाहर स्थित एएफडी एक विकास एजेंसी है] ने आज नई दिल्ली में इको-फिशिंग पोर्ट्स: दीर्घकालिक और समावेशी बंदरगाहों पर तकनीकी वार्ता आयोजित की। सका उद्देश्य "मछली पकड़ने के लिए पर्यावरण के अनुकूल बंदरगाह" (इको-फिशिंग पोर्ट्स) की अवधारणा के विभिन्न पहलुओं का पता लगाना था, जिसे आर्थिक प्रदर्शन, सामाजिक समावेश और परितंत्र संरक्षण को अधिकतम करते हुए कम पर्यावरणीय नुकसान के साथ संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस वार्ता में बंदरगाह निर्माण के बाद मूल्यांकन, रखरखाव और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार पर चर्चा के साथ-साथ स्वस्थ पर्यावरण और सुरक्षित मछली प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम बंदरगाह प्रथाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस वार्ता की अध्यक्षता मत्स्य पालन विभाग की संयुक्त सचिव (समुद्री) सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद ने की। इस विचार-विमर्श में एएफडी की कंट्री डायरेक्टर सुश्री लिसे ब्रूइल, एडीएफ की डिप्टी कंट्री डायरेक्टर सुश्री केमिली सेवरैक और फ्रांसीसी दूतावास में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सलाहकार श्री पाब्लो अहुमदा भी शामिल हुए। इस संवाद में राज्य मत्स्य विभाग के अधिकारी, फ्रांस, इंडोनेशिया, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), एशियाई विकास बैंक, आईआईटी मद्रास, समुद्री खाद्य निर्यात संघ के प्रतिनिधि और मत्स्य उद्योग से जुड़े लोगों ने भी भाग लिया।

अपने मुख्य भाषण में सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद ने भारत के विशाल समुद्री संसाधनों और उत्पादन, निर्यात तथा आजीविका के साधन के रूप में मत्स्य पालन क्षेत्र की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और सीमित बाजार पहुंच जैसी मौजूदा चुनौतियों और बाधाओं पर चर्चा की। इसके साथ ही 9,832.95 करोड़ रुपये (1.15 अरब अमेरिकी डॉलर) की कुल लागत से 117 एफएच और एफएलसी के निर्माण/आधुनिकीकरण/ड्रेजिंग के लिए स्वीकृत परियोजना प्रस्तावों और दमन एवं दीव में वनकबारा, पुद्दुचेरी में कराईकल और गुजरात के जखाऊ में पीएमएमएसवाई के तहत मछली पकड़ने के तीन स्मार्ट और एकीकृत बंदरगाहों पर भी प्रकाश डाला। इस क्षेत्र के सतत विकास के लिए हितधारकों की सक्रिय भागीदारी, कारगर प्रभाव आकलन तंत्र और स्मार्ट, हरित तथा सामाजिक रूप से उत्तरदायी परितंत्र के निर्माण के महत्व पर जोर दिया गया।

इस संवाद में इको फिशिंग पोर्ट के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित चार विषयगत तकनीकी सत्र संपन्न हुए। चर्चाओं में इको पोर्ट की अवधारणा, पहल और विकास को शामिल किया गया, जिसमें स्मार्ट और एकीकृत बंदरगाह अवसंरचना, टिकाऊ डिजाइन अभ्यास और एफएओ की ब्लू पोर्ट पहल जैसी वैश्विक रणनीतियां शामिल हैं। वार्ता में मछली पकड़ने के बंदरगाह समुदाय की गतिशीलता, हितधारक भूमिकाओं, सह-प्रबंधन समितियों, निजी बंदरगाह मॉडल और मत्स्य निर्यात को बढ़ाने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया। पर्यावरणीय स्थिरता एक और प्रमुख फोकस था, जिसमें पर्यावरण के अनुकूल ब्रेकवाटर डिजाइन, स्वच्छता उपाय, मछली पकड़ने वाले हरित जहाज और पर्यावरण मानक जैसे विषय शामिल थे। अंतिम विषय पर्यावरण के अनुकूल बंदरगाह (इको पोर्ट) की निगरानी, ​​मूल्यांकन और रखरखाव, समुद्री प्रदूषण, सफलता मॉडल, प्रदर्शन संकेतक, निर्माण के बाद मूल्यांकन और लागत-लाभ विश्लेषण पर केंद्रित था। ब्लू इकोनॉमी पहलों में एएफडी के गहन अंतरराष्ट्रीय अनुभव का लाभ उठाते हुए, सत्र ने टिकाऊ शासन मॉडल, जलवायु-अनुकूल रणनीतियों और सामुदायिक भागीदारी पर ज्ञान का आदान-प्रदान किया। यह संवाद सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण पहलों को बढ़ाने, संचार अंतराल को पाटने और हितधारकों के बीच अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान करके मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे के विकास को मजबूत करने के लिए विभिन्न हितधारकों के प्रयासों को एकजुट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

पृष्ठभूमि

भारत विशाल और विविध जलीय संसाधनों से संपन्न है, जो स्थायी मत्स्य पालन विकास के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करता है। लगभग 11,099 किलोमीटर की समुद्री तटरेखा के साथ, मत्स्य पालन क्षेत्र खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, रोजगार पैदा करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत वैश्विक मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है, जो कुल मछली उत्पादन का लगभग 8 प्रतिशत है। भारत जलीय कृषि और झींगा निर्यात में एक वैश्विक अग्रनी है। भारत 132 से अधिक देशों को समुद्री खाद्य निर्यात करता है और इसका निर्यात (वित्त वर्ष 2013-14) में 30,213 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 60,523.89 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2023-24) का हो गया है। प्रमुख निर्यात बाजार चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान हैं। भारत का लक्ष्य नए बाजारों में आपूर्ति के लिए मूल्य वर्धित उत्पादों और समुद्री खाद्य प्रजातियों को जोड़कर अपने निर्यात मद का विस्तार करना है।

भारत का समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र लाखों तटीय आजीविका को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, हालांकि इसे जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों सहित बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मत्स्य पालन विभाग आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले टिकाऊ और समावेशी दृष्टिकोण के जरिए मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूत और आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहा है। इन प्रयासों का एक प्रमुख फोकस देश भर में मछली पकड़ने के लिए बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों को बढ़ाना है। ये सुविधाएं समुद्री भोजन मूल्य श्रृंखला की रीढ़ हैं- मछली पकड़ने वाले जहाजों की सुरक्षित लैंडिंग, बर्थिंग और सर्विसिंग की सुविधा प्रदान करते हुए मत्स्य उत्पादों की कटाई के बाद कुशल हैंडलिंग, भंडारण और परिवहन सुनिश्चित करते हैं। लॉजिस्टिक्स से परे, मछली पकड़ने के बंदरगाह महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करते हैं जो मछुआरों को बाजारों, प्रसंस्करण इकाइयों और उपभोक्ताओं से जोड़ते हैं और इस प्रकार तटीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान करते हैं।

इस विजन को आगे बढ़ाने के लिए, सरकार ब्लू पोर्ट्स पहल को लागू कर रही है। यह एक समग्र मॉडल है जो मछली पकड़ने के बंदरगाहों के डिजाइन और प्रबंधन में टिकाऊ, स्मार्ट और हरित सिद्धांतों को जोड़ता है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के साथ साझेदारी में, यह पहल प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत तीन मॉडल बंदरगाहों के विकास का समर्थन करती है। स्मार्ट और मछली पकड़ने के एकीकृत बंदरगाहों के लिए प्रायोगिक परियोजनाएं नवाचारों और पर्यावरण के अनुकूल समाधानों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करती हैं। इनमें वर्षा जल संचयन प्रणाली, ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था, बिजली से चलने वाले उपकरण और मजबूत संचार और निगरानी प्रणाली शामिल हैं इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) डिवाइस, सेंसर नेटवर्क, रिमोट सेंसिंग, डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म और भविष्य कहने वाला मॉडलिंग जैसी उन्नत तकनीकों को तत्क्षण निर्णय लेने और बंदरगाह संचालन के लिए तैनात किया जा रहा है हाइब्रिड ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियों के साथ सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का एकीकरण, जलवायु के अनुरूप और भविष्य के लिए तैयार मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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(Release ID: 2131736)
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