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भारतीय नौसेना ऐतिहासिक परिक्रमा के बाद नाविका सागर परिक्रमा II के चालक दल का स्वागत करेगी

Posted On: 27 MAY 2025 5:13PM by PIB Delhi

भारतीय नौसेना भारतीय नौसैन्य पोत तारिणी पर सवार होकर विश्व की परिक्रमा सफलतापूर्वक पूरी करने वाले नाविका सागर परिक्रमा II के विजयी दल का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस दुर्लभ उपलब्धि को जोरदार तरीके से पूरा करते हुए, लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के 29 मई, 2025 को गोवा के तटों पर पहुंचने के लिए तैयार हैं। इस असाधारण नौकायन अभियान को 02 अक्टूबर, 2024 (https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2061255) को गोवा के नौसेना महासागर नौकायन नोड से रवाना किया गया था।

इस ऐतिहासिक घटना के ध्वजारोहण समारोह की अध्यक्षता माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर करेंगे, जो औपचारिक रूप से जलयात्रा के समापन का प्रतीक होगा। यह अभियान भारत के समुद्री प्रयासों का प्रतीक है, जो वैश्विक तौर पर समुद्री गतिविधियों में राष्ट्र की प्रमुखता और उत्कृष्टता के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और नारी शक्ति "साहसी दिल असीम समुद्र" के  आदर्श वाक्य को दर्शाता है।

आठ महीनों की अवधि में, नौसेना की जोड़ी (जिसे #DilRoo के नाम से जाना जाता है) ने चार महाद्वीपों, तीन महासागरों और तीन ग्रेट केप में 25,400 एनएम (लगभग 50,000 किमी) की दूरी तय की, जिसमें मौसम की प्रतिकूल स्थिति और चुनौतीपूर्ण समुद्रों का सामना करते हुए पूरी तरह से पाल और पवन ऊर्जा पर भरोसा किया गया  (https://x.com/indiannavy/status/1905540042698952954)

उभरते भारत के गौरवशाली ध्वजवाहक के रूप में, दोनों ने फ्रेमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलटन (न्यूजीलैंड), पोर्ट स्टेनली (फॉकलैंड द्वीप) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) के बंदरगाहों पर रुककर अपनी आगे की जलयात्रा की। अधिकारियों ने कई कूटनीतिक और आउटरीच कार्यक्रमों में भाग लिया, दुनिया भर के सांसदों, भारतीय प्रवासियों, स्कूली बच्चों, नौसेना के कैडेटों और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ बातचीत की। एक अभूतपूर्व सत्कार के तौर पर उन्हें उनकी प्रतिष्ठित उपलब्धियों के लिए पश्चिमी ऑस्ट्रेलियाई संसद (https://x.com/HCICanberra/status/1857257399968743574) में विशेष आमंत्रित के रूप में सम्मानित किया गया। उनकी उपलब्धियों को स्थानीय समुदायों, अंतरराष्ट्रीय नौकायन संगठनों और विदेशी संसदों से सराहना मिली, जो महिला सशक्तीकरण, समुद्री उत्कृष्टता और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में काम कर रहे हैं।

यात्रा के दौरान चालक दल को 50 नॉट (93 किमी प्रति घंटे) की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ-साथ तूफानी मौसम की स्थिति और बेहद ठंडे तापमान का सामना करना पड़ा, जिसने मानव के धीरज, दृढ़ता और नौकायन कौशल की अंतिम परीक्षा तय की। हालांकि प्रत्येक चरण की अपनी चुनौतियां थीं, लेकिन लिटलटन से पोर्ट स्टेनली तक की यात्रा का तीसरा चरण सबसे कठिन था (https://x.com/indiannavy/status/1890656337962442836)। चालक दल ने तीन चक्रवातों का सामना किया, खतरनाक ड्रेक पैसेज से गुजरा और केप हॉर्न को सफलतापूर्वक पार किया। यह परिक्रमा समुद्र और प्रकृति की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच अधिकारियों की अटूट भावना, असाधारण वीरता, साहस और दृढ़ता को उजागर करती है।

यात्रा के दौरान, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व-संध्या पर माननीय रक्षा मंत्री के साथ चालक दल को बातचीत करने का अवसर मिला। उन्होंने चालक दल को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में महिलाओं की अमूल्य भूमिका को स्वीकार किया और रक्षा क्षेत्र में महिलाओं के लिए अवसरों का विस्तार करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। (https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2109200)। इसके अलावानौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने भी विभिन्न अवसरों पर चालक दल के साथ बातचीत की और उनके अनुकरणीय कौशल, व्यावसायिकता, सौहार्द और टीम वर्क की सराहना की।

राष्ट्र नाविका सागर परिक्रमा II के बहादुर चालक दल के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। यह अभियान भारत के समुद्री इतिहास में एक निर्णायक अध्याय रहा है। चालक दल ने वैश्विक मंच पर समुद्री कौशल का प्रदर्शन करते हुए अन्वेषण की भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया। यह भारत की समुद्री विरासत के लिए सशक्तिकरण, नवाचार और प्रतिबद्धता की यात्रा रही है, जो एक उज्जवल और सशक्त भविष्य के लिए नए रास्ते तैयार कर रही है। यह दुनिया के महासागरों के विशाल विस्तार में व्यावसायिकता और जिम्मेदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की भारतीय नौसेना के संकल्प की पुष्टि करता है।

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एमजी/केसी/सकेएस/एसके


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