मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
“मत्स्य पालन सचिव सम्मेलन 2025” और “जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार के दोहन पर राष्ट्रीय कार्यशाला” आज नई दिल्ली में आयोजित की गई
“जल्द ही कठिन इलाकों में ड्रोन से मछली का परिवहन किया जाएगा; उपग्रह प्रौद्योगिकी से मछुआरों की सुरक्षा और मजबूत होगी”: डॉ. अभिलक्ष लिखी
मत्स्य पालन हितधारकों से एफआईडीएफ जागरूकता और एनएफडीपी पोर्टल पर पंजीकरण को बढ़ावा देने का आह्वान
Posted On:
23 MAY 2025 8:34PM by PIB Delhi
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि की प्रगति की समीक्षा करने के लिए 23 मई 2025 को नई दिल्ली में “मत्स्य पालन सचिव सम्मेलन 2025” और जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार के दोहन पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की। इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई, जिसमें योजनाओं की उपलब्धियों और प्रमुख उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह बैठक मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ) के सचिव (मत्स्यपालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में राज्य मत्स्य विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, लघु कृषक कृषि-व्यवसाय संघ, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम और आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

मुख्य भाषण में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव (मत्स्यपालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी ने राज्यों से नवाचार, बुनियादी ढांचे और संस्थागत तालमेल के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया। मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर बल दिया गया, जिसमें संसाधन मानचित्रण, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसे पहलू शामिल हैं। हरित और नीले स्थिरता सिद्धांतों के साथ संरेखित स्मार्ट, एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास को भविष्य की प्रमुख प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया। श्री लिखी ने जीवित मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक पर पायलट परियोजना की जानकारी दी। इसका लक्ष्य 70 किलोग्राम पेलोड वाला ड्रोन विकसित करना है जो कठिन इलाकों में एग्रीगेटर से वितरण बिंदु तक जीवित मछली ले जा सके। उन्होंने मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) और सहायक सब्सिडी संरचना के माध्यम से ड्रोन पहल को मजबूत करने का भी आह्वान किया। आईसीएआर संस्थानों के समर्थन से उन्नत मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग पर विशेष रूप से क्लस्टर विकास और एक संपन्न स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से विशेष ध्यान देने को प्रोत्साहित किया गया। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवर का लाभ उठाने पर विशेष बल दिया गया और राज्यों से सक्रिय सहयोग मांगा गया। मत्स्य पालन सचिव ने सजावटी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और समुद्री शैवाल की खेती तथा कृत्रिम चट्टानों के विकास का आह्वान किया तथा इन उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय) श्री सागर मेहरा ने अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्देशीय मत्स्य पालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों की जानकारी दी। उन्होंने राज्यों से राष्ट्रीय मत्स्य विकास पोर्टल (एनएफडीपी) पर पंजीकरण के लिए आवेदन जुटाने में तेजी लाने और विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत लाभों तक पहुंच बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया ताकि विभिन्न मत्स्य पालन पहलों के कार्यान्वयन को मजबूत किया जा सके। उन्होंने इस वर्ष मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले विभागीय शिखर सम्मेलन पर प्रस्तुति भी दी।
मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव (समुद्री) सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद ने मजबूत बुनियादी ढांचे, स्मार्ट बंदरगाहों और प्रजातियों के विविधीकरण के विकास के महत्व पर बल दिया। तटीय राज्यों से समुद्री कृषि क्षेत्रीकरण को आगे बढ़ाकर, अत्याधुनिक तकनीक को अपनाकर, रीअलक्राफ्ट (जहाज की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक) और एफएओ की ब्लू पोर्ट पहल और राष्ट्रीय स्थिरता उद्देश्यों के साथ स्मार्ट बंदरगाह परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाकर स्मार्ट और टिकाऊ मत्स्य पालन की ओर संक्रमण का नेतृत्व करने का आग्रह किया गया।
समीक्षा के दौरान, यह नोट किया गया कि हालांकि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पीएमएमएसवाई और संबद्ध पहलों के तहत मत्स्य विकास को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं, कुछ कार्यान्वयन-स्तर की चुनौतियां बनी हुई हैं, जिन पर केंद्रित ध्यान और समर्थन की आवश्यकता है। यह नोट किया गया कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत संपार्श्विक आवश्यकताओं के मद्देनजर मछली किसानों के लिए संस्थागत ऋण तक पहुंच एक चिंता का विषय बनी हुई है। इस बात की जानकारी दी गई कि अधिक समावेशी और प्रभावी ऋण देने में सक्षम बनाने के लिए आधुनिक मत्स्य पालन प्रथाओं और प्रौद्योगिकी संचालित मॉडल पर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को और अधिक संवेदनशील बनाने की गुंजाइश है। बढ़ते मछली उत्पादन के साथ, कई राज्यों ने मूल्य श्रृंखला दक्षता बढ़ाने के लिए स्वच्छ मछली कियोस्क और आधुनिक मछली बाजारों सहित कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके अतिरिक्त, बाजार संपर्कों में सुधार - भौतिक और डिजिटल दोनों - मछुआरों और किसानों के लिए उचित मूल्य और स्थिर आय सुनिश्चित करने में मदद करेगा। एफआईडीएफ जैसी योजनाओं के लिए समर्पित पंजीकरण अभियान और एनएफडीबी पोर्टल पर नामांकन के माध्यम से आउटरीच में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई, जबकि राज्यों ने ऐसे पंजीकरण अभियान आयोजित करने में समर्थन का आह्वान किया।
बैठक ने सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण पहलों को बढ़ाने और हितधारकों के बीच संचार अंतराल को पाटने का कार्य किया। इसके माध्यम से पीएम-एमकेएसएसवाई और विभाग की विभिन्न योजनाओं और पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कई हितधारकों के प्रयासों को संरेखित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में भी कार्य किया।
पृष्ठभूमि
भारत सरकार ने 2015 से अब तक का सबसे अधिक 38,572 करोड़ रुपये के निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), नीली क्रांति, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) आदि जैसी विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र के परिवर्तन का नेतृत्व किया है, जिसमें किया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत शुरू की गई उप-योजना व्यापक जलीय कृषि बीमा प्रदान करती है। पीएम-एमकेएसवाई के तहत जलीय कृषि बीमा जोखिमों को कम करने और विशेष रूप से छोटे और हाशिए के किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देने पर केंद्रित है। राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) के माध्यम से, उप-योजना बीमा के लिए निर्बाध डिजिटल पहुंच प्रदान करती है, जिससे मछुआरों और मछली किसानों की आय को अप्रत्याशित नुकसान से बचाने में मदद मिलती है। साथ ही इससे मत्स्य पालन क्षेत्र के भीतर बेहतर ट्रैकिंग और औपचारिकता को बढ़ावा मिलता है। पात्र लाभार्थियों में पंजीकृत जलकृषि, फर्म, कंपनियां, समितियां, सहकारी समितियां, मछली किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ), और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में शामिल अन्य संस्थाएं शामिल हैं, जिन्हें डीओएफ द्वारा पहचाना गया है। किसान बेसिक बीमा, जो प्राकृतिक आपदाओं और अन्य पैरामीट्रिक जोखिमों से होने वाले नुकसान को कवर करता है, और व्यापक बीमा, जिसमें बेसिक बीमा और बीमारी कवरेज शामिल है, के बीच चयन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिला लाभार्थी अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं, जो समावेशिता को और बढ़ावा देता है।
पीएम-एमकेएसएसवाई इस क्षेत्र और इसमें शामिल हितधारकों की बेहतर समझ के लिए राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) पर कार्य-आधारित पहचान बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इससे यह सुनिश्चित होने की उम्मीद है कि लाभ उचित लाभार्थियों तक समान तरीके से पहुंचे। इसलिए, मत्स्य पालन विस्तार पीएम-एमकेएसएसवाई के कुशल कार्यान्वयन को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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एमजी/केसी/पीके
(Release ID: 2130930)