संचार मंत्रालय
भारत ने डिजिटल परिवर्तन पर ब्रिक्स में क्षमता निर्माण पहल का नेतृत्व किया
दूरसंचार विभाग द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण सत्रों ने नागरिक-केंद्रित आईसीटी नवाचार और साइबर प्रतिस्कंदन में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित किया
संचार साथी, आधार और संगम डिजिटल ट्विन आदर्श पहलों के रूप में उभरे
Posted On:
23 MAY 2025 7:14PM by PIB Delhi
भारत ने ब्रिक्स में डिजिटल परिवर्तन पर एक वर्चुअल क्षमता निर्माण सत्र की मेजबानी की, जिसे दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा राष्ट्रीय संचार अकादमी - प्रौद्योगिकी (एनसीए-टी), गाजियाबाद के माध्यम से आयोजित किया गया था। ब्रिक्स आईसीटी कार्य समूह के तहत आयोजित इस कार्यक्रम ने ब्रिक्स देशों के डिजिटल विचारकों ने एक साथ लाया, ताकि वे साझा चुनौतियों, सर्वोत्तम प्रथाओं का पता लगा सकें और समूह देशों के बीच मजबूत आईसीटी सहयोग के लिए एक रास्ता तैयार कर सकें।
इस सत्र का उद्घाटन ब्रिक्स के अध्यक्ष श्री डेनियल कैवलकांति और भारत के एनसीए-टी के महानिदेशक श्री अतुल सिन्हा ने किया। श्री कैवलकांति ने सत्र की मेजबानी के लिए भारत की सराहना की और मोबाइल सुरक्षा, साइबर प्रतिस्कंदन, डिजिटल बुनियादी ढांचे और डिजिटल ट्विन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सहयोग को आगे बढ़ाने में इस कार्यक्रम की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री अतुल सिन्हा ने सहयोग के माध्यम से क्षमता निर्माण, स्केलेबल, सुरक्षित प्रौद्योगिकियों का सह-निर्माण और ब्रिक्स देशों में नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए साझेदारी को बढ़ावा देने पर जोर दिया। डिजिटल डोमेन में चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करने वाले चार विषयगत सत्र थे।




सत्र I: मोबाइल उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाना
भारत ने अपनी प्रमुख पहल संचार साथी का प्रदर्शन किया जिसका उद्देश्य मोबाइल उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी से बचाना, पारदर्शिता बढ़ाना और मोबाइल सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है। सत्र में नागरिक-केंद्रित विनियामक ढांचों के महत्व को रेखांकित किया गया जो डिजिटल संचार में विश्वास और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं।
सत्र II: 21वीं सदी के लिए साइबर प्रतिस्कंदन
भारत और ब्राजील ने साइबर प्रतिस्कंदन के लिए अपने राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर प्रस्तुतियां दीं। चर्चा में साइबर खतरों से निपटने के लिए तैयारी, त्वरित प्रतिक्रिया और सीमा-पार सहयोग पर जोर दिया गया।
सत्र III: डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की नींव
इस सत्र में सुरक्षित, समावेशी और अंतर-संचालनीय प्लेटफ़ॉर्म बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत ने आधार को एक आधारभूत डीपीआई के रूप में प्रस्तुत किया जिसने पहचान-आधारित डिजिटल समावेशन के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण में क्रांति ला दी है। चीन ने भी अपने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की यात्रा पर अंतर्दृष्टि साझा की। सत्र ने डीपीआई को शासन दक्षता और सेवा पहुंच के लिए एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में उजागर किया।
सत्र IV: डिजिटल ट्विन - सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव
भारत ने अपनी महत्वाकांक्षी संगम डिजिटल ट्विन पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य परिदृश्य-आधारित बुनियादी ढांचे की योजना और वास्तविक समय के शासन समाधानों को सक्षम करने के लिए एआई-नेटिव, फ़ेडरेटेड प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना है। चीन ने भी डिजिटल ट्विन प्रौद्योगिकी के साथ अपने अनुभव साझा किए। चर्चा ने सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के प्रबंधन के लिए गेम-चेंजर के रूप में पूर्वानुमानित सिमुलेशन और डेटा-संचालित शासन के उपयोग को प्रदर्शित किया।
समापन भाषण में भारत के दूरसंचार विभाग के अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रभाग के उप महानिदेशक श्री अविनाश अग्रवाल और ब्रिक्स अध्यक्ष श्री डैनियल कैवलकांति ने आपसी सीख और सहयोगात्मक डिजिटल विकास के प्रति ब्रिक्स देशों की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।
इन सत्रों ने राष्ट्रीय सफलता की कहानियों को साझा करने, स्केलेबल समाधानों की पहचान करने और भविष्य के डिजिटल सहयोग के लिए आधार तैयार करने हेतु एक मजबूत मंच प्रदान किया। परिणामों से रणनीतिक गठबंधनों को मजबूत करने और ब्रिक्स में प्रतिस्कंदी, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार डिजिटल समाजों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
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