शिक्षा मंत्रालय
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर- बहुभाषिकता के लिए एक उत्सव - का शुभारंभ किया और 13 भारतीय भाषाओं में प्राइमर्स और विशेष मॉड्यूल जारी किए
श्री प्रधान ने कहा, एनसीईआरटी अपनी पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से हमारी ज्ञान प्रणाली के प्रचार-प्रसार में एक मजबूत रीढ़ बन गई है
हमें मातृभाषा/भारतीय भाषा में आयु-उपयुक्त, एआई-एम्बेडेड पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करनी चाहिए : श्री धर्मेंद्र प्रधान
प्रविष्टि तिथि:
19 MAY 2025 9:35AM by PIB Delhi
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने भारतीय भाषाओं में प्राइमर और तेरह भाषाओं में विशेष मॉड्यूल भी जारी किए। इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीएसईएल) के सचिव श्री संजय कुमार; एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी; भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष श्री चामू कृष्ण शास्त्री; स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की संयुक्त सचिव श्रीमती प्राची पांडे और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे। कार्यक्रम से पहले श्री प्रधान ने प्रदर्शनी में लगे स्टॉल का भी दौरा किया।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश भर के स्कूलों में भारतीय भाषा समर कैंप आयोजित करने की पहल की सराहना की। उन्होंने 117 भाषाओं में प्राइमर प्रकाशित करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की भी सराहना की। इसके साथ ही यह संस्थान 122 प्राइमर के लक्ष्य के करीब पहुंच गया। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी अपनी पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से हमारी ज्ञान प्रणाली के प्रचार-प्रसार के लिए एक मजबूत आधार बन गया है और इसे 22 राज्यों द्वारा अपनाया जा रहा है।
श्री प्रधान ने आज जारी किए गए विशेष मॉड्यूल के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि उन्हें विभिन्न स्तरों के लिए कैसे विकसित किया गया है। उन्होंने विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए कक्षा 8 तक मातृभाषा में पढ़ाने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि छात्रों को हमारे पर्यावरण के बारे में भी जागरूक करने का काम भी उनकी मातृभाषा में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
श्री प्रधान ने स्कूली छात्रों को एआई से परिचित कराने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में आयु-उपयुक्त, एआई-युक्त पाठ्यपुस्तकें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


श्री संजय कुमार ने अपने भाषण में कहा कि भाषा हमारी पहचान, संस्कृति से जुड़ी होती है और हमारी विचार प्रक्रिया को विकसित करने में मदद करती है। उन्होंने मातृभाषा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करने की नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिश पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आगे जोर दिया कि एक बार जब बच्चा अपनी मातृभाषा में दक्षता हासिल कर लेता है तो उसे अन्य भाषाएं सीखने की आवश्यकता होती है। उन्होंने बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए सभी को प्रेरित करने के लिए श्री धर्मेंद्र प्रधान का आभार भी व्यक्त किया।
भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की गई है, जहां बहुभाषावाद का न केवल स्वागत किया जाएगा, बल्कि सीखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए इसका लाभ उठाया जाएगा। भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर इस दृष्टि की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति हैं। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित होने वाले ये शिविर बच्चों को मज़ेदार और आकर्षक तरीके से भारतीय भाषाओं की सुंदरता और विविधता से परिचित कराएंगे। ग्रीष्मकालीन शिविर की अवधि 28 घंटे की होगी, जो एनसीईआरटी/एससीईआरटी द्वारा डिज़ाइन किए गए कैप्सूल कोर्स पर आधारित होगी। सीआईआईएल मैसूर, एनसीईआरटी, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान, राष्ट्रीय सिंधी संवर्धन परिषद, संस्कृत विश्वविद्यालय और अन्य ऐसे संस्थानों द्वारा तैयार की गई भाषा सीखने की विभिन्न प्रकार की सामग्री, प्रिंट और डिजिटल दोनों का उपयोग शिविरों में सीखने-सिखाने की गतिविधियों के लिए किया गया है।
सात दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर के दौरान देश भर के छात्र और शिक्षक एक अलग भाषाई परिवार की एक और भारतीय भाषा सीखेंगे, जो देश भर की भाषाओं के माध्यम से आत्मीयता और एकता का सशक्त संदेश भेजेगा। शिविर में, छात्र बुनियादी अभिवादन, भाव, अक्षर, संख्याएं सीखेंगे और रोल-प्ले, फ्लैशकार्ड और प्रेरक और देशभक्ति के नारों के अनुवाद की मदद से हस्ताक्षर लिखने का अभ्यास करेंगे। वे ऑडियो-विज़ुअल टूल का उपयोग करके वर्चुअल सिटी भ्रमण और वास्तविक जीवन की बातचीत का अभ्यास भी करेंगे। कला और संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करते हुए, छात्र विभिन्न भाषाओं में देशभक्ति के गीत गाने, स्थानीय वाद्ययंत्रों की पहचान करने, नृत्य की मुद्रा सीखने और वीडियो या अतिथि वक्ताओं के माध्यम से स्थानीय कला से जुड़ने जैसी गतिविधियों के साथ संगीत, नृत्य और पेंटिंग का पता लगाएंगे। छात्र मसालों, सब्जियों और फलों के नाम भी सीखेंगे और शिक्षकों की सहायता से पारंपरिक व्यंजन तैयार करेंगे। वे स्थानीय संस्कृति की सराहना करेंगे, श्रवण कौशल को बढ़ाएंगे और विभिन्न क्षेत्रों के राष्ट्रीय नायकों के बारे में जानेंगे। भूगोल और इतिहास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वे भौतिक मानचित्रों और ऑडियो-विज़ुअल संसाधनों का उपयोग करके नदियों, पहाड़ों और ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में जानेंगे। शिविर का समापन प्रेरक सत्रों, छात्र प्रदर्शनों, प्रश्नोत्तरी और प्रमाण पत्र वितरण के साथ होगा।
भारतीय भाषाओं में प्राइमर
भारतीय भाषाओं में प्राइमर विशेष रूप से बच्चे की मातृभाषा, घर या स्थानीय भाषा का उपयोग करके मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) का समर्थन करने के लिए विकसित किए गए हैं। इन प्राइमर का उद्देश्य शिक्षार्थी की मूल भाषा में संदर्भ-समृद्ध सामग्रियों के माध्यम से प्रारंभिक स्तर पर पढ़ने और लिखने की सुविधा प्रदान करना है; कम उम्र से भाषा के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक सम्बंध को बढ़ावा देना और संज्ञानात्मक विकास और सामाजिक एकीकरण के आधार के रूप में बहुभाषी सीखने का समर्थन करना। सीआईआईएल और एनसीईआरटी द्वारा पहले से विकसित 104 भाषा प्राइमर सभी उम्र के लोगों के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) के लिए महत्वपूर्ण हैं। छोटे बच्चों के लिए, ये प्राइमर भविष्य की शिक्षा और संज्ञानात्मक विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं। बड़े निरक्षर व्यक्तियों के लिए, वे सशक्तिकरण प्रदान करते हैं, दैनिक जीवन को बेहतर बनाते हैं और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देते हैं।
अब तक 13 भाषाओं में प्राइमर तैयार किए जा चुके हैं, जिनमें कश्मीरी (फारसी-अरबी), सिंधी (देवनागरी), सिंधी (फारसी-अरबी), कश्मीरी (देवनागरी), बाल्टी, संताली, ज़ेमी, उर्दू, संगतम, लाई (पावी), गोंडी-तेलुगु, भीली (वागड़ी) और चोकरी शामिल हैं। कुल प्राइमर की संख्या 117 हो गई है। भारतीय भाषाओं में ये प्राइमर केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल) और एनसीईआरटी तथा एनसीईआरटी द्वारा विकसित विशेष मॉड्यूल द्वारा विकसित किए गए हैं। प्राइमर https://ncert.nic.in/primers.php पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
विशेष मॉड्यूल
एनसीईआरटी ने विभेदन चरणों यानि आधारभूत, प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक चरणों के लिए विशेष मॉड्यूल विकसित किए हैं और राष्ट्रीय उपलब्धियों और घटनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ये मॉड्यूल विभिन्न विषयों पर आधारित हैं, जिनमें पांचवीं आर्थिक शक्ति के रूप में भारत; भारत - लोकतंत्र की जननी; भारत की डिजिटल सफलता और शक्ति; कोविड-19 प्रबंधन; एशियाई खेलों में सफलता; स्वच्छता और विरासत और विकास आदि शामिल हैं। इन मॉड्यूल में कई गतिविधियों और उम्र के अनुकूल सामग्री है जो छात्रों में हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति गर्व की भावना पैदा करती है। इन मॉड्यूल की सामग्री को सोच-समझकर बात-चीत शैलीगत और आकर्षक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें ग्राफिक्स, तस्वीरें, चित्र, गतिविधियां, चुनौतीपूर्ण प्रश्न और बहुत कुछ शामिल हैं। ये मॉड्यूल स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों, कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। मॉड्यूल में कहानियां, मामले, प्रश्नोत्तरी प्रश्न और गतिविधियां शामिल हैं, जो छात्रों के बीच स्वयं-गति से सीखने को प्रेरित करने और शिक्षकों को अनुभवात्मक शिक्षण की सुझाई गई शिक्षा पद्धति के माध्यम से अपने छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
विशेष मॉड्यूल का शुभारंभ भारत की "सांस्कृतिक पहचान के रूप में भाषा" और "सशक्तिकरण के रूप में शिक्षा" में विश्वास को दर्शाता है। पाठ्यक्रम डेवलपर्स, शिक्षकों, भाषाविदों और नीति निर्माताओं सहित शैक्षिक इको-सिस्टम के सभी हितधारक भारत की बहुभाषी और लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम की उपलब्धि के लिए आयोजित समारोह के अवसर पर एकत्र हुए। विशेष मॉड्यूल यहां उपलब्ध हैं:
https://ncert.nic.in/special_modules.php.
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एमजी/केसी/वीके/एसके
(रिलीज़ आईडी: 2129969)
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