भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
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प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने 'सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठनों के नवाचार संबंधी उत्कृष्टता के संकेतकों के मूल्यांकन’ (दूसरा दौर) से संबंधित ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की

Posted On: 29 APR 2025 7:25PM by PIB Delhi

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय ने आज “सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठनों के नवाचार संबंधी उत्कृष्टता के संकेतकों के मूल्यांकन”  (दूसरा दौर) से संबंधित अध्ययन रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारत के सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान संबंधी इकोसिस्टम में नवाचार संबंधी प्रदर्शन के मानकों को निर्धारित करना और उन्हें बेहतर बनाना है। मूल्यांकन संबंधी ढांचे को मजबूत करने हेतु अपनी विशेषज्ञता का योगदान देते हुए, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा प्रौद्योगिकी, नवाचार एवं आर्थिक अनुसंधान केन्द्र (सीटीआईईआर) ने इस अध्ययन के लिए ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने आज नई दिल्ली में आयोजित 15वें सीआईआई ग्लोबल इनोवेशन एंड आईपी समिट 2025 के दौरान इस रिपोर्ट को जारी किया। इस कार्यक्रम में पीएसए कार्यालय के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी, पीएसए फेलो श्री बी.एन. सत्पथी, सलाहकार/वैज्ञानिक 'जी' डॉ. राकेश कौर, पीएसए कार्यालय की वैज्ञानिक 'डी' सुश्री रेम्या हरिदासन और वैज्ञानिक 'डी' हफ्सा अहमद और उद्योग जगत की वरिष्ठ हस्तियां, शोधकर्ता और शिक्षा एवं उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

इस अध्ययन में नवाचार संबंधी क्षमता एवं प्रभाव का मूल्यांकन करने से संबंधित एक ऐसा महत्वपूर्ण ढांचा पेश किया गया है, जिसे विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक जुड़ाव के माध्यम से विकसित तथा परिशुद्ध डेटा विश्लेषण द्वारा समर्थित किया गया है।

रिपोर्ट को जारी करने के अवसर पर बोलते हुए, प्रोफेसर सूद ने राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संबंधी प्रयासों को सामाजिक-आर्थिक प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने में मजबूत मूल्यांकन तंत्र के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट संस्थागत सुधार और नीति निर्माण के लिए एक रणनीतिक उपकरण के रूप में कार्य करती है। यह भारतीय विज्ञान एवं अनुसंधान को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी और सामाजिक रूप से प्रभावशाली बनाने की हमारी सामूहिक आकांक्षा को दर्शाता है।" उन्होंने आगे कहा कि यह रिपोर्ट एक नैदानिक उपकरण से कहीं बढ़कर है और यह डेटा-आधारित अंतर्दृष्टि एवं रणनीतिक बेंचमार्किंग के माध्यम से भारत की नवाचार क्षमताओं को मजबूत करने का एक रोडमैप है।

अपने विशेष संबोधन में, डॉ. मैनी ने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को परिवर्तनकारी समाधानों के रूप में साकार करने में सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये नवाचार संबंधी उत्कृष्टता के संकेतक अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के मूल्यांकन और बेंचमार्किंग के लिए एक मूल्यवान आधार प्रदान करते हैं, जो अंततः एक मजबूत एवं अपेक्षाकृत अधिक सशक्त नवाचार संबंधी इकोसिस्टम को बढ़ावा देते हैं।

अपने स्वागत भाषण में, सीआईआई राष्ट्रीय डिजाइन नवाचार समिति के अध्यक्ष तथा डायनामैटिक टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक डॉ. उदयंत मल्होत्रा ​​ने कहा कि भारत का अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम तेजी से डिजाइन-आधारित नवाचार द्वारा संचालित हो रहा है, जो सहयोग एवं रचनात्मकता के माध्यम से वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रहा है।

सीआईआई नेशनल कमेटी ऑन वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजीज के अध्यक्ष और री सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं ग्रुप सीईओ श्री मसूद मलिक ने कहा कि वेस्ट-टू-वर्थ प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास एक स्वच्छ भविष्य के लिए टिकाऊ समाधान और चक्रीय अर्थव्यवस्था के मॉडलों को सामने ला रहा है।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए, सीआईआई राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा समिति के उपाध्यक्ष और सामी-सबिन्सा समूह के ग्लोबल सीईओ एवं प्रबंध निदेशक श्री शाहीन मजीद ने कहा कि भारत के अनुसंधान एवं विकास की प्रगति के लिए एक ऐसा मजबूत आईपी ढांचा महत्वपूर्ण है, जो विज्ञान एवं उद्योग के क्षेत्र में नवाचार को सशक्त बनाए।

यह कवायद सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में उत्कृष्टता, जवाबदेही और नवाचार को बढ़ावा देने के प्रति भारत सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस अध्ययन में 21 मंत्रालयों के 240 से अधिक अनुसंधान एवं विकास संगठनों ने भाग लिया।

मूल्यांकन संबंधी ढांचा छह प्रमुख आयामों पर केन्द्रित थी- अनुसंधान संबंधी आउटपुट एवं गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं व्यावसायीकरण, सहयोग एवं उद्योग जगत के साथ जुड़ाव, बौद्धिक संपदा सृजन, सामाजिक एवं नीतिगत प्रभाव और मानव संसाधन विकास एवं क्षमता निर्माण। इन संकेतकों को विभिन्न संस्थानों में नवाचारों के प्रदर्शन से संबंधित समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था।

इस रिपोर्ट को जारी किए जाने के बाद, शिखर सम्मेलन में एक सत्र आयोजित किया गया जिसमें तकनीकी प्रगति के लिए प्रभावी सह-नवाचार इकोसिस्टम बनाने में अनुसंधान एवं विकास संबंधी साझेदारी को बढ़ावा देने की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई। प्रो. कमल किशोर पंत (निदेशक, आईआईटी रुड़की), डॉ. विभा मल्होत्रा ​​साहनी (वैज्ञानिक एच, सीएसआईआर मुख्यालय), डॉ. नागहनुमैया (निदेशक, केन्द्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान), श्री पी. एस. जयन (कॉरपोरेट प्रौद्योगिकी अधिकारी, कार्बोरंडम यूनिवर्सल) और डॉ. उमीश श्रीवास्तव (कार्यकारी निदेशक, प्रौद्योगिकी संवर्धन एवं पूर्वानुमान, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड) सहित विशेषज्ञों के एक पैनल ने अनुसंधान संगठनों, शिक्षाविदों, सरकार और उद्योग जगत के बीच सफल सहयोग हेतु विभिन्न रणनीतियों एवं मॉडलों पर चर्चा की। पैनल का संचालन डॉ. हफ्सा अहमद (वैज्ञानिक डी, पीएसए कार्यालय) ने किया।

रिपोर्ट यहां देखी जा सकती है: 

https://www.psa.gov.in/article/evaluation-innovation-excellence-indicators-public-funded-rd-organizations-round/9389

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एमजी/आरपीएम/केसी/आर


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