मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

आवारा कुत्ते

Posted On: 01 APR 2025 5:13PM by PIB Delhi

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246(3) के अनुसार पशुधन का संरक्षण, सुरक्षा और सुधार, साथ ही पशु रोगों की रोकथाम, पशु चिकित्सा प्रशिक्षण और अभ्यास, राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। अनुच्छेद 243(डब्ल्यू) और 246 के अनुसार स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का अधिकार है। तदनुसार स्थानीय निकाय आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू) कुत्तों के काटने और मानव रेबीज से संबंधित मानव स्वास्थ्य घटक के लिए जिम्मेदार है। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत बच्चों जैसे उच्च जोखिम वाले समूहों सहित जानवरों के काटने पर डेटा एकत्र किया जा रहा है और स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से देशभर में सभी जानवरों के काटने के पीड़ितों के लिए पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस के लिए आवश्यक प्रावधान किए जा रहे हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम-एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफ़ॉर्म पोर्टल के अनुसार, 2022 से 2025 (जनवरी तक) तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट किए गए कुत्ते के काटने के मामलों और संदिग्ध मानव रेबीज मौतों पर राज्यवार डेटा क्रमशः अनुलग्नक-I और अनुलग्नक-II में प्रदान किया गया है।

केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के स्थान पर पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 को अधिसूचित किया है। पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 में आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने, रेबीज को रोकने और मानव-कुत्ते संघर्ष को कम करने के लिए आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का प्रावधान है।

स्थानीय निकायों द्वारा पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम का गहन कार्यान्वयन गली के कुत्तों की अधिक जनसंख्या और रेबीज की घटनाओं को नियंत्रित करने का एकमात्र तर्कसंगत और वैज्ञानिक समाधान है। कुत्तों की नसबंदी की जाती है और उन्हें उनके मूल निवास स्थान पर वापस छोड़ दिया जाता है, और चूंकि कुत्ते क्षेत्रीय होते हैं, इसलिए वे अपने इलाके में ही रहते हैं और दूसरे पड़ोसी इलाकों के कुत्तों को अंदर नहीं आने देते। इन कुत्तों को सालाना टीका भी लगाया जाता है ताकि वे रेबीज से सुरक्षित रहें और अगर वे गलती से काट भी लें, तो वे रेबीज नहीं फैला सकते।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने स्ट्रीट डॉग्स जनसंख्या प्रबंधन, रेबीज उन्मूलन और मानव-कुत्ते संघर्ष को कम करने के लिए संशोधित पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) मॉड्यूल प्रकाशित किया है।

इसके अलावा भारतीय पशु कल्याण बोर्ड देशभर में आवारा कुत्तों के बंध्‍याकरण और टीकाकरण कार्यक्रम को चलाने के लिए मान्यता प्राप्त पशु कल्याण संगठनों को पशु जन्म नियंत्रण परियोजना मान्यता प्रदान करता है। इसके अलावा भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आवारा कुत्तों के उचित कल्याण के लिए निम्नलिखित सलाह/दिशानिर्देश जारी किए हैं:

  • पालतू कुत्ते और सड़क के कुत्ते परिपत्र दिनांक 26.02.2015
  • सामुदायिक पशुओं को गोद लेने के लिए मानक प्रोटोकॉल दिनांक 17.05.2022
  • सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिवों से पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के प्रावधानों को लागू करने का अनुरोध दिनांक 27.03.2023
  • शहरी विकास और पशुपालन के प्रमुख सचिव के साथ-साथ सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सभी जिलों के नगर निगम आयुक्त को पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के प्रावधान को लागू करने के लिए दिनांक 31.03.2023 का अनुरोध
  • सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेट से पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के प्रावधान को लागू करने का अनुरोध दिनांक 30.05.2023

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के माध्यम से प्रमुख हितधारक मंत्रालयों और विभागों के समन्वय से 2030 तक भारत में रेबीज उन्मूलन के लिए सभी आवश्यक गतिविधियों को लागू कर रहा है। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 2030 तक कुत्तों द्वारा नियंत्रित रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीआरई) के तहत रेबीज उन्मूलन के लिए प्रत्येक हितधारक मंत्रालय/विभाग की एक परिभाषित भूमिका और जिम्मेदारियां हैं।

देशभर में रेबीज उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू) द्वारा की गई गतिविधियों का विवरण नीचे अनुलग्नक-III में दिया गया है

सरकार ने आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम की प्रभावशीलता का औपचारिक मूल्यांकन नहीं किया है; हालांकि यह समस्या के प्रबंधन के लिए प्राथमिक तंत्र बना हुआ है। कार्यक्रम की प्रभावशीलता कई अनिवार्य प्रावधानों पर निर्भर है, जिसमें प्रत्येक परियोजना के लिए पशु जन्म नियंत्रण परियोजना मान्यता, केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर निगरानी और कार्यान्वयन समितियों का गठन और अन्य नियामक उपाय शामिल हैं। हालाँकि, कार्यान्वयन चुनौतियों के कारण इसकी प्रभावशीलता अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है।

इसके अलावा प्राप्त जानकारी के अनुसार बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम की प्रभावशीलता का आकलन किया है। वर्ष 2019 और 2023 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले सर्वेक्षण की तुलना में 2023 में स्ट्रीट डॉग की आबादी में 10 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं, बंध्‍याकरण प्रतिशत में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

अनुबंध-1

आईडीएसपी में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दर्ज किए गए कुत्ते के काटने के मामले (2022-25 तक)

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

2022

(जनवरी-दिसंबर)

2023

(जनवरी-दिसंबर)

2024

(जनवरी-दिसंबर)

2025

(जनवरी)

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह

345

528

455

52

आंध्र प्रदेश

192360

212146

245174

23180

अरुणाचल प्रदेश

2501

4409

6388

714

असम

39919

94945

166232

20900

बिहार

141926

241827

263930

34442

चंडीगढ़

5365

11782

8644

754

छत्तीसगढ

21365

29221

38268

5159

दिल्ली

6691

17874

25210

3196

दादर नागर हवेली और दमन दीव

4169

5921

7926

620

गोवा

8057

11904

17236

1789

गुजरात

169363

278537

392837

53942

हरियाणा

35837

42690

60417

7787

हिमाचल प्रदेश

15935

21096

22909

2135

जम्मू और कश्मीर

22110

34664

51027

4824

झारखंड

9539

31251

43874

5344

कर्नाटक

163356

232715

361494

39437

केरल

4000

71606

115046

11649

लद्दाख

2165

2569

4078

373

लक्षद्वीप

0

0

0

0

मध्‍य प्रदेश

66018

113499

142948

16710

महाराष्ट्र

393020

472790

485345

56538

मणिपुर

4450

2964

9257

798

मेघालय

5302

9611

17784

2466

मिजोरम

891

1141

1873

179

नगालैंड

452

600

714

85

ओडिशा

65396

92848

166792

24478

पुदुचेरी

11937

13006

12148

894

पंजाब

15519

18680

22912

2164

राजस्थान

88029

103533

140543

15062

सिक्किम

3845

6636

8601

840

तमिलनाडु

364435

441796

480427

48931

तेलंगाना

92924

119014

121997

10424

त्रिपुरा

3051

6510

9641

1266

उत्तराखंड

15649

25623

23091

1790

उत्‍तर प्रदेश

191361

229921

164009

20478

पश्चिम बंगाल

22627

48664

76486

10264

कुल

21,89,909

30,52,521

37,15,713

4,29,664

* डेटा स्रोत आईडीएसपी/आईएचआईपी 27-2-2025 तक

अनुबंध-II

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट किए गए मानव रेबीज मामले (मृत्यु) (2022-25 तक)

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

2022
(
जनवरी-दिसंबर)

2023
(
जनवरी-दिसंबर)

2024
(
जनवरी-दिसंबर)

2025
(
जनवरी)

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह

0

0

0

0

आंध्र प्रदेश

3

0

1

0

अरुणाचल प्रदेश

0

0

1

0

असम

0

3

1

1

बिहार

1

3

2

0

चंडीगढ़

1

0

0

0

छत्तीसगढ

0

1

0

0

दिल्ली

0

0

0

0

दादर नागर हवेली और दमन दीव

0

0

0

0

गोवा

0

0

0

0

गुजरात

0

3

1

0

हरियाणा

0

0

0

0

हिमाचल प्रदेश

1

1

3

0

जम्मू और कश्मीर

0

0

0

0

झारखंड

0

1

1

0

कर्नाटक

3

4

5

0

केरल

0

1

3

0

लद्दाख

0

0

0

0

लक्षद्वीप

0

0

0

0

मध्‍य प्रदेश

1

2

6

0

महाराष्ट्र

7

14

14

0

मणिपुर

1

3

2

0

मेघालय

0

1

4

0

मिजोरम

0

0

0

0

नगालैंड

0

0

0

0

ओडिशा

0

1

0

0

पुदुचेरी

0

0

0

0

पंजाब

1

0

0

0

राजस्थान

0

3

0

0

सिक्किम

0

0

0

0

तमिलनाडु

2

5

2

0

तेलंगाना

0

0

0

0

त्रिपुरा

0

1

1

0

उत्तराखंड

0

0

0

0

उत्तर प्रदेश

0

3

6

0

पश्चिम बंगाल

0

0

1

0

कुल

21

50

54

1

* डेटा स्रोत आईडीएसपी/आईएचआईपी 27-2-2025 तक

अनुबंध-III

देशभर में रेबीज उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू) द्वारा की गई गतिविधियां इस प्रकार हैं:

  1. एनएपीआरई का शुभारंभ:- 'राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम' के अंतर्गत, "2030 तक कुत्तों द्वारा फैलाई जाने वाली रेबीज के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना" (एनएपीआरई) की संकल्पना की गई और इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू) द्वारा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएचडी) के सहयोग से 28 सितंबर, 2021 को संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया। एनएपीआरई दिशा-निर्देशों में दो घटक शामिल हैं: मानव स्वास्थ्य और पशु स्वास्थ्य। मानव स्वास्थ्य घटक का कार्यान्वयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत 'राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र' (एनसीडीसी) द्वारा समर्पित बजटीय सहायता के साथ किया जाता है, जबकि पशु स्वास्थ्य घटक का कार्यान्वयन एमओएफएएचडी के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा किया जाना है। पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के अनुसार स्थानीय निकाय अधिकारियों के सहयोग से पशुपालन विभाग द्वारा सामूहिक रूप से कुत्तों का टीकाकरण और कुत्तों की जनसंख्या प्रबंधन किया जा रहा है।
  1. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत राज्यों को बजटीय सहायता: "राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन" के अंतर्गत, राज्यों को स्वास्थ्य कर्मचारियों के क्षमता निर्माण, रेबीज टीकों की खरीद, रेबीज और कुत्ते के काटने की रोकथाम के लिए आईईसी की छपाई, डेटा प्रविष्टि सहायता, समीक्षा बैठकें, निगरानी और निरीक्षण, मॉडल एंटी रेबीज क्लीनिक और घाव धुलाई सुविधाओं की स्थापना के लिए बजट के माध्यम से 'राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम' (एनआरसीपी) को लागू करने के लिए बजट प्रदान करके सहायता प्रदान की जा रही है।
  1. स्वास्थ्य सुविधाओं में एआरवी और एआरएस की उपलब्धता: - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की राष्ट्रीय निःशुल्क दवा पहल के तहत सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में एंटी-रेबीज वैक्सीन (एआरवी) और एंटी-रेबीज सीरम (एआरएस)/रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (आरआईजी) जैसी जीवनरक्षक दवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। ये दवाएँ राज्यों की आवश्यक दवा सूची में भी शामिल हैं।
  1. एनआरसीपी के तहत सप्रे के लिए कार्यशालाएं आयोजित की गईं: - 'रेबीज उन्मूलन के लिए राज्य कार्य योजना' (सप्रे) विकसित करने के लिए पिछले दो वर्षों में दक्षिणी राज्यों, पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तरी क्षेत्र के राज्यों और दिल्ली के लिए क्षेत्रीय स्तर की कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। राजस्थान, पुडुचेरी, मेघालय, मिजोरम, तमिलनाडु ने पहले ही अपने सप्रे शुरू कर दिए हैं, जबकि कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, असम, मणिपुर, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली ने अभी तक अपने सप्रे शुरू नहीं किए हैं। बाकी अन्य राज्य अपने सप्रे का मसौदा तैयार कर रहे हैं।
  1. राज्यों में आदर्श एंटी-रेबीज क्लीनिकों की स्थापना: कुत्तों के काटने से पीड़ित लोगों की देखभाल के लिए जिलों में "मॉडल एंटी-रेबीज क्लीनिक" स्थापित करने के लिए राज्यों के स्वास्थ्य विभागों को सहायता प्रदान की जा रही है। अब तक, पिछले तीन वर्षों में 279 मॉडल एंटी-रेबीज क्लीनिक चालू हो चुके हैं।
  1. रेबीज निदान के लिए डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं को मजबूत करना: - देशभर में चयनित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में रेबीज निदान के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की 14 डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं को मजबूत किया गया है।
  1. राज्यों को परामर्श और संचार पत्र जारी: - स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू), भारत सरकार (जीओआई) द्वारा सभी राज्यों को परामर्श जारी किया गया, जिसमें उनसे प्रासंगिक अधिनियमों के तहत मानव रेबीज को अधिसूचित रोग के रूप में वर्गीकृत करने का आग्रह किया गया। वर्तमान में 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मानव रेबीज अधिसूचित है। इसके अतिरिक्त, निगरानी, ​​एआरवी/एआरएस की उपलब्धता, कुत्ते के काटने और रेबीज मामलों के प्रबंधन पर हितधारकों को प्रशिक्षण, मॉडल एंटी रेबीज क्लीनिक की स्थापना, सार्वजनिक अस्पतालों और केंद्रों में घाव धोने की सुविधा सुनिश्चित करने के माध्यम से राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को विभिन्न संचार भेजे गए हैं।
  1. रेबीजमुक्त शहर पहल: - रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए टियर 1 और टियर 2 शहरों को लक्षित करते हुए चरणबद्ध तरीके से रेबीजमुक्त शहर पहल शुरू की गई है। यह पहल 6 राज्यों के 15 शहरों में लागू की जा रही है और इसे देशभर के 114 शहरों में विस्तारित करने की योजना है।
  1. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर समितियों का गठन: - देश में कार्यक्रम के समग्र संचालन और नियामक तंत्र के लिए नीति, कानून औरपशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) के सचिव की सह-अध्यक्षता में रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संयुक्त संचालन समिति (एनजेएससी-आरई) का गठन किया गया है। इसी तरह, विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर कार्यक्रम प्रभाग को सलाह देने के लिए डीजीएचएस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समिति (एनटीएसी) का गठन किया गया था। एनजेएससी के अनुरूप; एनआरसीपी के तहत कार्यक्रम की प्रगति की नियमित समीक्षा के लिए राज्यों और जिलों में रेबीज उन्मूलन के लिए राज्य और जिला स्तरीय संयुक्त संचालन समितियां स्थापित की गई हैं।
  1. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत दिशानिर्देश और संसाधन दस्तावेज विकसित करना: - चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए रेबीज प्रोफिलैक्सिस और प्रशिक्षण मॉड्यूल पर विभिन्न दिशानिर्देश विकसित किए गए हैं और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में प्रसारित किए गए हैं।
  1. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम : - सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पशु काटने के उचित प्रबंधन और रेबीज पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) पर स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए कई प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं। वर्ष 2019 से 2025 (फरवरी 2025 तक) तक लगभग 1,66,470 चिकित्सा अधिकारियों, पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सों को कुत्ते के काटने के प्रबंधन में प्रशिक्षित किया गया है।
  1. कुत्ते के काटने और रेबीज के बारे में सामुदायिक जागरुकता: - वकालत, संचार और सामाजिक लामबंदी अभियानों के माध्यम से रेबीज की रोकथाम के बारे में सामुदायिक जागरुकता बढ़ाई जा रही है। जनता और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को जागरूक करने के लिए चिकित्सा अधिकारियों के लिए कुत्ते के काटने के प्रोटोकॉल, आईईसी सामग्री और पशु काटने/कुत्ते के काटने के मामलों के प्रबंधन पर प्रशिक्षण वीडियो बनाए गए हैं और पूरे देश में प्रसारित किए गए हैं। संदर्भ: https://rabiesfreeindia.mohfw.gov.in/iec
  1. "विश्व रेबीज दिवस" ​​का पालन: - रेबीज के बारे में जागरुकता को और बढ़ावा देने के लिए, "विश्व रेबीज दिवस" ​​हर साल 28 सितंबर को राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर मनाया जाता है। इस आयोजन के दौरान, कुत्तों को संभालने के लिए क्या करें और क्या नहीं करें, कुत्ते के काटने के मामलों और रेबीज टीकाकरण के महत्व पर जागरुकता गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। खासकर बच्चों के लिए स्कूलों में।
  1. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के लिए समर्पित वेबसाइट बनाई गई: - जानवरों के काटने, संदिग्ध/संभावित/पुष्टि किए गए रेबीज मामलों/मृत्युओं और टीकाकरण कार्यक्रमों की निगरानी और रिपोर्टिंग बढ़ाने के लिए 12 मार्च 2024 को एक समर्पित राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम वेबसाइट शुरू की गई है, जिसका वेब-आधारित पोर्टल वर्तमान में विकास के अधीन है। संदर्भ: https://rabiesfreeindia.mohfw.gov.in/
  1. रेबीज हेल्पलाइन: - हिंदी और अंग्रेजी में एक समर्पित रेबीज हेल्पलाइन (15400) पहले चरण में पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, दिल्ली, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और असम) के लिए लागू की जा रही है, जिसे बाद में अन्य राज्यों में विस्तारित करने की योजना है।
  1. राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत निगरानी तंत्र को मजबूत करना : - इस कार्यक्रम ने रेबीज के मामलों और जानवरों के काटने की निगरानी बढ़ा दी है। राज्य मासिक आधार पर कुत्ते के काटने और रेबीज से होने वाली मौतों के मामलों को संकलित कर रहे हैं और डेटा को एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) पोर्टल पर अपलोड कर रहे हैं।

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 1 अप्रैल, 2025 को लोकसभा में यह जानकारी दी।

 

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एमजी/केसी/पीसी/ओपी


(Release ID: 2120516)
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