कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
एमएसडीई ने इंडिया स्किल्स एक्सेलेरेटर लांच करने के लिए विश्व आर्थिक मंच के साथ साझेदारी की
Posted On:
08 APR 2025 7:56PM by PIB Delhi
भारत के कौशल विकास लक्ष्य को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सहयोग से नई दिल्ली के कौशल भवन में आयोजित एक उच्च स्तरीय राउंड टेबल सम्मेलन में “इंडिया स्किल्स एक्सेलेरेटर” पहल पर विचार-विमर्श किया।

इंडिया स्किल्स एक्सेलेरेटर एक राष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी सहयोग मंच के रूप में कार्य करेगा, जिसे बहु-हितधारक दृष्टिकोण की मांग करने वाली जटिल चुनौतियों पर नवीन विचारों को सामने लाने और प्रणालीगत प्रगति को आगे बढ़ाने में अंतर-क्षेत्रीय प्रयासों को सक्षम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अपने मूल में, एक्सेलेरेटर का उद्देश्य तीन महत्वपूर्ण स्तरों पर परिवर्तन को उत्प्रेरित करना है: i) भविष्य की कौशल आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता में सुधार और मानसिकता में बदलाव करके, ii) हितधारकों के बीच सहयोग और ज्ञान साझाकरण को बढ़ाना और iii) अधिक अनुकूल और उत्तरदायी कौशल इकोसिस्टम का समर्थन करने के लिए संस्थागत संरचनाओं और नीति ढांचे को उन्नत करने के लिए प्रतिबद्ध होना।
भारत में तेजी से तकनीकी और आर्थिक बदलाव हो रहे हैं, ऐसे में कौशल अंतराल - जिसे 65 प्रतिशत संगठनों ने एक बड़ी बाधा बताया है - प्रगति को धीमा करने का खतरा है। एक्सेलेरेटर का उद्देश्य समावेशी कौशल उन्नयन और रीस्किलिंग के माध्यम से इन अंतरालों को कम करना, आजीवन शिक्षा में निवेश को बढ़ावा देना और सरकार-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना है। तेजी से करियर में बदलाव लाने, स्केलेबल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने और शिक्षा को उद्योग की जरूरतों के साथ जोड़ने के जरिए - खास तौर पर एआई, रोबोटिक्स और ऊर्जा जैसे उच्च विकास वाले क्षेत्रों में - यह पहल भारत के युवाओं को सशक्त बनाएगी और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल विकास को बढ़ावा देगी।
इस पहल की प्रशासनिक संरचना में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रमुख हितधारक शामिल हैं, जिसका नेतृत्व और सह-अध्यक्षता कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी तथा सह-अध्यक्षता शिक्षा और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय डॉ. सुकांत मजूमदार द्वारा की गई। इसमें दो निजी सह-अध्यक्ष भी होंगे - अपोलो हेल्थको की कार्यकारी अध्यक्ष सुश्री शोभना कामिनेनी और बजाज फिनसर्व के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री संजीव बजाज।
अपने प्रारंभिक भाषण में श्री जयंत चौधरी ने एक युवा, गतिशील राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सामूहिक महत्वाकांक्षा और कौशल में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की जनसांख्यिकीय क्षमता को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब कौशल प्रणाली सक्रिय, समावेशी तथा वैश्विक अवसरों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप बनी रहे। श्री चौधरी ने कहा की "भारत आज तीन शक्तिशाली शक्तियों - जनसांख्यिकीय लाभ, डिजिटल परिवर्तन और गहन विकास प्रतिबद्धता के संगम पर खड़ा है।" दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी और एक जीवंत प्रतिभा इकोसिस्टम के साथ, हम दुनिया की प्रतिभा राजधानी बनने के लिए अद्वितीय स्थिति में हैं"। उन्होंने यह भी कहा कि एक्सेलेरेटर केवल संवाद के लिए एक मंच नहीं है, बल्कि प्रणालीगत परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक है, जिसमें साझा जवाबदेही, नवाचार और लक्षित समाधान शामिल हैं। श्री चौधरी ने कहा, "यह स्पष्ट और सार्थक संवाद में शामिल होने का एक अवसर है - जो डेटा पर आधारित है और परिणामों पर केंद्रित है।"
श्री जयंत चौधरी ने क्षेत्रीय फोकस के महत्व पर प्रकाश डाला, सर्वेक्षणों और साक्ष्यों के माध्यम से हमारी वर्तमान स्थिति का मानचित्रण किया तथा जीसीसी, उन्नत विनिर्माण और अनौपचारिक कार्यबल के औपचारिकीकरण जैसे उभरते क्षेत्रों को प्राथमिकता दी।
सह-अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार ने अगली पीढ़ी की प्रतिभाओं के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्वयं को स्थापित करने के लिए भारत के पास मौजूद रणनीतिक अवसर का वर्णन किया। उन्होंने भारत की कौशल संरचना में प्रतिस्पर्धात्मकता को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया - विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में - ताकि भारत न केवल अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि विश्व के लिए भी कुशल बन सके। उन्होंने कहा कि यह एक्सेलेरेटर इस वैश्विक महत्वाकांक्षा को मापने योग्य परिणामों में परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने आगे कहा कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से, हमने परिवर्तनकारी बदलावों की शुरुआत की है जैसे - लचीलेपन, पेशेवर मार्गों और डिजिटल कौशल को बढ़ावा देना। केन्द्र और राज्यों को शामिल करते हुए कार्यान्वयन का हमारा संघीय मॉडल डब्ल्यूईएफ जैसे वैश्विक मंचों के लिए भी मूल्यवान सीख के रूप में काम कर सकता है।‘
विश्व आर्थिक मंच की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा, "तेजी से हो रहे तकनीकी और श्रम बाजार में बदलाव के संदर्भ में, भारत द्वारा स्किल्स एक्सेलेरेटर कार्यक्रम का शुभारंभ, अपने कार्यबल को भविष्य के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कौशल इकोसिस्टम को मजबूत करके, यह पहल भारत के डिजिटल विकास और कौशल विकास में मदद करेगी। एक नवाचार-संचालित अर्थव्यवस्था के रूप में तथा एक ऐसी अर्थव्यवस्था के रूप में जो तेजी से विकसित हो रहे श्रम जगत में अधिक लोगों को सफल होने में सक्षम बनाती है, हम इस महत्वपूर्ण कदम का समर्थन करते हुए प्रसन्न हैं और इससे बड़े पैमाने पर होने वाले प्रभाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
राउंड टेबल सम्मेलन के दौरान, विशेषज्ञों ने भारत के प्रतिभा इकोसिस्टम का व्यापक विश्लेषण करने तथा स्पष्ट और मापनीय परिणामों के साथ 10 से 12 उच्च प्रभाव वाली प्राथमिकताओं की पहचान करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित कार्य समूहों की स्थापना का भी आह्वान किया साथ ही डब्ल्यूईएफ के ग्लोबल लर्निंग नेटवर्क के माध्यम से प्रगति को ट्रैक करने के लिए समर्पित कार्य समूहों की स्थापना पर भी जोर दिया गया जो सहकर्मी शिक्षण और वैश्विक बेंचमार्किंग को सक्षम बनाता है। रणनीति को समन्वित कार्रवाई में परिवर्तित करने के लिए विविध हितधारकों की विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए विषयगत कार्य समूहों के महत्व पर भी समान रूप से बल दिया गया है। प्रतिभागियों ने नव-प्रवर्तित पहल को विश्व आर्थिक मंच की 'भविष्य की नौकरियों की 2025 रिपोर्ट' से प्राप्त अंतर्दृष्टि के साथ संरेखित करने पर भी विचार किया।
इस सत्र में विश्व आर्थिक मंच, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी), प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के प्रमुख प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की।

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