विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
मेटालो-नैनोजाइम के नए पहचाने गए गुण से जैव ऊर्जा और थेरेपी संबंधी इस्तेमाल में बदलाव हो सकता है
Posted On:
08 APR 2025 5:39PM by PIB Delhi
वैज्ञानिकों के अनुसार मेटालो-नैनोजाइम या कृत्रिम जैव उत्प्रेरक, प्राकृतिक एंजाइमों की नकल करते हैं। ये अपनी उत्प्रेरक गतिविधि के लिए धातु के आयनों का उपयोग करते हैं और इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण को नियंत्रित करने में सक्षम हैं, जो सेलुलर ऊर्जा को रेगुलेट करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मेटालो-नैनोजाइम के यह नए पहचान किए गए गुण जैविक प्रणालियों में सहजता से जुड़ते हैं। इससे स्थायी ऊर्जा उत्पादन, चिकित्सा आविष्कार और पर्यावरणीय समाधान संभव होते हैं।
नैनोजाइम वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। वर्तमान पीढ़ी के नैनोजाइम विशेष रूप से चिकित्सीय इस्तेमाल में कई समस्याएं उत्पन्न करते हैं। कई नैनोजाइम में अच्छी तरह से निर्धारित सक्रिय साइटों की कमी होती है, जो अनियंत्रित इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण और अवांछित साइड रिएक्शन का कारण बन सकती हैं।
अनियमित इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण दर के कारण इलेक्ट्रॉनों का रिसाव हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप विषाक्त प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियां (आरओएस) उत्पन्न हो सकती हैं और एटीपी उत्पादन प्रभावित हो सकता है और कोशिकीय शिथिलता तथा संबंधित जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इस चुनौती पर विजय पाने के लिए, अगली पीढ़ी के नैनोजाइमों को सावधानीपूर्वक तैयार किए गए सक्रिय साइटों के साथ डिजाइन किया जाना चाहिए, जो सब्सट्रेट के साथ अंतःक्रिया को ठीक से रेगुलेट करते हैं और इलेक्ट्रॉन प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।
सीएसआईआर-केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई), चेन्नई में इंस्पायर संकाय के फेलो डॉ. अमित वर्नेकर और उनके पीएचडी छात्र आदर्श फात्रेकर ने उत्प्रेरक-दर-डिजाइन रणनीति के साथ डिजाइन किए गए स्व-संयोजन नैनोजाइम, क्यू-फेन की भूमिका को चिन्हित किया है।
कॉपर आयनों (सीयू²⁺) से समन्वित एमिनो एसिड फेनिलएलनिन लिगैंड से बना और एक संयोजित नैनो-संरचना के साथ, सीयू-फैन कृत्रिम एंजाइम विकास में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। अनिर्धारित और खुले सक्रिय स्थलों वाले अन्य नैनोजाइमों के विपरीत, सीयू-फैन में एक अच्छी तरह से निर्धारित सक्रिय साईट के साथ एक सावधानीपूर्वक डिजाइन है, जो कोशिकाओं के ऊर्जा मार्गों में शामिल प्राकृतिक एंजाइमों के कार्यों की नकल करते हुए इलेक्ट्रॉन का सटीक स्थानांतरण सुनिश्चित करता है।
सीयू-फैन, इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉन दाता प्रोटीन, साइटोक्रोम सी के साथ एक रिसेप्टर-लिगैंड तरीके से बातचीत करके काम करता है, जो प्राकृतिक प्रणालियों में देखे जाने वाले तरीके के समान है। सीयू-फैन साइटोक्रोम सी के साथ विशिष्ट हाइड्रोफोबिक इंटरैक्शन को प्रेरित करता है और इसके बाद यह सीयू 2+ केंद्र में एक अद्वितीय प्रोटॉन-युग्मित इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण को पार करता है।

चित्र: माइटोकॉन्ड्रियल प्रोटीन साइटोक्रोम सी और सीयू-फैन के बीच परस्पर क्रिया को दर्शाता एक चित्रण, जो ऑक्सीजन को जल में अपचयन के लिए इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण पर प्रकाश डालता है।
यह घटना पानी में ऑक्सीजन को कुशलतापूर्वक कम कर देती है, जिससे आरओएस जैसे हानिकारक उपोत्पादों का निर्माण नहीं होता, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं तथा ऑक्सीडेटिव तनाव और अन्य बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
इन निष्कर्षों का विनियमित जैव ऊर्जा के लिए बड़ा प्रभाव हो सकता है, जहां इलेक्ट्रॉन प्रवाह को नियंत्रित करना सेलुलर ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। चूंकि नैनोजाइम कई प्रकार के इस्तेमाल में लोकप्रिय हो रहे हैं, इसलिए यह कार्य जैव प्रौद्योगिकी और ऊर्जा अनुसंधान के लिए अधिक उन्नत कृत्रिम एंजाइमों को डिज़ाइन करने का मार्ग प्रशस्त करने में भी मदद कर सकता है।
हाल ही में जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री ए में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कैसे सीयू-फैन की संरचना नियंत्रित इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण में सहायता करती है, जो इसे अन्य नैनोजाइमों से अलग बनाती है।
यह कार्य नैनोजाइम इंजीनियरिंग के भविष्य के लिए रोमांचक नई संभावनाओं को भी खोलता है, जहां सक्रिय साइट डिज़ाइन और इलेक्ट्रॉन प्रवाह विनियमन में सटीकता जैव-प्रेरित इस्तेमाल में कृत्रिम एंजाइमों की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए महत्वपूर्ण है। इन प्रगति के साथ, वैज्ञानिक अधिक स्मार्ट और अधिक कुशल एंजाइम जैसे उत्प्रेरक विकसित करने की सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं, जो जैविक प्रणालियों में सहजता से एकीकृत हो सकते हैं, जिससे टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन, चिकित्सा आविष्कार और पर्यावरणीय समाधान संभव हो सकते हैं।
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