कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

कृषि में नई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना

Posted On: 04 APR 2025 3:51PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के केंद्र प्रायोजित घटकों में से एक 'कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम)' राज्य सरकारों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। एसएमएएम के तहत किसानों को व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर कटाई के बाद और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न कृषि मशीनों और उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसानों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार किराये के आधार पर मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और ग्राम स्तरीय कृषि मशीनरी बैंक (एफएमबी) की स्थापना के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। एसएमएएम के तहत किसानों के खेतों पर किसान ड्रोन के प्रदर्शन, किसानों द्वारा व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर ड्रोन की खरीद और कृषि उद्देश्य के लिए किसानों को ड्रोन की सेवाएं प्रदान करने के लिए किसान ड्रोन के कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 3 वर्ष (2023-24 से 2025-26) की अवधि के दौरान 15,000 ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना 'नमो ड्रोन दीदी' को मंजूरी दी है, ताकि उन्हें स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता प्रदान की जा सके। प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एलएफसी) ने अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके 2023-24 में एसएचजी की ड्रोन दीदियों को 1,094 ड्रोन वितरित किए हैं। ड्रोन दीदियों को वितरित किए गए इन 1,094 ड्रोन में से 500 ड्रोन नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत वितरित किए गए हैं। योजना के तहत शेष 14,500 ड्रोन वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है।

सरकार ने सितंबर 2024 में 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है। इस मिशन का उद्देश्य देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि इको-सिस्टम को सक्षम करना है, ताकि किसान-केंद्रित डिजिटल समाधानों को आगे बढ़ाया जा सके और देश के सभी किसानों को समय पर और विश्वसनीय फसल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। इस मिशन में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली, व्यापक मृदा उर्वरता और प्रोफाइल मानचित्र और केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली अन्य आईटी पहलों का निर्माण शामिल है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के बारे में किसानों के सवालों का हल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित चैटबॉट 'किसान ई-मित्र' भी विकसित किया गया है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत संस्थान कीटनाशक और तरल उर्वरक अनुप्रयोगों की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के उद्देश्य से ड्रोन छिड़काव प्रणाली और बूंद जमाव विशेषताओं पर अनुसंधान कर रहे हैं। खेत की फसलों में अजैविक तनाव की वास्तविक समय पहचान के लिए एक एआई सक्षम मोबाइल डिवाइस विकसित किया गया है, जो फसल प्रजनन और सटीक फसल इनपुट प्रबंधन में सहायता करता है। संस्थानों ने विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकियों का भी विकास किया है जैसे अनार के युवा बागों के लिए स्मार्ट स्प्रेयर, पॉलीहाउस के लिए स्वचालित छिड़काव प्रणाली, प्लग-प्रकार की सब्जी की पौध के लिए लैब आधारित रोबोट ट्रांसप्लांटर, मानवरहित बहुउद्देश्यीय ट्रैक-प्रकार वाहन, विस्तृत अंतराल वाली खेत की फसलों के लिए स्वायत्त वीडर, पॉलीहाउस में उगाए गए टमाटरों के लिए रोबोट हार्वेस्टर छवि आधारित परिवर्तनीय दर नाइट्रोजन एप्लीकेटर, पोल्ट्री के लिए नियंत्रक आधारित फ़ीड डिस्पेंसिंग सिस्टम, फील्ड फसलों में स्पेक्ट्रल रिफ्लेक्टेंस और थर्मल इमेजिंग का उपयोग करके जल तनाव सूचकांक, चावल प्रत्यारोपण के लिए एक अनुलग्नक के रूप में डीप प्लेसमेंट उर्वरक एप्लीकेटर आदि।

सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी किए जाते हैं। एसएचसी उर्वरक, द्वितीयक सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ-साथ जैविक खादों और जैव-उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं। मिट्टी के नमूनों को मानक प्रक्रियाओं के माध्यम से संसाधित किया जाता है और 12 मापदंडों अर्थात पीएच, विद्युत चालकता, कार्बनिक कार्बन, उपलब्ध नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्वों (जस्ता, कॉपर, आयरन, मैंगनीज और बोरोन) के लिए विश्लेषण किया जाता है। एसएचसी मिट्टी की पोषक स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं और मिट्टी के स्वास्थ्य और इसकी उर्वरता में सुधार के लिए उर्वरकों की उचित खुराक और प्रकार पर सिफारिशें करते हैं। वर्ष 2014-15 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक, देशभर में 24.90 करोड़ एसएचसी बनाए जा चुके हैं। इस योजना के तहत देशभर में 1068 स्थैतिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 163 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 6,376 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 665 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। किसानों को शिक्षित करने के लिए देशभर में करीब 7.0 लाख प्रदर्शन, 93,781 किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम और 7,425 किसान मेले आयोजित किए गए हैं। इसके अलावा, किसानों को एसएचसी को समझने में सहायता करने के लिए 70,002 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया गया है।

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने शुक्रवार को राज्य सभा में यह जानकारी दी।

****

एमजी/केसी/पीसी/एचबी


(Release ID: 2118900)
Read this release in: English , Urdu , Tamil