मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
मत्स्यपालन क्षेत्र में उद्यमिता
प्रविष्टि तिथि:
01 APR 2025 3:32PM by PIB Delhi
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने मात्स्यिकी क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 8 मार्च, 2025 को हैदराबाद, तेलंगाना में फिशरीस स्टार्टअप कॉन्क्लेव का आयोजन किया है। कॉन्क्लेव के दौरान, 'फिशरीस स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 2.0' लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र में परिवर्तनकारी समाधान (ट्रांसफोरमेटिव सोल्यूशन्स) विकसित करने के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना और सीड फंडिंग और इनक्यूबेशन के साथ स्टार्टअप को सहायता प्रदान करके नवाचार, स्थिरता और दक्षता को बढ़ावा देना है। फिशरीज स्टार्टअप कॉन्क्लेव में 50 से अधिक फिशरीस स्टार्टअप की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिसमें उन्होने जलकृषि, मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी और वैल्यू एडिशन जैसे क्षेत्रों में अपने नवाचारों पर प्रकाश डाला। कॉन्क्लेव के प्रमुख परिणामों में नवाचार और सततता को बढ़ावा देने के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान, स्टार्ट अप उत्पादों और सेवाओं के प्रमाणीकरण के अवसर, फंडिंग तक पहुंच, मारकेट लिंकेज, प्रौद्योगिकी अपनाने और स्थायित्व संबंधी विषयों पर चुनौतियां और अवसर शामिल थे।
फिशरीस स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 2.0 के तहत, पांच समस्या विवरणों (प्रोब्लेम स्टेटमेंट्स) में से प्रत्येक के लिए दो स्टार्टअप विजेताओं का चयन किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप कुल 10 ग्रैंड विजेता होंगे। प्रत्येक विजेता स्टार्टअप को 10.00 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा, इस प्रकार सीड फंडिंग के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि सहायता होगी । विजेता स्टार्टअप को आईसीएआर, राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड और मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार के संबद्ध कार्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली इनक्यूबेशन सुविधाओं और मेंटरशिप तक पहुंच प्राप्त होगी। इस चुनौती द्वारा मात्स्यिकी के स्टार्टअप को उच्च-प्रभाव वाले सोल्यूशन्स विकसित करने, अपने इन्नोवेशन को बढ़ाने और भारत के मात्स्यिकी क्षेत्र के विकास और आधुनिकीकरण में योगदान करने का एक अनूठा अवसर प्राप्त होगा । इससे पहले, 13 जनवरी, 2022 को मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने इन्वेस्ट इंडिया, डीपीआईआईटी, भारत सरकार के तहत स्टार्टअप इंडिया के सहयोग से फिशरीज ग्रैंड चैलेंज 1.0 का आयोजन किया था, जिसमें 12 स्टार्टअप विजेताओं का चयन किया गया था और 10 विजेताओं को उनके विचारों को प्रभावी मूर्त रूप में बदलने के लिए इनक्यूबेशन सहायता और 20.00 लाख रुपए (सामान्य श्रेणी); 30.00 लाख रुपए (अनुसूचित जाति /अनुसूचित जन जाति /महिला) तक के सीड अनुदान सहित प्रत्येक को 2.00 लाख रुपये का नकद अनुदान दिया गया था, जो भविष्य में व्यावसायिक रूप लेगा । इसके अतिरिक्त, मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय,भारत सरकार ने प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के उद्यमी मॉडल के तहत 31.22 करोड़ रुपए की सब्सिडी सहायता के साथ 39 परियोजना प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी है।
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी, जलकृषि और मूल्य संवर्धन के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण मत्स्य उत्पादन, जलीय कृषि का विस्तार, विविध मतस्यों का पालन और गहनता, निर्यात उन्मुख प्रजातियों को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी का समावेश, सुदृढ़ रोग प्रबंधन और ट्रैसबिलिटी, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, निर्बाध कोल्ड चेन और प्रोसेसिंग सुविधाओं के साथ पोस्ट हारवेस्ट इन्फ्रास्ट्र्क्चर का निर्माण सहित फिशरीस वैल्यू चेन के साथ विविध हस्तक्षेप/गतिविधियों को सहायता प्रदान किया जा रहा है। पीएमएमएसवाई के तहत 3040.87 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 52,058 जलाशय केज, 22,057 आरएएस और बायोफ्लोक इकाइयों और रेसवे और 1,525 सी केज की स्थापना के माध्यम से प्रौद्योगिकी समावेशन और इन्हें अपनाने को प्रोत्साहित किया गया है। मत्स्यपालन विभाग ने फिशरीस स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और निजी इनक्यूबेटरों के तहत कई अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग किया है।
मत्स्यपालन विभाग ने पांच फिशरीज बिज़नेस इन्क्यूबेशन केंद्रों की स्थापना को सपोर्ट किया है, जिनके नाम हैं एलआईएनएसी-एनसीडीसी फिशरीज बिज़नेस इन्क्यूबेशन सेन्टर (एलएलएफआईसी), गुवाहाटी बायोटेक पार्क, असम, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (एमएएनएजीई), हैदराबाद, आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), मुंबई और आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी), कोच्चि, ताकि फिशरीस स्टार्ट-अप, सहकारी समितियों, एफपीओ और एसएचजी द्वारा बिज़नेस मॉडल विकसित करने के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय , भारत सरकार ने 9,558.91 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 66 फिशिंग हारबर (एफएच) और 50 फिश लैंडिंग सेन्टरों (एफएलसी) के निर्माण/आधुनिकीकरण को स्वीकृति दी है, जिससे लगभग 47,000 फिशिंग वेसल्स के लिए सुरक्षित लैंडिंग और बर्थिंग होने की उम्मीद है और 8.94 लाख मछुआरों और अन्य हितधारकों को लाभ होगा। वैश्विक मानकों, तकनीकी उन्नति, निर्बाध स्वच्छता और पोस्ट हार्वेस्ट मेनेजमेंट आदि के साथ 3 स्मार्ट और इन्टीग्रेटेड फिशिंग हारबर विकसित किए जा रहे हैं। फिशरीस इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलेपमेंट फंड (एफआईडीएफ) के तहत 5915.54 करोड़ रुपए की परियोजना लागत पर 141 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है। इसमें क्रमशः 4,905.77 करोड़ रुपए और 182.20 करोड़ रुपए के परिव्यय पर 22 फिशिंग हारबर और 24 फिश लैंडिंग सेन्टर्स की स्थापना/अपग्रेडेशन/रखरखाव शामिल है। इससे 6.16 लाख हितधारकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, तथा 2.5 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिसमें 33 निजी निवेश परियोजनाओं से 8,000 हितधारकों को लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) और फिशरीस एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड (एफआईडीएफ) के तहत मत्स्यपालन विभाग ने पोस्ट हारवेस्ट इंटरफेस जैसे कोल्ड स्टोरेज, फिश प्रोसेसिंग और मारकेटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को स्वीकृति दी है। प्रमुख पोस्ट हारवेस्ट और मारकेटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में शामिल हैं; 66 फिशिंग हार्बर / फिश लैंडिंग सेंटर, 634 आइस प्लांट / कोल्ड स्टोरेज, 3 स्मार्ट होलसेल मारकेट सहित 21 आधुनिक होलसेल फिश मारकेट, 202 रीटेल फिश मार्केट, 6694 फिश कियोस्क, मत्स्य परिवहन सुविधाओं की 27118 इकाइयां, 128 मूल्य वर्धित उद्यम, मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों के ई- ट्रेडिंग और ई-मार्केटिंग के लिए 5 ई-प्लेटफॉर्म। इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग ने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य एक डिजिटल मंच प्रदान करना और पारंपरिक मछुआरों, मत्स्य किसान उत्पादक संगठन, मात्स्यिकी क्षेत्र के उद्यमियों सहित सभी हितधारकों को ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए सशक्त बनाना है। इसके अतिरिक्त, पीएमएमएसवाई ने 544.85 करोड़ रुपए के परियोजना परिव्यय के साथ फिश फारमर्स प्रोड्यूसर ओरगेनाईजेशन्स (एफएफपीओ) के रूप में गठित होने के लिए 2195 मात्स्यिकी सहकारी समितियों को सहायता प्रदान की है, ताकि मछुआरों को बेहतर मारकेट लिंकेज, बेहतर बारगैनिंग पावर और उच्च रिटर्न के लिए सस्टेनेबल वैल्यू चेन की सुविधा मिल सके।
यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
*****
AA
(रिलीज़ आईडी: 2117258)
आगंतुक पटल : 144