मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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पशुधन उत्पादकता में सुधार

Posted On: 26 MAR 2025 2:45PM by PIB Delhi

पिछले 5 वर्षों में पशुपालन और डेयरी विभाग के लिए आवंटित और उपयोग की गई निधि का विवरण नीचे दिया गया है:

 

 

 

 

 

वर्ष

सकल योग (करोड़ रुपए में)

बजट अनुमान

संशोधित अनुमान

व्‍यय

2019-20

3342.65

3180.27

3131.05

2020-21

3704.13

3007.89

2967.56

2021-22

3599.98

3053.75

3008.68

2022-23

4288.84

3440.97

2660.82

2023-24

4687.85

4183.93

3485.50

2024-25 (**)

4931.24

4014.25

3143.10

 

 

 

 

(*\

 

 

(**) वर्ष 2024-25 के लिए अनंतिम व्यय 20.03.2025 तक

 

टीकाकरण अभियान में कोई देरी या कमी नहीं है। पशु स्वास्थ्य के लिए जोखिम को कम करने के लिए पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) के तहत विभाग सक्रिय रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सहयोग कर रहा है। यह पशुधन रोगों के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण आयोजित करके, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता को बढ़ाकर, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत कर और प्रशिक्षण, प्रचार और जागरूकता पहल को बढ़ावा देकर हासिल किया जाता है। एलएचडीसीपी के तहत, खुरपका और मुंहपका रोग (एमएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) के खिलाफ टीकाकरण सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भारत सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित है।

 

गुणवत्ता-परीक्षण किए गए टीकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कवरेज में सुधार हुआ है और अंतराल में उल्लेखनीय कमी आई है। जागरूकता कार्यक्रमों ने टीकाकरण प्रयासों की सफलता में और योगदान दिया है। फरवरी 2025 तक, संचयी टीकाकरण कवरेज एफएमडी के लिए 110.49 करोड़ डोज, ब्रुसेलोसिस के लिए 4.57 करोड़ डोज, पीपीआर के लिए 25.36 करोड़ डोज और सीएसएफ के लिए 0.70 करोड़ डोज है।

 

पशुपालन और डेयरी विभाग दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाते हुए स्वदेशी गौवंश नस्लों के विकास और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू कर रहा है। स्वदेशी मवेशियों को उनकी गर्मी सहनशीलता, प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता और भविष्य में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति न्यूनतम संवेदनशीलता के लिए जाना जाता है।

 

मंत्रालय यह सुनिश्चित कर रहा है कि डिजिटल उपकरणों तक सीमित पहुंच के बावजूद छोटे और सीमांत किसान पशुपालन में प्रौद्योगिकी अपनाने से वंचित न रहें। पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) और एनएलएम-ईडीपी पोर्टल गांव और क्षेत्रीय स्तर पर सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के साथ एकीकृत हैं, जिससे किसान सहायता के साथ योजनाओं तक पहुंच बना सकते हैं। बैंकों के साथ नियमित बातचीत से वित्तीय सहायता में और सुविधा होती है।

 

डेटा-संचालित पशुधन प्रबंधन को बढ़ाने के लिए, भारत पशुधन डेटाबेस में प्रजनन, कृत्रिम गर्भाधान, स्वास्थ्य सेवाएँ, टीकाकरण और उपचार जैसी क्षेत्रीय गतिविधियाँ दर्ज की जाती हैं, जिसमें 84 करोड़ से अधिक लेन-देन दर्ज किए गए हैं। पशु चिकित्सकों और विस्तार कार्यकर्ताओं सहित क्षेत्र के कर्मचारी इस प्रणाली तक पहुँचने में किसानों की सहायता करते हैं।

 

राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन के तहत, 1962 ऐप किसानों को भारत पशुधन डेटाबेस से जोड़ते हुए सर्वोत्तम विधियों, प्रजनन तकनीकों, टीकाकरण कार्यक्रमों और सरकारी योजनाओं पर प्रमाणित जानकारी प्रदान करता है। इसके अलावा, किसानों को उनके आवास पर मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से पशु चिकित्सा सेवाएँ प्राप्त करने के लिए टोल-फ्री नंबर 1962 उपलब्ध है।

 

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से परे, विभाग पशु चिकित्सा विस्तार सेवाओं, जागरूकता कार्यक्रमों और क्षेत्र प्रदर्शनों का लाभ उठा कर यह सुनिश्चित करता है कि प्रौद्योगिकी को अपनाना सीमित डिजिटल पहुंच वाले लोगों तक भी पहुंचे। मुद्रित आईईसी (सूचना, संचार अभियान) सामग्री भी सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) और पशु चिकित्सा अस्पतालों/औषधालयों/पशु चिकित्सा सहायता केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।

 

यह जानकारी केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने 26 मार्च, 2025 को राज्य सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी।

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एमजी/केसी/जेके/वाईबी  


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