मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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मत्स्यपालन क्लस्टर क्षेत्र

Posted On: 25 MAR 2025 5:53PM by PIB Delhi

मत्स्यपालन  विभाग,  मत्स्यपालन,  पशुपालन  और  डेयरी  मंत्रालय,  भारत  सरकार  ने  मात्स्यिकी  क्षेत्र  की  क्षमता  को  पहचानते  हुए,  2015  से,  पश्चिम  बंगाल  और  अंडमान  और  निकोबार  द्वीप  समूह  सहित  देश  में  मात्स्यिकी  और  जलीय  कृषि  के  समग्र  विकास  और  मछुआरों  के  कल्याण  के  लिए  38,572  करोड़  रुपए  की  योजनाओं  के  माध्यम  से  मात्स्यिकी  क्षेत्र  में  निवेश  को  काफी  बढ़ा  दिया  है।  योजनाओं  में  शामिल  हैं,  (i)  3,000  करोड़  रुपए  के  केंद्रीय  परिव्यय  के  साथ  वित्त  वर्ष  2015-16  से  2019-20  तक  लागू  की  गई  नीली  क्रांति  योजना  (ब्लू  रेवोल्यूशन  स्कीम)  ,  जिससे  कुल  5,000  करोड़  रुपए  का  निवेश  जुटाने  में  मदद  मिली,  (ii)  वित्त  वर्ष  2018-19  से  7,522.48  करोड़  रुपए  के  फंड  के  साथ  फिशरीज़  एंड  एक्वाकल्चर  इन्फ्रास्ट्रक्चर  डेवलपमेन्ट  फंड  लागू  किया  गया,  (iii)  20,050  करोड़  रुपए  के  निवेश  के  साथ  वित्त  वर्ष  2020-21  से  2024-25  तक  प्रधान  मंत्री  मत्स्य  संपदा  योजना  (पीएमएमएसवाई)  लागू  की  गई,  (iv)  6,000  करोड़  रुपए  के  कुल  परिव्यय  के  साथ  वित्त  वर्ष  2023-24  से  2026-27  तक  प्रधानमंत्री  मत्स्य  किसान  समृद्धि  सह  योजना  (पीएम-एमकेएसएसवाई)  लागू  की  गई।  इसके  अलावा,  भारत  सरकार  ने  किसान क्रेडिट  कार्ड  (केसीसी)  की  सुविधा  का विस्तार मछुआरों  और  मत्स्य  किसानों  तक  किया  है  ताकि  उनकी  कार्यशील  पूंजी  आवश्यकताओं  को  पूरा  करने  में   उन्हें सहायता प्रदान की जा सके ।

मत्स्यपालन  विभाग,  मत्स्यपालनपशुपालन  और  डेयरी  मंत्रालय  ने  विगत  चार  वर्षों  (2020-21  से  2023-24)  और  वर्तमान  वर्ष  (2024-25)  के  दौरान  देश  में  मात्स्यिकी  और  जलीय  कृषि  के  विकास  के  लिए  प्रधान मंत्री  मत्स्य  संपदा  योजना  के  अंतर्गत  8926.28  करोड़  रुपए  की  केंद्रीय  अंश  के  साथ  20,990.79  करोड़  रुपए  की  राशि  के  विभिन्न  राज्य  सरकारोंकेंद्र  शासित  प्रदेशों  और  अन्य  कार्यान्वयन  एजेंसियों  के  मात्स्यिकी  विकास  प्रस्तावों  को  मंजूरी  की गई   है।  इसमें  (i)  पश्चिम  बंगाल  सरकार  के  225.55  करोड़  रुपए  के  केंद्रीय  अंश  के  साथ  544.39  करोड़  रुपए  की  लागत  से  स्वीकृत  प्रस्ताव  और  (ii)  अंडमान  और  निकोबार  प्रशासन  के  31.23  करोड़  रुपए  की  केंद्रीय  अंश  के  साथ  58.67  करोड़  रुपए  की  लागत  से  स्वीकृत  प्रस्ताव  शामिल  हैं ।  प्रधानमंत्री  मत्स्य  संपदा  योजना  (पीएमएमएसवाई)  अन्य  बातों  के  साथ-साथ  मात्स्यिकी  क्षेत्र  की  प्रतिस्पर्धात्मकता  को  बढ़ानेआर्थिक  रूप  से  इस  क्षेत्र  को  व्यापक  रूप  देने  को  सुविधाजनक  बनानेउच्च  आय  उत्पन्न  करनेविकास  में  तेजी  लानेमात्स्यिकी  और  जलीय  कृषि  के  विस्तार  को  संगठित  तरीके  से  क्लस्टर  आधारित  दृष्टिकोण  अपनाने  का  प्रावधान  करती  है।  मत्स्यपालन  विभागभारत  सरकार  ने  पीएमएमएसवाई  के  अंतर्गत  मात्स्यिकी  और  जलीय  कृषि  के  विभिन्न  क्षेत्रों  में  क्लस्टरों  के  कार्यान्वयन  के  लिए  सभी  राज्य  सरकारों  और  केंद्र  शासित  प्रदेशों  को  “मात्स्यिकी  क्षेत्र  में  उत्पादन  और  प्रसंस्करण  क्लस्टरों  पर  मानक  संचालन  प्रक्रिया  (एसओपी)”  जारी  की  है।  राज्यों  और  केंद्र  शासित  प्रदेशों  को  मात्स्यिकी  और  जलीय  कृषि  के  विकास  के  लिए  क्लस्टर  आधारित  दृष्टिकोण  को  लागू  करने  की  सलाह  दी  गई  है।  अंडमान  और  निकोबार  प्रशासन  से  प्राप्त  अनुरोध  के  आधार  परपीएमएमएसवाई  के  अंतर्गत  अंडमान  और  निकोबार  द्वीप  समूह  में  टूना  फिशरीस   क्लस्टर  के  विकास  को  अधिसूचित  किया  गया  है।

भारत  सरकार  द्वारा  अधिसूचित  'राष्ट्रीय  समुद्री  मात्स्यिकी  नीति2017सतता  सुनिश्चित  करने  के  लिए  मात्स्यिकी  संसाधनों  के  संरक्षण  और  इष्टतम  उपयोग  के  मार्गदर्शक  सिद्धांत  प्रदान  करती  है।  मत्स्यपालन  विभागमत्स्यपालनपशुपालन  और  डेयरी  मंत्रालय  के  संरक्षण  उपाय  के  रूप  मेंवाणिज्यिक  मत्स्य  प्रजातियों  के  प्रमुख  प्रजनन  मौसम  के  दौरान  प्रतिवर्ष  पूर्वी  और  पश्चिमी  तटों  पर  भारत  के  ईईजेड  में  फिशिंग बैन  लागू  करता  रहा  है।  पश्चिम  बंगाल  और  अंडमान  और  निकोबार  के  तटों  सहित  पूर्वी  तट  परफिशिंग बैन   प्रतिवर्ष  15  अप्रैल  से  15  जून  तक  लागू  किया  जाता  है।  राज्य  और  केंद्र  शासित  प्रदेश  अपने  समुद्री  मात्स्यिकी  विनियमन  अधिनियम  के  माध्यम  सेमात्स्यिकी    के  सतत  प्रबंधन (सस्टेनेबल मेनेजमेंट)   में योगदान  करने  के  लिए  राज्य  और  केंद्र  शासित  प्रदेश  की  समुद्री  सीमा  में  भी  मत्स्यन  गतिविधियों  को  नियंत्रित  करते  हैं।  इसके  अलावाभारत  सरकार  ने  पेयर  या  बुल  ट्रॉलिंग  जैसी  हानिकारक  फिशिंग के तरीकों  और  ईईजेड  में   फिशिंग   के  लिए  एलईडी  या  आरटिफ़िशियल   लाइट  के  उपयोग  पर  प्रतिबंध  लगा  दिया  है।

यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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