पर्यटन मंत्रालय
पर्यटन उद्योग में वायु प्रदूषण रोकने के उपाय
Posted On:
24 MAR 2025 4:03PM by PIB Delhi
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए कई कारक सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र- एनसीआर में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बड़े स्तर पर मानव जनित गतिविधियां शामिल हैं, जैसे- वाहन प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस परियोजना गतिविधियों से धूल, सड़क और खुले क्षेत्रों की धूल, जैव ईंधन जलाना, नगर निगम के ठोस कचरे को जलाना, कचरा भराव क्षेत्र- लैंडफिल में आग, बिखरे हुए स्रोतों से वायु प्रदूषण आदि।
मानसून के बाद और सर्दियों के महीनों के दौरान, कम तापमान, कम मिश्रण ऊँचाई, बदली स्थिति और स्थिर हवाओं के कारण प्रदूषक फंस जाते हैं, जिससे क्षेत्र में उच्च प्रदूषण होता है। एनसीआर के राज्यों में पटाखे और पराली जलाने जैसी घटनाओं से होने वाले उत्सर्जन के कारण प्रदूषण भी बढ़ जाता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक वायु गुणवत्ता की स्थिति के बारे में लोगों के बीच प्रभावी संचार का एक उपकरण है, जिसे समझना आसान है। यह विभिन्न प्रदूषकों के जटिल वायु गुणवत्ता डेटा को एक एकल संख्या (सूचकांक मूल्य), नामकरण और रंग में बदल देता है। इसे वेब-आधारित प्रणाली को वास्तविक समय के आधार पर AQI प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक स्वचालित प्रणाली है जो मानव हस्तक्षेप के बिना निरंतर निगरानी स्टेशनों से डेटा प्राप्त करती है और औसत मूल्यों के आधार पर AQI प्रदर्शित करती है। मैनुअल मॉनिटरिंग स्टेशनों के लिए, एक AQI कैलकुलेटर विकसित किया गया है जिसमें AQI मान प्राप्त करने के लिए डेटा को मैन्युअल रूप से फीड किया जा सकता है। AQI मान 0 से 500 तक होता है। छह AQI श्रेणियां हैं, अर्थात् अच्छा, संतोषजनक, मध्यम रूप से प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर जो नीचे उल्लिखित हैं:
ए क्यू आई श्रेणी
|
ए क्यू आई श्रेणी मूल्य
|
अच्छा
|
0–50
|
संतोषजनक
|
51-100
|
मध्यम
|
101-200
|
खराब
|
201-300
|
बहुत खराब
|
301-400
|
गम्भीर
|
>400
|
दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्रोतों (परिवहन, निर्माण और विकास गतिविधियाँ, उद्योग आदि) से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई पहल की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप वायु गुणवत्ता में समग्र सुधार हुआ है। हालाँकि, इनमें से प्रत्येक कार्रवाई की प्रभावशीलता का पूर्ण रूप से मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है क्योंकि मौसम संबंधी पैरामीटर जैसे हवा की गति और मिश्रण ऊँचाई जो परिवर्तनशील कारक हैं, समग्र वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्रोतों से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपाय अनुलग्नक-I के रूप में संलग्न हैं।
सभी हितधारकों द्वारा किए गए ठोस प्रयासों के कारण, दिल्ली की वायु गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार देखा गया है। 2016 में 110 दिनों की तुलना में लगातार दो वर्ष 2023 और 2024 में अच्छे-मध्यम वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) श्रेणियों के दिनों की संख्या 200 से अधिक हो गई है। इसके अलावा, कोरोना वर्ष 2020 को छोड़कर 2024 में 2016 के बाद से अच्छे-मध्यम AQI श्रेणियों में अधिकतम दिन (209) दर्ज किए गए हैं। 2016-2024 तक दिल्ली के AQI का विवरण अनुलग्नक-II के रूप में संलग्न है।
यह जानकारी आज केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
एमजी/केसी/जेस
अनुलग्नक-I
दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
1. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम:
● पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को शामिल करके 24 राज्यों के 130 शहरों (गैर-प्राप्ति शहरों और मिलियन प्लस शहरों) में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
● दिल्ली एनसीआर में कुल 6 गैर-प्राप्ति शहर (NAC) हैं, जिनमें से 3 शहर - दिल्ली, अलवर और नोएडा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत वित्त पोषित हैं और 3 शहर - गाजियाबाद, मेरठ और फरीदाबाद पंद्रहवें वित्त आयोग (XV-FC) के तहत वित्त पोषित हैं।
● दिल्ली एनसीआर में सभी 6 चिन्हित शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए शहर कार्य योजनाएँ लागू की गई हैं।
2. दिल्ली-एनसीआर में नियामक कार्रवाई:
● वायु प्रदूषण के स्तर में अचानक वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) तैयार किया गया था। संशोधित जीआरएपी को दिसंबर 2024 में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा प्रकाशित किया गया था और इसके कार्यान्वयन के लिए आगे के निर्देश जारी किए गए थे। जीआरएपी के तहत वायु गुणवत्ता सूचकांक- एक्यूआई के विभिन्न स्तरों के लिए सूचीबद्ध कार्रवाइयों को समय-समय पर सीएक्यूएम द्वारा गठित एक उप-समिति द्वारा लागू किया जाता है।
● दिल्ली/एनसीआर में वायु प्रदूषण के निवारण और नियंत्रण के लिए, एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने जुलाई 2022 में एनसीआर में वायु प्रदूषण निवारण के लिए एक व्यापक नीति तैयार की है, जिसमें एनसीआर राज्यों में विभिन्न एजेंसियों द्वारा समय सीमा और कार्यान्वयन योजना के साथ लक्ष्य निर्धारित करते हुए क्षेत्र-विशिष्ट कार्रवाई बिंदु निर्धारित किए गए हैं। योजनाबद्ध ढांचे में वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले विभिन्न क्षेत्रों के लिए क्षेत्रवार हस्तक्षेप, परिमाणित लक्ष्य और समय सीमा का विवरण दिया गया है।
● वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग- सीएक्यूएम ने विभिन्न स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न निर्देश दिए हैं, जैसे कि डीजी सेट में आरईसीडी सिस्टम/डुअल फ्यूल किट का क्रियान्वयन, उद्योगों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग, परिवहन क्षेत्र में ईवी/सीएनजी/बीएस VI डीजल ईंधन का उपयोग, निर्माण और विध्वंस- सीएंडडी स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों का क्रियान्वयन आदि। इसके अलावा, एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नीति भी तैयार की गई है।
3. दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन पर नियंत्रण के उपाय:
● कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) ने 2018 में धान की पराली के यथा स्थान प्रबंधन के लिए दिल्ली और पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद और कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) की स्थापना के लिए सब्सिडी प्रदान करने की योजना शुरू की। 2018-19 से 2024-25 (28.02.2025 तक) की अवधि के दौरान, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 3698.45 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं (पंजाब - 1756.45 करोड़ रुपये, हरियाणा - 1081.71 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश - 763.67 करोड़ रुपये, दिल्ली - 6.05 करोड़ रुपये, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- ICAR- 83.35 करोड़ रुपये और अन्य 7.22 करोड़ रुपये)। इन चारों राज्यों में व्यक्तिगत किसानों और 40,000 से अधिक सीएचसी को 3 लाख से अधिक मशीनें वितरित की गई हैं, जिनमें 4500 से अधिक बेलर और रेक भी शामिल हैं जिनका उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए गांठों के रूप में पुआल को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023 में मशीनरी और उपकरणों की पूंजीगत लागत पर वित्तीय सहायता प्रदान करके फसल अवशेष/धान के पुआल की आपूर्ति श्रृंखला का समर्थन करने के लिए योजना के तहत दिशा-निर्देश संशोधित किए हैं।
● धान की पराली के खेत में ही अवशेष प्रबंधन- एक्स सीटू का समर्थन करने वाली योजनाओं/पहलों की योजना के अभिसरण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।
● वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग- सीएक्यूएम ने फसल अवशेष जलाने पर नियंत्रण/उन्मूलन के लिए संबंधित राज्यों को एक रूपरेखा प्रदान की है और उन्हें प्रमुख रूपरेखा के आधार पर विस्तृत राज्य-विशिष्ट कार्य योजनाएं तैयार करने का निर्देश दिया है। सीएक्यूएम द्वारा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को पराली जलाने को खत्म करने और नियंत्रित करने के लिए संशोधित कार्य योजना को सख्ती से और प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
● वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग-सीएक्यूएम ने दिल्ली को छोड़कर एनसीआर में औद्योगिक ईंधन के रूप में पीएनजी या जैविक ईंधन के उपयोग की अनुमति देने के निर्देश जारी किए हैं, जहां केवल पीएनजी को औद्योगिक ईंधन के रूप में अनुमति दी गई है। सीएक्यूएम ने दिल्ली के 300 किलोमीटर के भीतर स्थित ताप विद्युत संयंत्रों और एनसीआर में स्थित औद्योगिक इकाइयों के कैप्टिव पावर प्लांटों में कोयले के साथ 5-10% बायोमास को सह-जलाने के निर्देश भी जारी किए हैं।
● केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने धान की पराली के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पेलेटाइजेशन और टॉरफेकेशन संयंत्रों की स्थापना के लिए पर्यावरण संरक्षण शुल्क निधि के तहत एकमुश्त वित्तीय सहायता देने के लिए दिशा निर्देश तैयार किए हैं। अब तक 15 संयंत्रों को मंजूरी दी गई है, जिनकी उपयोग क्षमता 2.7 लाख टन धान की पराली प्रति वर्ष है।
● 2023 के पराली जलाने के मौसम (10.11.23 के बाद) के दौरान, पंजाब के 22 जिलों और हरियाणा के 11 जिलों में धान की पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम की दिशा में निगरानी और प्रवर्तन कार्रवाई तेज करने के लिए एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग- सीएक्यूएम की सहायता के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड- सीपीसीबी के 33 वैज्ञानिकों को उड़न दस्तों के रूप में तैनात किया गया था। उड़न दस्तों ने राज्य सरकार/नोडल अधिकारियों/संबंधित जिलों के अधिकारियों के साथ समन्वय किया और सीएक्यूएम को अपनी दैनिक रिपोर्ट भेजी।
● केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड- सीपीसीबी ने पराली जलाने के संबंध में निगरानी और प्रवर्तन कार्रवाई को तेज करने के लिए 1 अक्टूबर से 30 नवंबर 2024 की अवधि के लिए 26 टीमों (पंजाब के 16 जिलों और हरियाणा के 10 जिलों) को तैनात किया। इन टीमों ने राज्य सरकार द्वारा जिला स्तर पर तैनात संबंधित प्राधिकरण/अधिकारियों के साथ समन्वय किया और सीएक्यूएम को रिपोर्ट भेजी।
● कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 31 केंद्रीय टीमों को नियुक्त किया था, जिन्होंने 1-15 सितंबर, 2024 तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में गुणवत्ता सर्वेक्षण कार्य किया और टीमों ने 275 निर्माताओं का दौरा कर 910 कृषि मशीनों की गुणवत्ता की जांच की। इसके अलावा, 10 केंद्रीय टीमों ने 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2024 के दौरान पंजाब और हरियाणा राज्यों में मशीनों के उपयोग पर सर्वेक्षण किया है। डीएएंडएफडब्ल्यू, सीएक्यूएम और आईसीएआर और अन्य हितधारकों के सदस्यों वाली एक टीम ने 14 नवंबर, 2024 को धान की पराली प्रबंधन की गतिविधियों को देखने के लिए पंजाब राज्य का दौरा किया था।
4. वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर नियंत्रण के उपाय:
● वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग-सीएक्यूएम ने दिल्ली सरकार और हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को सार्वजनिक परिवहन सेवाओं, विशेष रूप से एनसीआर में बसों को स्वच्छ परिवहन साधनों में बदलने के लिए निर्देश जारी किए। दिल्ली और हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के किसी भी शहर/कस्बे के बीच सभी राज्य सरकार की बस सेवा 1 नवंबर 2023 से केवल EV/CNG/BS-VI डीज़ल के माध्यम से संचालित करने के निर्देश।
● माननीय सर्वोच्च न्यायालय और माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण- एनजीटी के आदेशों के अनुपालन में दिल्ली-एनसीआर में 3256 पेट्रोल पंपों पर VRS प्रणाली की स्थापना।
5. औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण के उपाय:
● दिल्ली-एनसीआर में लाल श्रेणी के वायु प्रदूषणकारी उद्योगों में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) की स्थापना।
● दिल्ली में औद्योगिक इकाइयां पीएनजी/स्वच्छ ईंधन पर स्थानांतरित हो गई हैं और एनसीआर में परिचालन इकाइयां पीएनजी/बायोमास पर स्थानांतरित हो गई हैं।
● दिल्ली और एनसीआर में ईंट भट्टों को जिग-जैग तकनीक में बदलने के निर्देश जारी किए गए हैं। दिल्ली-एनसीआर में जिग-जैग तकनीक में परिवर्तित नहीं किए गए ईंट भट्टों को संचालन की अनुमति नहीं है।
● डीजी सेट उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए, सीपीसीबी दिल्ली-एनसीआर में सरकारी अस्पतालों में डीजी सेटों के रेट्रोफिटमेंट/उन्नयन के लिए धन भी प्रदान करता है और इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
● 24 अक्टूबर, 2017 से एनसीआर राज्यों में ईंधन के रूप में पेट कोक और फर्नेस ऑयल के उपयोग पर प्रतिबंध।
● दिल्ली-एनसीआर में 01.01.2023 से अनुमोदित ईंधन सूची लागू है। तकनीकी, प्रौद्योगिकीय और प्रक्रिया आवश्यकताओं के कारण विशिष्ट उद्योगों द्वारा अन्य ईंधन की विशिष्ट आवश्यकता को छोड़कर, केवल पीएनजी या बायोमास पर चलने वाले उद्योगों को एनसीआर में अनुमति दी गई है। अनुमोदित ईंधन पर काम नहीं करने वाले उद्योगों को दिल्ली-एनसीआर में काम करने की अनुमति नहीं है।
● एनसीआर में अनुपालन के लिए बायोमास आधारित बॉयलरों के लिए कड़े पीएम उत्सर्जन मानदंड निर्धारित किए गए हैं।
6. निर्माण एवं विध्वंस (सीएंडडी) अपशिष्ट:
● निर्माण एवं विध्वंस- सीएंडडी स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन और अन्य धूल नियंत्रण उपायों की स्थापना को लागू करने के लिए डीपीसीसी और एनसीआर एसपीसीबी को निर्देश जारी किए गए।
● एनसीआर में धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सड़क स्वामित्व/रखरखाव/निर्माण एजेंसियों द्वारा "धूल नियंत्रण और प्रबंधन प्रकोष्ठ" स्थापित करने के निर्देश जारी किए गए।
● निर्माण स्थलों के लिए धूल शमन उपायों के अनुपालन की निगरानी के लिए ऑनलाइन निगरानी तंत्र (वेब पोर्टल के माध्यम से) शुरू किया गया।
7. दिल्ली-एनसीआर में गहन निगरानी और जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन:
● प्रदूषण नियंत्रण उपायों की कार्यान्वयन स्थिति और वायु (पीएंडसीपी) अधिनियम, 1981 के अन्य प्रावधानों के अनुपालन की जांच करने के लिए दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषणकारी उद्योगों, सीएंडडी स्थलों, डीजी सेटों का गुप्त निरीक्षण करने के लिए सीएक्यूएम की सहायता के लिए दिसंबर 2021 से सीपीसीबी द्वारा 40 टीमों की प्रति नियुक्ति की गई है।
अनुलग्नक-II
1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2016-2024 तक दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक की तुलनात्मक स्थिति
श्रेणी
|
वर्ष
|
2016
|
2017
|
2018
|
2019
|
2020
|
2021
|
2022
|
2023
|
2024
|
2016
|
2017
|
2018
|
2019
|
2020
|
2021
|
2022
|
2023
|
2024
|
दिनों की संख्या
|
354
|
365
|
365
|
365
|
366
|
365
|
365
|
365
|
366
|
अच्छा (0–50)
|
0
|
2
|
0
|
2
|
5
|
1
|
3
|
1
|
0
|
110
|
152
|
159
|
182
|
227
|
197
|
163
|
206
|
209
|
संतोषजनक (51–100)
|
24
|
45
|
53
|
59
|
95
|
72
|
65
|
60
|
66
|
मध्यम (101–200)
|
86
|
105
|
106
|
121
|
127
|
124
|
95
|
145
|
143
|
खराब (201–300)
|
120
|
115
|
114
|
103
|
75
|
80
|
130
|
77
|
70
|
244
|
213
|
206
|
183
|
139
|
168
|
202
|
159
|
157
|
बहुत खराब (301–400)
|
99
|
89
|
72
|
56
|
49
|
64
|
66
|
67
|
70
|
गंभीर (>401)
|
25
|
9
|
20
|
24
|
15
|
24
|
6
|
15
|
17
|
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