वस्त्र मंत्रालय
संसद प्रश्न: वस्त्र निर्यात में सुधार
Posted On:
21 MAR 2025 12:15PM by PIB Delhi
भारत विश्व के शीर्ष कपड़ा निर्यातक देशों में से एक है, जिसकी वैश्विक कपड़ा और परिधान निर्यात में लगभग 4 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। हस्तशिल्प सहित कपड़ा और परिधान के निर्यात में अप्रैल-दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत के प्रमुख कपड़ा और परिधान निर्यातक देशों में अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन हैं, जिनकी वित्त वर्ष 2023-24 में कुल कपड़ा और परिधान निर्यात में लगभग 53 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है।
भारतीय वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं/पहल लागू कर रही है। प्रमुख योजनाओं/पहलों में आधुनिक, एकीकृत, विश्व स्तरीय वस्त्र अवसंरचना बनाने के लिए पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्क योजना; बड़े पैमाने पर विनिर्माण को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए एमएमएफ फैब्रिक, एमएमएफ परिधान और तकनीकी वस्त्रों पर केंद्रित उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना; अनुसंधान नवाचार एवं विकास, संवर्धन और बाजार विकास पर केंद्रित राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन; मांग संचालित, प्लेसमेंट उन्मुख, कौशल कार्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना; रेशम उत्पादन मूल्य श्रृंखला के व्यापक विकास के लिए रेशम समग्र-2; हथकरघा क्षेत्र को शुरू से अंत तक सहायता देने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम इत्यादि हैं। वस्त्र मंत्रालय हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना भी लागू कर रहा है।
भारतीय वस्त्र उद्योग विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है, जिसमें कपास, रेशम, ऊन, जूट के साथ-साथ मानव निर्मित फाइबर सहित प्राकृतिक फाइबर का एक बड़ा कच्चा माल आधार है, तथा इसकी फाइबर से लेकर कपड़े और परिधानों तक मूल्य श्रृंखला में विनिर्माण शक्ति है।
देश में कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने और कपास की खेती में किसानों की निरंतर रुचि बनाए रखने के उद्देश्य से सरकार प्रति वर्ष कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करती है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि बाजार में कपास की कीमतें एमएसपी दरों से नीचे जाने की स्थिति में किसानों को उनकी उपज का उचित लाभकारी मूल्य मिले और साथ ही प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कपास की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो।
एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (ईएलएस) कॉटन पर 20 फरवरी 2024 से कस्टम ड्यूटी घटाकर शून्य कर दी गई है। भारत-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए के अंतर्गत 29 दिसंबर 2022 से 51,000 टन ड्यूटी फ्री ईएलएस कॉटन का आयात किया जा सकेगा।
सरकार ने निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए अब तक 14 मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और टीईपीए के साथ समझौता, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन सहित ईएफटीए देशों के साथ समझौता और विभिन्न व्यापारिक साझेदारों के साथ 6 अधिमान्य व्यापार समझौते (पीटीए) शामिल हैं।
सरकार शून्य दर वाले निर्यात के सिद्धांत को अपनाकर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए परिधान/वस्त्र और मेड-अप के लिए राज्य और केंद्रीय करों और शुल्कों में छूट (आरओएससीटीएल) योजना भी लागू कर रही है । आरओएससीटीएल योजना के अंतर्गत कवर नहीं किए गए वस्त्र उत्पादों को अन्य उत्पादों के साथ-साथ निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) के अंतर्गत कवर किया जाता है। सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों, क्रेता-विक्रेता बैठकों आदि के आयोजन और उनमें भाग लेने के लिए वाणिज्य विभाग द्वारा कार्यान्वित बाजार पहुंच पहल योजना के तहत विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों और व्यापार निकायों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है ।
देश में तकनीकी वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2020-21 से वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) शुरू किया गया था। यह मिशन कार्बन फाइबर, अरामिड फाइबर, नायलॉन फाइबर और कंपोजिट जैसे विशेष फाइबर के प्रमुख क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान और जियोटेक्सटाइल्स, एग्रो-टेक्सटाइल्स, मेडिकल टेक्सटाइल्स, मोबाइल टेक्सटाइल्स और स्पोर्ट्स टेक्सटाइल्स में अनुप्रयोग-आधारित अनुसंधान और बायोडिग्रेडेबल तकनीकी वस्त्रों के विकास पर केंद्रित है। स्थायी और बायोडिग्रेडेबल तकनीकी वस्त्रों में अनुसंधान के लिए, गैर-पारंपरिक प्राकृतिक फाइबर जैसे, मिल्क वीड, बांस फाइबर आदि में अनुसंधान के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
जहां तक वस्त्र क्षेत्र में नवाचार का सवाल है, वस्त्र मंत्रालय ने स्टार्टअप इंडिया और डीपीआईआईटी के साथ मिलकर इनोवेशन चैलेंज आयोजित किया है। इस चैलेंज में 9 विजेताओं को मान्यता दी गई और उन्हें पुरस्कृत किया गया तथा 6 पुरस्कार विजेताओं को अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) के माध्यम से इनक्यूबेशन अवसर प्रदान किया गया। नेचर फाइबर बोर्ड द्वारा उनकी संबंधित समस्यों पर 3 अलग-अलग इनोवेशन चैलेंज आयोजित किए गए।
- एनजेबी टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन ग्रैंड चैलेंज में 125 आवेदकों में से 3 विजेताओं को मान्यता दी गई और पुरस्कृत किया गया।
- सीएसबी स्टार्ट-अप ग्रैंड चैलेंज में 58 आवेदकों में से 4 विजेताओं को मान्यता दी गई और पुरस्कृत किया गया।
- सीडब्ल्यूडीबी वूल इनोवेशन चैलेंज में 24 आवेदकों में से 3 विजेताओं को मान्यता दी गई और पुरस्कृत किया गया।
उपर्युक्त विजेताओं में से 17 सीधे तौर पर वस्त्र अपशिष्ट पुनर्चक्रण, जैव-आधारित फाइबर या स्थायी परिधान उत्पादन जैसी गतिविधियों में संलग्न हैं।
सरकार नियमित रूप से निर्यात और आयात की निगरानी कर रही है और इस संबंध में उद्योग के साथ बातचीत कर रही है। सरकार ने कम दर और कम गुणवत्ता वाले बुने हुए कपड़ों के आयात को नियंत्रित करने के लिए 6,006 के तहत हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (एचएसएन) कोड पर 3.50 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम का न्यूनतम आयात मूल्य लगाया है। बजट घोषणा में 6,006 के तहत एचएसएन पर सीमा शुल्क संशोधित किया गया था। कम गुणवत्ता वाले गैर-मानक सामानों के आयात को रोकने के लिए विभिन्न क्यूसीओ लगाए गए हैं जो घरेलू उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
यह जानकारी वस्त्र राज्य मंत्री श्री श्री पबित्रा मार्गेरीटा ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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