संस्‍कृति मंत्रालय
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'कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता' योजना

Posted On: 20 MAR 2025 5:18PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय ‘कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता’ नाम से एक केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना लागू करता है। इस योजना के आठ उप-घटक हैं, जिनके तहत देश भर में कला और संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाले पात्र सांस्कृतिक संगठनों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन योजनाओं का संक्षिप्त उद्देश्य अनुलग्नक में दिया गया है।

योजना घटकों के अंतर्गत लाभार्थियों के चयन हेतु व्यापक मानदंड इस प्रकार हैं:

  1. संगठन को सोसायटी पंजीकरण कानून 1860 या समकक्ष कानूनों के तहत सोसायटी के रूप में या ट्रस्ट या गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत होना चाहिए और कम से कम तीन वर्षों की अवधि से कार्यरत होना चाहिए।

ii) संगठन को नीति आयोग के एनजीओ दर्पण पोर्टल पर पंजीकृत होना चाहिए।

iii) संगठन में संस्‍कृति की प्रबल पहचान होनी चाहिए।

iv) संगठन ने पिछले तीन वर्षों का लेखा-परीक्षण विवरण प्रस्तुत किया हो।

  1. संगठन ने पिछले तीन वर्षों के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल किया हो।

सभी प्रकार से पूर्ण पाए गए आवेदन/प्रस्ताव को मंत्रालय द्वारा प्रत्येक योजना घटक के लिए विधिवत गठित विशेषज्ञ/संचालन समिति के समक्ष रखा जाता है, ताकि संबंधित योजना दिशानिर्देशों के अनुसार प्रस्ताव की योग्यता के आधार पर मामला-दर-मामला आधार पर उसका मूल्यांकन और सिफारिशें की जा सकें।

पिछले वित्तीय वर्ष (2023-2024) में इस योजना के अंतर्गत 2760 संगठनों को 78.30 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।

संस्कृति मंत्रालय जीएफआर-2017 के अनुसार उपयोगिता प्रमाण पत्र, बिल वाउचर और अन्य साक्ष्य प्रमाण जैसे फोटो/वीडियो, पूर्णता प्रमाण पत्र आदि की जांच करके वित्तीय सहायता के प्रभावी उपयोग की निगरानी कर रहा है। इसके अलावा, वित्तीय सहायता की प्रगति और प्रभावी उपयोग की निगरानी के लिए ऑन-साइट भौतिक निरीक्षण का भी प्रावधान है।

संस्कृति मंत्रालय का यह निरंतर प्रयास रहा है कि वह अपनी योजनाओं की पहुंच का विस्तार करे ताकि अधिक से अधिक सांस्कृतिक संगठनों/व्यक्तिगत कलाकारों को सहायता मिल सके। संस्कृति मंत्रालय ने कला और संस्कृति संवर्धन योजना के तहत अधिक से अधिक सांस्कृतिक संगठनों को सहायता देने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं और इन योजनाओं के दिशा-निर्देश और आवेदन पत्र मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं। इन योजनाओं के तहत आवेदन मांगने वाले विज्ञापनों का विभिन्न समाचार पत्रों, मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट और योजना की संबंधित नोडल एजेंसी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाता है।

यह जानकारी केन्‍द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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pibculture[at]gmail[dot]com

अनुलग्‍नक

कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता

  1. इस योजना के निम्नलिखित उप-घटक हैं:
  2. राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता

देश भर में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में शामिल राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति रखने वाले सांस्कृतिक संगठनों को बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने के लिए, यह अनुदान ऐसे संगठनों को दिया जाता है, जिनके पास उचित रूप से गठित प्रबंध निकाय हो, जो भारत में पंजीकृत हों; जिनका संचालन अखिल भारतीय स्तर पर हो, जिनकी राष्ट्रीय उपस्थिति हो; पर्याप्त कार्यशील क्षमता हो; और जिन्होंने पिछले 5 वर्षों में से 3 वर्षों के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियों पर 1 करोड़ या उससे अधिक राशि खर्च की हो। इस योजना के तहत अनुदान की राशि 1 करोड़ रुपये तक है, जिसे असाधारण मामलों में 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. सांस्कृतिक समारोह एवं उत्पादन अनुदान (सीएफपीजी)

इस योजना घटक का उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों/समितियों/ट्रस्टों/विश्वविद्यालयों आदि को सेमिनार, सम्मेलन, अनुसंधान, कार्यशालाओं, त्यौहारों, प्रदर्शनियों, संगोष्ठियों, नृत्य, नाटक-रंगमंच, संगीत आदि तैयार कराने के लिए दोबारा इस्‍तेमाल आने योग्‍य योजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। सीएफपीजी के तहत प्रदान की जाने वाली अधिकतम अनुदान राशि एक संगठन के लिए 5 लाख रुपये है जिसे असाधारण मामलों में 20.00 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

      इस योजना का उद्देश्य शोध, प्रशिक्षण और ऑडियो विजुअल कार्यक्रमों के माध्यम से प्रसार के माध्यम से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है। वित्तीय सहायता हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राज्यों अर्थात जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में संगठनों को प्रदान की जाती है। एक संगठन के लिए वित्त पोषण की मात्रा प्रति वर्ष 10.00 लाख रुपये है जिसे असाधारण मामलों में 30.00 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना घटक के अंतर्गत स्वैच्छिक बौद्ध/तिब्बती संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें बौद्ध/तिब्बती सांस्कृतिक और परंपरा के प्रचार-प्रसार और वैज्ञानिक विकास तथा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान में लगे मठ शामिल हैं। योजना घटक के अंतर्गत वित्त पोषण की मात्रा एक संगठन के लिए प्रति वर्ष 30.00 लाख रुपये है, जिसे असाधारण मामलों में 1.00 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. स्टूडियो थियेटर सहित भवन अनुदान के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना का उद्देश्य एनजीओ, ट्रस्ट, सोसायटी, सरकार प्रायोजित निकाय, विश्वविद्यालय, कॉलेज आदि को सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे (जैसे स्टूडियो थिएटर, ऑडिटोरियम, रिहर्सल हॉल, कक्षा आदि) के निर्माण और बिजली, एयर कंडीशनिंग, ध्वनिकी, प्रकाश और ध्वनि प्रणाली आदि जैसी सुविधाओं के प्रावधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना घटक के तहत, अनुदान की अधिकतम राशि मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपये तक और गैर-मेट्रो शहरों में 25 लाख रुपये तक है।

  1. संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना का उद्देश्य सभी पात्र संगठनों को संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए दृश्य-श्रव्य तमाशा बढ़ाने के लिए परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि नियमित आधार पर और खुले/बंद क्षेत्रों/स्थानों में त्योहारों के दौरान लाइव प्रदर्शनों का प्रत्यक्ष अनुभव दिया जा सके। योजना घटक के तहत अधिकतम सहायता, लागू शुल्कों और करों तथा पांच वर्षों के लिए संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) लागत सहित, निम्नानुसार होगी: - (i) ऑडियो: 1.00 करोड़ रुपये; (ii) ऑडियो+वीडियो: 1.50 करोड़ रुपये

vii. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत:

यह योजना संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013 में देश की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न संस्थानों, समूहों, गैर सरकारी संगठनों आदि को पुनर्जीवित और सशक्त बनाना था, ताकि वे भारत की समृद्ध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने, बचाने, संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों/परियोजनाओं से जुड़ सकें।

  1. घरेलू त्यौहार और मेले

इस योजना का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव’ आयोजित करने के लिए सहायता प्रदान करना है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्‍द्रों (जैडसीसी) के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं, जहाँ देश भर से बड़ी संख्या में कलाकार अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए आते हैं। नवम्‍बर, 2015 से अब तक संस्कृति मंत्रालय द्वारा देश भर में चौदह (14) आरएसएम आयोजित किए जा चुके हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान, इस योजना के अंतर्गत 38.67 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

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एमजी/केसी/केपी


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