सहकारिता मंत्रालय
ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद
Posted On:
11 MAR 2025 5:48PM by PIB Delhi
प्रस्तावित विश्वविद्यालय का उद्देश्य और लक्ष्य सहकारी क्षेत्र की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए योग्य और प्रशिक्षित जनशक्ति प्रदान करना है। इसके लिए तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा प्रदान करना, सहकारी समितियों के कर्मचारियों और बोर्ड के सदस्यों के कौशल विकास सहित क्षमता निर्माण करना, सहकारी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना और “सहकार से समृद्धि” के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए वैश्विक उत्कृष्टता के मानकों को प्राप्त करना और संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करना भी इसका उद्देश्य और लक्ष्य है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
i. प्रस्तावित विश्वविद्यालय में शीर्ष पर शासी बोर्ड होगा, जिसकी अध्यक्षता कुलाधिपति करेंगे। कुलपति की अध्यक्षता में एक कार्यकारी परिषद होगी, जो विश्वविद्यालय का प्रमुख कार्यकारी निकाय होगा। विश्वविद्यालय के अन्य प्राधिकरणों में आठ प्रमुख निकाय शामिल होंगे, अर्थात् शैक्षणिक और अनुसंधान परिषद, आईआरएमए स्कूल का कार्यकारी बोर्ड, क्षमता निर्माण परिषद, मूल्यांकन और सुधार परिषद, अनुसंधान और विकास परिषद, संबद्धता और मान्यता बोर्ड, वित्त समिति और प्रत्येक स्कूल का सहकारी अध्ययन बोर्ड। ये सभी निकाय कार्यकारी परिषद की देखरेख और नियंत्रण में काम करेंगे।
ii. प्रस्तावित विश्वविद्यालय डेयरी, मत्स्य पालन, ग्रामीण ऋण, सहकारी वित्त आदि क्षेत्र-विशिष्ट स्कूल स्थापित करेगा। प्रत्येक स्कूल का नेतृत्व डीन करेंगे जो उस स्कूल के लिए प्रमुख शैक्षणिक और प्रशासनिक अधिकारी होंगे। प्रत्येक स्कूल में डीन की अध्यक्षता में सहकारी अध्ययन बोर्ड भी होगा।
iii. प्रस्तावित विश्वविद्यालय शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकी का भी लाभ उठाएगा।
iv. प्रस्तावित विश्वविद्यालय संबद्ध सहकारी संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों की शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों को एकीकृत, समन्वित और मानकीकृत करने के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करेगा।
सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सरकार ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के माध्यम से सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम शामिल हैं।
मंत्रालय ने एनसीसीटी की भूमिका को व्यापक बनाया है और सहकारी प्रबंधन में उच्च डिप्लोमा, एमबीए आदि जैसे नियमित शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम के अलावा, केस स्टडी तैयार करने, सहकारी समितियों के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करने जैसी और भी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। यह देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए सरकार और सहकारिता मंत्रालय द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों, सहकारी समितियों के लिए लाभकारी सरकारी योजनाओं और उन योजनाओं के तहत उपलब्ध वित्तीय सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में सहकारी समितियों के बीच जागरूकता लाने के लिए गांव स्तर पर सहकारी जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित कर रहा है।
एनसीसीटी ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के क्षमता निर्माण के लिए सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के रूप में काम किया है ताकि वे ग्रामीण नागरिकों के लाभ के लिए 300 ई-सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो सकें। यह परियोजना 18.06.2024 को शुरू हुई और 30.11.2024 को समाप्त हुई। इसके तहत देश भर में 30134 पीएसीएस के सचिवों को पीएसीएस और उसके सदस्यों द्वारा सीएससी सेवाओं के प्रभावी उपयोग के क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया।
यह जानकारी सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
*****
एमजी/केसी/पीके
(Release ID: 2111424)