महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत योजनाएं लागू कीं, निर्भया फंड का करीब 76% हिस्सा इस्तेमाल किया


महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश भर में 14,658 से ज़्यादा महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए

33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गईं, 24,264 व्यक्तियों को साइबर संबंधी अपराधों से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया

Posted On: 12 MAR 2025 5:14PM by PIB Delhi

वित्त वर्ष 2024-25 तक निर्भया फंड के तहत कुल 7712.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्रालयों/विभागों द्वारा जारी और निर्भया फंड से उपयोग की गई कुल राशि 5846.08 करोड़ रुपये है, जो कुल आवंटन का लगभग 76% है।

निर्भया फंड के तहत परियोजनाएं/योजनाएं मांग पर आधारित हैं। निर्भया फंड के फ्रेमवर्क के तहत अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा शुरू में मूल्यांकित परियोजनाओं/योजनाओं में आम तौर पर कार्यान्वयन के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम होता है। कुछ मूल्यांकित परियोजनाएं सीधे केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं। हालांकि, अधिकांश परियोजनाएं राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासनों के ज़रिए कार्यान्वित की जाती हैं, जिसमें केंद्र सरकार, संबंधित राज्यों/यूटी के निर्धारित फंड शेयरिंग पैटर्न के अनुसार राज्यों/यूटी को धनराशि जारी करती है। जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन, राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों की कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा अनुमोदित समयसीमा के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा, ऐसी योजनाएं भी हैं, जिनमें लंबे समय तक सेवाएं प्रदान करने के लिए आवर्ती व्यय की ज़रूरत होती है, जिसके संबंध में, सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) के प्रावधानों के अनुसार कार्यान्वयन एजेंसी (आईए)/प्राधिकरण से उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) और व्यय का विवरण (एसओई) प्राप्त होने पर आगे की धनराशि जारी की जाती है। इसलिए, यह संभव है कि वास्तव में अधिक धनराशि का उपयोग किया गया हो, लेकिन जीएफआर के प्रावधानों के अनुसार, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों/आईए से उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) और व्यय विवरण (एसओई) अभी तक प्राप्त नहीं हुए हों। राज्यों/आईए से नियमित रूप से यूसी और एसओई, समय पर जमा करने का अनुरोध किया जाता है। सक्षम प्राधिकारियों से ज़रुरी अनुमोदन प्राप्त करने में लगने वाला समय, अनुबंध/निविदा आदि प्रदान करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया जैसे कई अन्य कारक भी योजनाओं/परियोजनाओं के कार्यान्वयन को प्रभावित करते हैं।

निर्भया फंड के लिए रूपरेखा के तहत गठित अधिकारियों की एक अधिकार प्राप्त समिति (ईसी), शुरूआत में निर्भया फंड के तहत वित्तपोषण के प्रस्तावों का मूल्यांकन करती है और उनकी अनुशंसा करती है। यह संबंधित मंत्रालयों/विभागों/कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ समन्वय करके समय-समय पर स्वीकृत परियोजनाओं के कार्यान्वयन और व्यय की स्थिति की व्यापक समीक्षा भी करती है। इसके अलावा, परियोजना/योजना कार्यान्वयन मंत्रालय/विभाग/एजेंसियां ​​भी अपने स्तर पर कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करती हैं।

देश में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा 'निर्भया फंड' के तहत कई योजनाएं/परियोजनाएं क्रियान्वित की गई हैं/की जा रही हैं। मानव तस्करी की रोकथाम और पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के लिए 827 मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए, कि पुलिस स्टेशन महिलाओं के लिए अधिक अनुकूल और सुलभ हों, क्योंकि वे पुलिस स्टेशन में आने वाली किसी भी महिला के लिए संपर्क का पहला और एकल बिंदु होंगे, 14,658 महिला सहायता डेस्क (डब्ल्यूएचडी) स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 13,743 का नेतृत्व महिला पुलिस अधिकारी कर रही हैं। 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ भी स्थापित की गई हैं, जिनमें 24,264 व्यक्तियों को साइबर से संबंधित मामलों को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत सहायता प्रदान करने और महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा से लड़ने के लिए पुलिस, चिकित्सा, कानूनी सहायता, परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता सहित कई प्रकार की सेवाओं तक तत्काल, आपातकालीन और गैर-आपातकालीन पहुंच की सुविधा प्रदान करने के लिए, 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 802 ओएससी कार्यात्मक बनाए गए हैं, जिनमें अब तक 10.80 लाख से अधिक महिलाओं को मदद दी गई है। जरूरतमंद और संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता के लिए, सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस-112) की स्थापना की गई है, जिसमें कंप्यूटर की मदद से क्षेत्र/पुलिस संसाधनों की सहायता शामिल है। इसकी शुरूआत से अब तक 43 करोड़ से अधिक कॉल्स पर काम किया गया है। ईआरएसएस के अलावा, पश्चिम बंगाल को छोड़कर 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पूरी तरह कार्यात्मक समर्पित महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल-181) भी चालू है। अब तक महिला हेल्पलाइनों ने 2.10 करोड़ से अधिक कॉल्स को संभाला है और 84.43 लाख से अधिक महिलाओं की मदद की है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि जघन्य यौन अपराधों की पीड़ित दुर्भाग्यपूर्ण महिलाओं और युवा लड़कियों को न्याय मिले, सरकार वर्ष 2019 से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। अब तक 790 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 404 विशिष्ट पोक्सो (ई-पोक्सो) अदालतों सहित 745 एफटीएससी, 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैं, जिन्होंने देश भर में बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के तहत अपराधों के 3,06,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है। निर्भया फंड के तहत राज्य मुआवजा योजनाओं का समर्थन और अनुपूरण करने के लिए, केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष (सीवीसीएफ) के तहत राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों को एकमुश्त अनुदान के रूप में 200 करोड़ रुपये जारी किए गए, ताकि विभिन्न अपराधों विशेषकर बलात्कार, एसिड हमलों, बच्चों के खिलाफ अपराध, मानव तस्करी आदि सहित यौन अपराधों के पीड़ितों को मुआवजा दिया जा सके।

सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, जहां महिलाएं काम करती हैं और रहती हैं, सुरक्षित शहर परियोजनाओं के तहत उप-परियोजनाएं 8 शहरों (अर्थात अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई) में लागू की गई हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने के लिए, रेल और सड़क परिवहन परियोजनाएं जैसे एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रबंधन प्रणाली (आईईआरएमएस), कोंकण रेलवे में वीडियो निगरानी प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस) को वीडियो निगरानी प्रणालियों के साथ एकीकृत किया गया है, जिसमें रेल मंत्रालय द्वारा 7 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर और ट्रेन में अकेली महिला यात्री की सुरक्षा के लिए टैब जैसी सुविधाएं लागू की गई हैं। इसके अलावा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कमांड और कंट्रोल सेंटर के साथ वाहन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म जैसी परियोजनाएं और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी), बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (बीएमटीसी), तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) आदि कुछ राज्य विशिष्ट परियोजनाएं भी लागू की गई हैं।

यह जानकारी आज महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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