अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय
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एनएमडीएफसी ने अल्पसंख्यक समुदायों को पिछले तीन वर्षों के दौरान 2347.15 करोड़ रुपये के रियायती ऋण वितरित किए

Posted On: 12 MAR 2025 5:25PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम ने पिछले तीन वर्षों अर्थात् वित्तीय वर्ष 2021-22 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 2347.15 करोड़ रुपये का रियायती ऋण वितरित किया है। इससे अल्पसंख्यक समुदायों के 5,50,939 लाभार्थियों को लाभ मिला है।

रियायती ऋण प्रदान के लिए एनएमडीएफसी ने निम्नलिखित पात्रता संबंधी मानदंड निर्धारित किए हैं:

  1. पात्र व्यक्ति को एक अधिसूचित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 द्वारा परिभाषित बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, पारसी और सिख समुदाय से संबंधित होना चाहिए।
  2. पात्र व्यक्ति की वार्षिक पारिवारिक आय क्रेडिट लाइन-1 के तहत 3.00 लाख रुपये तक और क्रेडिट लाइन-2 के तहत 8.00 लाख रुपये तक होनी चाहिए।

आवेदकों को उपर्युक्त पात्रता मानदंडों की पूर्ति को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। एनएमडीएफसी की संबंधित राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) द्वारा एक बहुस्तरीय स्क्रीनिंग तंत्र, जिसमें दस्तावेज़ सत्यापन, पृष्ठभूमि जांच और साइट निरीक्षण शामिल है, का उपयोग किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऋण संबंधी सहायता प्रभावी रूप से वास्तविक एवं योग्य अल्पसंख्यक उद्यमियों तक पहुंच रही है।

इसके अलावा, स्वीकृत राशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के केवाईसी-प्रमाणित खातों में जमा की जाती है।

एनएमडीएफसी नियमित रूप से देश भर में प्रभाव अध्ययन करने के लिए स्वतंत्र तृतीय-पक्ष एजेंसियों को नियुक्त करता है। ये अध्ययन लक्षित लाभार्थियों पर एनएमडीएफसी की योजनाओं के प्रभाव का आकलन करने और पिछले दो वर्षों के दौरान वित्तपोषित लाभार्थियों और इकाइयों के संबंध में इसके ऋण कार्यक्रमों के तहत वित्तपोषित परियोजनाओं और इकाइयों की स्थिरता का मूल्यांकन करने के लिए किए जाते हैं। वर्ष 2018-19 में किए गए अध्ययन के अनुसार, देश भर में वित्तपोषित 90 प्रतिशत इकाइयां कार्यरत एवं टिकाऊ पाई गईं। अधिकांश राज्य चैनलाइज़िंग एजेंसियों (एससीए) ने जमीनी स्तर पर 70 प्रतिशत से लेकर शत-प्रतिशत तक की वसूली दर की सूचना दी है, जो अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि ये इकाइयां टिकाऊ और लाभदायक उद्यम हैं, जो लाभार्थियों को समय पर पुनर्भुगतान करने में मदद करती हैं।

अंतिम लाभार्थियों को ऋण प्रदान करने के लिए राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) द्वारा निधियों का समय पर उपयोग सुनिश्चित करने और निधि के दुरुपयोग को रोकने हेतु, एनएमडीएफसी वर्तमान में एससीए से उच्च दंडात्मक ब्याज वसूल रहा है। उच्च दंडात्मक ब्याज लगने से बचने के लिए एससीए को एनएमडीएफसी को किसी भी अप्रयुक्त राशि को वापस करना आवश्यक है। इस कदम ने यह सुनिश्चित किया है कि अधिकांश एससीए तीन महीने की निर्धारित समय सीमा के भीतर लाभार्थियों को ऋण वितरित करें।

इसके अलावा, ऋणों का समय पर पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिए, एससीए को ब्याज में 0.5 प्रतिशत की छूट की पेशकश की जाती है। इससे एनएमडीएफसी को सावधि ऋण (टर्म लोन) स्कीम के तहत 96.26 प्रतिशत और माइक्रो फाइनेंस स्कीम के तहत 99.33 प्रतिशत की उच्च ऋण पुनर्भुगतान दर (28 फरवरी, 2025 तक) बनाए रखने में मदद मिली है।  

जहां तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) का प्रश्न है, वह केवल सावधि ऋण (टर्म लोन), माइक्रो फाइनेंस, शिक्षा ऋण और विरासत स्कीम जैसी योजनाओं को लागू करता है ताकि अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं व महिलाओं को शिक्षा के उद्देश्य और स्वरोजगार संबंधी आय सृजन के उपक्रमों के लिए रियायती ऋण प्रदान करके सशक्त बनाया जा सके। एनएमडीएफसी की योजनाओं को पश्चिम बंगाल, केन्द्र-शासित प्रदेश के प्रशासनों सहित संबंधित राज्य सरकारों द्वारा नामित राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) के साथ-साथ पंजाब ग्रामीण बैंक और केनरा बैंक जैसे बैंकिंग भागीदारों के माध्यम से लागू किया जाता है।

नियमित रूप से किए गए तृतीय-पक्ष प्रभाव अध्ययन के अनुसार, वित्तपोषित 90 प्रतिशत से अधिक इकाइयां कार्यरत और सफल पाई गई हैं।

केन्द्रीय अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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