विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसद प्रश्न: अनुसंधान और नवाचार विकास

Posted On: 12 MAR 2025 3:42PM by PIB Delhi

सरकार राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप विभिन्न योजनाओं/पहलों के माध्यम से अनुसंधान, विकास और नवाचार में सक्रिय होकर सहयोग दे रही है।

देश में अनुसंधान और विकास इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) 2023 कानून के साथ अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की गई है। एएनआरएफ देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को उच्च-स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है। एएनआरएफ वर्तमान अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम की अनेक बड़ी चुनौतियों का समाधान करने पर भी गौर करता है, जिसमें अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्रों की कम भागीदारी भी शामिल है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग 8 वर्षों की अवधि के लिए 6003.65 करोड़ रुपये के परिव्यय पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) का कार्यान्वयन कर रहा है। मिशन के तहत, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग एवं मेट्रोलॉजी तथा क्वांटम सामग्री एवं उपकरणों के प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में चार विषयगत हब (टी-हब) स्थापित किए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य भारत में तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाना तथा नवाचार-संचालित विकास को बढ़ावा देना है।

अंतःविषय साइबर भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) को 6 दिसम्बर, 2018 को मंत्रिमंडल द्वारा 3,660.00 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई थी। इस मिशन के तहत, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत में प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्र (टीआईएच) स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक टीआईएच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल), रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), साइबर सुरक्षा और फिनटेक आदि जैसे अत्याधुनिक डोमेन में विशेषज्ञता रखता है।

डीएसटी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना में सुधार के लिए निधि (एफआईएसटी), विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए (पीयूआरएसई), परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाएं (एसएआईएफ) और परिष्कृत विश्लेषणात्मक एवं तकनीकी सहायता संस्थान (एसएटीएचआई) जैसी योजनाएं क्रियान्वित की हैं। इन परिष्कृत अवसंरचना/केन्द्रों ने शैक्षणिक संस्थानों में अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाएं प्रदान की हैं और उच्च स्तरीय अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने में मदद की है। एसएटीएचआई-सीआईएससीओएम (मूल स्थान में केन्द्र एवं सहसंबंधी माइक्रोस्कोपी केन्द्र) की स्थापना भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में की गई है।

डीएसटी सोलर, कार्बन कैप्चर और उपयोग तथा ऊर्जा भंडारण आदि जैसी संधारणीय प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान, विकास और नवाचार का समर्थन कर रहा है। आईआईटी दिल्ली-थर्मैक्स लिमिटेड, पुणे और सीएसआईआर-आईआईसीटी-बीएचईएल हैदराबाद के बीच उद्योग-अनुसंधान संघ द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे प्रौद्योगिकी परिनियोजन परीक्षण बेड को मेथनॉल और डीएमई उत्पादन के लिए कोयला गैसीकरण संयंत्रों में पायलट पैमाने पर प्रदर्शन स्थापित करने के लिए समर्थन दिया गया है। आरटेक सोलोनिक्स लिमिटेड-आरएंडडी इकाई, भोपाल, मध्य प्रदेश द्वारा कार्यान्वित सौर स्तंभ पर एक परियोजना जिसमें प्रकाश व्यवस्था, पर्यावरण निगरानी और स्मार्ट सिंचाई के लिए एक स्मार्ट सौर हाई मास्ट प्रणाली विकसित की गई है, जिसमें सामाजिक लाभ के लिए विस्तार की क्षमता है, को विभाग द्वारा समर्थन दिया गया है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने विकसित प्रौद्योगिकियों के बाजार सत्यापन और व्यावसायीकरण के लिए शिक्षा-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने हेतु प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को समर्थन दिया है।

देश में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग राष्ट्रीय नवाचार विकास और उपयोग पहल (एनआईडीएचआई) योजना के तहत नवीन और प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यों में सहयोग कर रहा है।

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) को स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने या व्यापक घरेलू एप्लीकेशनों के लिए आयातित प्रौद्योगिकी को अपनाने का आदेश दिया गया है। टीडीबी से वित्तीय सहायता ऋण या इक्विटी के रूप में और/या असाधारण मामलों में, स्वदेशी प्रौद्योगिकी के वाणिज्यिक अनुप्रयोग का प्रयास करने वाली एजेंसियों/औद्योगिक संस्थाओं को अनुदान के रूप में उपलब्ध है या व्यापक घरेलू अनुप्रयोगों के लिए आयातित प्रौद्योगिकी को अपना रही है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) अपनी योजना ‘जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार और उद्यमिता विकास (बायो-राइड)’ के माध्यम से पूरे देश में अनुसंधान एवं विकास को समर्थन देता है। इस योजना के तीन व्यापक घटक हैं अर्थात (i) जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी); (ii) औद्योगिक एवं उद्यमिता विकास (आईएंडईडी) और (iii) बायोमैन्युफैक्चरिंग एवं बायोफाउंड्री। यह योजना प्रतिस्पर्धी है और देश भर के अन्वेषकों के माध्यम से संगठनों के लिए खुली है।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने अनुसंधान एवं विकास के लिए अपनी प्रयोगशालाओं कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केन्द्र, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, तेलंगाना में स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान और मध्य प्रदेश में स्थित उन्नत सामग्री एवं प्रक्रिया अनुसंधान संस्थान, भोपाल को धन आवंटित किया है।

चूंकि ये योजनाएं केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाएं हैं और इस योजना के तहत किसी विशिष्ट राज्य/जिले को प्रस्ताव प्राप्त या स्वीकृत नहीं किए जाते हैं। ये कार्यक्रम प्रतिस्पर्धी आधार पर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत के संस्थानों/शोधकर्ताओं/नवप्रवर्तकों को सहायता प्रदान करते हैं। पिछले 3 वर्षों के दौरान इन राज्यों के संस्थानों/शोधकर्ताओं/नवप्रवर्तकों को स्वीकृत धनराशि का विवरण नीचे दी गई तालिका में दिया गया है:

 

मंजूर धनराशि (करोड़ रुपये में)

 

 

आंध्र प्रदेश

तेलंगाना

मध्य प्रदेश

एएनआरएफ

86.47

221.19

102.21

पीयूआरएसई

20.27

11.5

-

एनआईडीएचआई

20.63

27.56

7.01

एनएम-आईसीपीएस

39.75

186.2

47.19

टीडीपी

2.14

9.59

0.62

एनक्यूएम

0.07

0.39

0.38

एसएटीएचआई

--

79.52

--

टेक्नोलॉजी विकास‍ बोर्ड

29

--

--

जलवायु, ऊर्जा और स्थायी टेक्नोलॉजी

--

15.04

0.48

समानता सशक्तिकरण और विकास के लिए विज्ञान (एसईईडी)

2.78

5.27

2.57

डीबीटी: बायो- आरआईडीई

5.66

9.92

6.54

सीएसआईआर

--

1,773.34

217.38

 

यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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