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आपदाओं से लोगों को बचाने के लिए नवीन तरीके

Posted On: 11 MAR 2025 5:50PM by PIB Delhi

केंद्र सरकार ने सम्पूर्ण आपदा प्रबंधन चक्र में तैयारी, प्रतिक्रिया, क्षमता निर्माण, पुनर्प्राप्ति एवं पुनर्निर्माण तथा नवीन पद्धतियों, प्रौद्योगिकी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रयोग द्वारा न्यूनीकरण जैसे सभी मुद्दों के समाधान के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। पिछले दशक के दौरान, भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

केन्द्र सरकार द्वारा अपनाए गए प्रमुख नवीन तरीके इस प्रकार हैं:-

  1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने 2016 में पहली राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) विकसित की है। इस योजना को 2019 में संशोधित किया गया और इसे दस सूत्री एजेंडे के साथ जोड़ा गया। संशोधित एनडीएमपी केंद्र और राज्य स्तर के सभी क्षेत्रों, मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ जिला स्तर के पदाधिकारियों को एक साथ लाता है और आपदा जोखिम न्यूनीकरण में उनकी संबंधित भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
  1. एनडीएमए ने विभिन्न विषयगत और क्रॉस-कटिंग मुद्दों पर जोखिम विशिष्ट आपदा के प्रबंधन के लिए अड़तीस (38) दिशानिर्देश जारी किए हैं।
  1. एनडीएमए ने चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण और प्रतिक्रिया योजना के लिए एक वेब-आधारित डायनेमिक कम्पोजिट रिस्क एटलस और निर्णय सहायता प्रणाली (वेब-डीसीआरए और डीएसएस टूल) विकसित की है। इस टूल का उपयोग हाल ही में आए चक्रवातों, जैसे बिपरजॉय और मिचांग में सफलतापूर्वक किया गया है।
  2. राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) द्वारा बाढ़ संभावित राज्यों पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश तथा तुलनात्मक रूप से कम बाढ़ प्रभावित राज्यों जैसे जम्मू और कश्मीर, तमिलनाडु, केरल, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लिए बाढ़ खतरा एटलस विकसित किया गया है।
  1. एनआरएससी ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में 28,000 हिमनद झीलों का एक व्यापक डेटा सेट तैयार किया है।
  2. बिल्डिंग मैटीरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल (बीएमटीपीसी) ने एक डिजिटल एटलस विकसित किया है जो देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न खतरों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परियोजना तैयार करने में इस जानकारी का उपयोग करने के लिए जागरूक किया गया है।
  1. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सभी प्रभावित/संभावित प्रभावित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए चक्रवातों सहित नियमित और सटीक मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी बुलेटिन जारी करता है।
  1. आईएमडी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में विकसित होने वाले चक्रवातों की निगरानी के लिए उपग्रहों, राडार और पारंपरिक और स्वचालित मौसम स्टेशनों से प्राप्त गुणवत्तापूर्ण अवलोकनों का उपयोग करता है। इसमें इनसैट 3डी, 3डीआर और स्कैटसैट उपग्रह, तट पर डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) और तटीय स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस), उच्च वायु गति रिकॉर्डर, स्वचालित वर्षामापी (एआरजी), मौसम संबंधी जहाज शामिल हैं।
  1. आम लोगों/किसानों तक समय पर पूर्व चेतावनी और अलर्ट पहुंचाने के लिए दामिनी, मौसम, मेघदूत आदि जैसे कई अन्य नए मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किए गए हैं।
  1. राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना (एनसीआरएमपी) के अंतर्गत तटीय राज्यों में पूर्व चेतावनी प्रणालियां स्थापित की गई हैं, जो हाल के चक्रवातों के दौरान तटीय समुदाय को चेतावनी देने में काफी मददगार साबित हुई हैं।
  1. सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भारत के नागरिकों को आपदाओं से संबंधित भू-लक्षित प्रारंभिक चेतावनियों/अलर्ट के प्रसार के लिए 'कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (सीएपी) आधारित एकीकृत अलर्ट प्रणाली' लागू की गई है। इसके लिए एसएमएस, टीवी, रेडियो, तटीय सायरन, सेल प्रसारण, इंटरनेट (आरएसएस फीड और ब्राउज़र अधिसूचना), गगन और नाविक के सैटेलाइट रिसीवर आदि जैसे विभिन्न प्रसार माध्यमों का उपयोग किया गया है। इसके लिए सभी चेतावनी एजेंसियों [भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई)] को एकीकृत किया गया है।
  1. सीएपी प्रणाली में, विभिन्न आपदाओं से संबंधित अलर्ट आईएमडी, सीडब्ल्यूसी, आईएनसीओआईएस, डीजीआरई और एफएसआई जैसी अलर्ट जनरेटिंग एजेंसियों द्वारा तैयार किए जाते हैं और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के एसडीएमए द्वारा संचालित किए जाते हैं। अलर्ट क्षेत्रीय भाषाओं में भौगोलिक रूप से लक्षित क्षेत्रों को भेजे जाते हैं। आज तक 4500 करोड़ से अधिक अलर्ट संदेश प्रसारित किए जा चुके हैं। आपदा प्रबंधकों के लिए अलर्ट को अनुमोदित/संपादित करने तथा प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया का चयन करने हेतु एक वेब-आधारित डैशबोर्ड तथा एक मोबाइल एप्लीकेशन सचेत  उपलब्ध है। हाल की आपदाओं में इस प्रणाली का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।
  1. प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को कार्यान्वित करने के लिए देश भर में सभी आपात स्थितियों के लिए 'एकल संकट नंबर' संबंधी मौजूदा एकल नंबर "112" के साथ "ईआरएसएस का विस्तार" परियोजना को कार्यान्वित किया गया है, ताकि आपदाओं से संबंधित आपातकालीन कॉल को पूरा किया जा सके।
  2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के तत्वावधान में भारतीय विश्वविद्यालय एवं संस्थान नेटवर्क (आईयूआईएनडीआरआर-एनआईडीएम) की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य आपदा प्रतिरोधक क्षमता में शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण की भूमिका को उजागर करना तथा विभिन्न स्तरों पर इसके एकीकरण के साथ डीआरआर के लिए आदर्श पाठ्यक्रम विकसित करना है। आईयूआईएनडीआरआर शिक्षा और नीति के बीच इंटरफेस के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर ज्ञान उत्पादों के सहयोगात्मक विकास के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। अब तक 330 से अधिक विश्वविद्यालय और संस्थान इस नेटवर्क में शामिल हो चुके हैं।
  1. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की 16 बटालियनें और 28 क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केन्द्र विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए अच्छी तरह सुसज्जित और प्रशिक्षित हैं।
  1. लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एनडीएमए और एनडीआरएफ द्वारा नियमित रूप से मॉक अभ्यास और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
  1. वैश्विक स्तर पर, भारत आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
  1. आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) का शुभारंभ 23 सितंबर, 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में माननीय प्रधान मंत्री द्वारा किया गया था। अब तक 42 देशों और 7 अन्य संगठनों ने इसके चार्टर का समर्थन किया है और सदस्य के रूप में इसमें शामिल हुए हैं। सीडीआरआई वर्तमान में 13 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को उनकी अवसंरचना प्रणालियों को आपदा प्रतिरोधी बनाने में सहायता कर रहा है। इसके अलावा, सीडीआरआई बिजली और दूरसंचार जैसे विशिष्ट विकास क्षेत्रों में आपदा रोधी क्षमता को एकीकृत करने पर काम कर रहा है।
  1. जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एक कार्य समूह की स्थापना की गई, जिसमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के पांच प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई।
  1. सरकार ने कई क्षेत्रीय संगठनों, जैसे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के तहत सक्रिय भागीदारी के माध्यम से आपदा जोखिम प्रबंधन पर क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाया है। इन संगठनों के साथ, भारत ने संयुक्त अभ्यास किए हैं और साथ ही आपदा प्रबंधन में अच्छे तरीकों को साझा करने में सुविधा प्रदान की है।
  1. यूएनडीआरआर द्वारा भारत को विश्व के उन पांच देशों में से एक माना गया है जो तटीय क्षेत्रों के लिए खतरे, वहां आने वाली लहरों की ऊंचाई का पूर्वानुमान लगा सकता है तथा भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (आईटीईडब्ल्यूसी) के माध्यम से 'वास्तविक समय' में संवेदनशील इमारतों की पहचान कर सकता है, ताकि सम्पूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र को पूर्व चेतावनी दी जा सके।
  1. सरकार आपदा प्रभावित देशों को मानवीय सहायता और आपदा राहत सहायता प्रदान कर रही है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना के तहत, भारत सरकार ने फरवरी, 2023 में भीषण भूकंप से प्रभावित तुर्की और सीरिया को राहत सामग्री के साथ एनडीआरएफ और चिकित्सा दल भेजकर तत्काल मदद की है।

यह बात गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।

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