आयुष
केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, कोलकाता और स्कूल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट स्टडीज, जादवपुर विश्वविद्यालय ने मधुमेह के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन विडन्गडी लौहम की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
मधुमेह और इसकी जटिलताओं से निपटने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन विकसित करने में ये शोध मददगार साबित होगा
Posted On:
10 MAR 2025 6:04PM by PIB Delhi
मधुमेह प्रबंधन में आयुर्वेद अनुसंधान को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के तहत केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), कोलकाता ने स्कूल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट स्टडीज (एसएनपीएस), जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। सीएआरआई, कोलकाता में औपचारिक रूप से किया गया यह समझौता, "प्रायोगिक पशुओं में मधुमेह के प्रबंधन में एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक सूत्रीकरण, विडन्गडी लौहम का मूल्यांकन" नामक एक सहयोगी शोध परियोजना की शुरुआत का प्रतीक है।

आयुर्वेद अनुसंधान के क्षेत्र में इस शोध परियोजना में अपार संभावनाएं हैं, जिसका मकसद मधुमेह प्रबंधन में विडन्गडी लौहम के उपयोग के लिए एक मजबूत वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है। औषधीय पौधों की जैवभौतिकीय विशेषताओं और जैविक गतिविधि का विश्लेषण करके, यह अध्ययन भारत की समृद्ध औषधीय पौधों की विरासत के संरक्षण और उद्धार में अहम योगदान देगा। इसके नतीजे मधुमेह और उसकी जटिलताओं से निपटने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन विकसित करने में मददगार साबित होंगे।
इसके अलावा, यह परियोजना औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों को प्रमाणित करने के लिए, एक व्यापक डेटाबेस की ज़रुरत पर फोकस करती है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में उनकी विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। दरअसल इसका लक्ष्य आयुर्वेदिक फार्मूलों को प्राकृतिक स्वास्थ्य-प्रचार एजेंट के रूप में लोकप्रिय बनाना है, जिससे दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा को अधिक से अधिक बढ़ावा मिले। मधुमेह के एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता के रूप में उभरने की स्थिति में, इस शोध पहल में कम से कम या बिना किसी दुष्प्रभाव वाले आयुर्वेदिक योग के विकास की संभावना है, जिससे आखिरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और अनगिनत लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह में दोनों संस्थानों के अधिकारी शामिल हुए, जिनमें सीएआरआई, कोलकाता के निदेशक डॉ. जी. बाबू, (फार्माकोग्नोसी) सहायक निदेशक डॉ. अनुपम मंगल, (फार्माकोलॉजी) अनुसंधान अधिकारी डॉ. लालरिन पुइया, (फार्माकोलॉजी) सहायक निदेशक डॉ. शरद डी. पवार और अनुसंधान अधिकारी (एईपी) डॉ. राहुल सिंह शामिल थे। एसएनपीएस, जादवपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए, परियोजना के निदेशक और प्रधान अन्वेषक प्रो. (डॉ.) पल्लब कांति हलदर भी इस मौके पर मौजूद थे।
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एमजी/आरपीएम/केसी/एनएस/डीए
(Release ID: 2110059)
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