पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
Posted On:
10 MAR 2025 3:12PM by PIB Delhi
सरकार ने कच्चे तेल पर आयात निर्भरता कम करने तथा घरेलू स्तर पर तेल और गैस के उत्पादन बढ़ाने के विभिन्न उपाय किए हैं जो निम्नलिखित हैं:
i. हाइड्रोकार्बन खोज के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) व्यवस्था नीति, 2014.
ii. खोजे गए लघु क्षेत्र संबंधित नीति, 2015.
iii. हाइड्रोकार्बन की ड्रिलिंग और निष्कर्षण संबंधी अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी), 2016.
iv. उत्पादन साझाकरण अनुबंध के विस्तार हेतु नीति, 2016 और 2017.
v. कोयले की परत में प्राप्त होने वाले अपरंपरागत गैस भंडार- कोल बेड मीथेन के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए नीति, 2017.
vi. अन्वेषण संबंधी भूवैज्ञानिक डेटा - राष्ट्रीय डाटा रिपोजिटरी की स्थापना, 2017.
vii. राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम, 2017 के अंतर्गत तलछट बेसिनों में गैर-आकलित क्षेत्रों का मूल्यांकन।
viii पूर्व-नवीन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (प्री-एनईएलपी), 2016 और 2017 के अंतर्गत खोजे गए क्षेत्रों और अन्वेषण ब्लॉकों के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध के लिए नीतिगत ढांचा।
ix. तेल और गैस के उन्नत पुनर्प्राप्ति विधियों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन की नीति, 2018.
x. मौजूदा उत्पादन साझाकरण अनुबंधों (पीएससी), कोल बेड मीथेन (सीबीएम) अनुबंधों और नामांकित क्षेत्रों के तहत अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन की खोज और निष्कर्षण तंत्र नीति, 2018.
xi. प्राकृतिक गैस विपणन सुधार, 2020.
xii. निविदाएं आकर्षित करने के लिए निम्न रॉयल्टी दरें, शून्य राजस्व हिस्सेदारी (अप्रत्याशित लाभ तक) और श्रेणी II और III बेसिन के अंतर्गत ओपन एकरेज लाइसेंसिंग तंत्र के चरण-I में कोई ड्रिलिंग प्रतिबद्धता नहीं।
xiii. अपतटीय क्षेत्र में लगभग 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर (एसकेएम) 'नो-गो' क्षेत्र को मुक्त करना, जो पहले के दशकों में अन्वेषण के लिए वर्जित था।
सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा ईंधन के मूल्य निर्धारण, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के प्रभाव से बचने और उपभोक्ताओं पर बोझ कम करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ ही निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
i. केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2021 और मई 2022 में दो बार पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 13 रुपये प्रति लीटर और 16 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई, जिसका लाभ उपभोक्ताओं को मिला। कुछ राज्य सरकारों ने भी नागरिकों को राहत देने के लिए मूल्य संवर्धित कर की दरों में कमी की। मार्च, 2024 में, तेल विपणन कंपनियों ने देशभर में पेट्रोल और डीज़ल की खुदरा कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की।
ii. कच्चे तेल के आयात में विविधता लाकर आम लोगों को अंतर्राष्ट्रीय उच्च कीमतों से बचाना, घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सार्वभौमिक सेवा दायित्व के प्रावधान लागू करना, पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण बढ़ाना आदि।
iii. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा अंतर-राज्यीय माल ढुलाई को युक्तिसंगत बनाया गया है, जिससे राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को लाभ मिला है। इस पहल से राज्य के भीतर पेट्रोल या डीजल की अधिकतम और न्यूनतम खुदरा कीमतों के बीच अंतर में भी कमी आई है।
iv. देशभर में 10 करोड़ 33 लाख से अधिक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लाभार्थियों को सब्सिडी युक्त घरेलू एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराए गए हैं। कुछ राज्य सरकारें भी घरेलू गैस रिफिल पर अतिरिक्त सब्सिडी दे रही हैं और अपने बजट के अतिरिक्त लागत वहन कर रही हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और गैस कम्पनियां ने पहले ही कार्बन उत्सर्जन संतुलित करने के प्रयासों-नेट जीरो स्टेटस के लिए लक्षित तिथियों की घोषणा की है और इसके लिए योजनाएं विकसित की हैं। वे पर्यावरण संरक्षण और देश के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपने संचालन और मूल्य श्रृंखला को वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन कम करने की क्रमिक प्रक्रिया - डीकार्बोनाइज करने के कई तरीके अपना रही हैं। इसमें अन्य उपायों के साथ ही क्लीनर/वैकल्पिक ईंधन का इस्तेमाल शामिल है; जैसे भारत स्टेज (बीएस) IV के स्थान पर बीएस VI ईंधन मानदंडों को अपनाना; जैव ईंधन जैसे इथेनॉल मिश्रण, संपीड़ित जैव गैस (सीबीजी) और बायोडीजल अपनाना, स्वच्छ उत्पादन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना; गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ाना, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण प्रचलन अपनाना, हरित हाइड्रोजन का उत्पादन और उपयोग, विद्युत चालित वाहन (ईवी) चार्जिंग के बुनियादी ढांचे विस्तारित करना इत्यादि शामिल हैं। पिछले 10 वर्षों में, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कम्पनियों द्वारा पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण से लगभग 578 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन कम करने में मदद मिली है। सरकार ने "प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन - वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना" भी अधिसूचित किया है, जिसका उद्देश्य लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग कर देश में उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं की स्थापना के लिए एकीकृत जैव-इथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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