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परमाणु ऊर्जा भारत के नेट जीरो लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है और बड़े विस्तार की योजना है: डॉ. जितेंद्र सिंह


भारत परमाणु क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलेगा और इसके लिए प्रमुख विधायी बदलाव जल्द किए जाएंगे

सरकार ने परमाणु ऊर्जा रोडमैप का अनावरण किया: निजी निवेश, एसएमआर और 2047 तक 100 गीगावाट का लक्ष्य

भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए परमाणु ऊर्जा संबंधी जन जागरूकता अभियान महत्वपूर्ण: डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 04 MAR 2025 5:47PM by PIB Delhi

नीति आयोग द्वारा आयोजित बजट-पश्चात वेबिनार को संबोधित करते हुए, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान, तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु ऊर्जा भारत के नेट जीरो लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा विस्तार के लिए केंद्रीय बजट 2024-25 के विजन पर प्रकाश डाला, जिसमें 2047 तक 100 गीगावाट हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

भारत के स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को इंगित करते हुए, उन्होंने निजी क्षेत्र की भागीदारी, नियामक सुधार और निरंतर सार्वजनिक सहभागिता का आह्वान किया।

ऊर्जा की बढ़ती मांग पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत की बिजली की ज़रूरतें चार से पांच गुना बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार हो रहा है, लेकिन वे अकेले बेस-लोड डिमांड को पूरा नहीं कर सकते हैं, जिससे परमाणु ऊर्जा भारत की ऊर्जा रणनीति का एक प्रमुख घटक बन गई है। उन्होंने कहा, "100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक केंद्रित और दृढ़ दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी, अब से हर साल लगभग 4 गीगावाट जोड़ना होगा। साथ ही उचित योजना और कार्यान्वयन के साथ लक्ष्य को पूरा करने का विश्वास व्यक्त किया।

भारत की परमाणु नीति में एक बड़ा बदलाव परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के डिजाइन, निर्माण और संचालन में निजी क्षेत्र की प्रस्तावित भागीदारी है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वीकार किया कि इस भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम और विद्युत अधिनियम में विधायी संशोधन की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, "परमाणु क्षेत्र को खोलने से उद्योग जगत के भागीदारों को एक मजबूत नीतिगत संकेत मिलेगा, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।"

उन्होंने यह भी बताया कि एनपीसीआईएल अपनी सहायक कंपनियों के साथ मिलकर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी का लाभ उठाकर 100 गीगावाट के लक्ष्य का लगभग आधा हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य रखती है। इस बीच, एनटीपीसी के संयुक्त उद्यम अश्विनी ने माही-बांसवाड़ा में चार 700 मेगावाट क्षमता वाले पीएचडब्ल्यूआर के निर्माण का बीड़ा उठाया है।

मंत्री महोदय ने वर्ष 2033 तक पांच एसएमआर विकसित करने के उद्देश्य से एक स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) अनुसंधान एवं विकास मिशन शुरू करने की भी घोषणा की। अपनी अनुकूलन क्षमता के लिए जाने जाने वाले इन रिएक्टरों को औद्योगिक क्षेत्रों, दूरदराज के क्षेत्रों और सीमेंट एवं इस्पात निर्माण जैसे हार्ड टू एबेट क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि डॉ. होमी भाभा द्वारा शुरू की गई भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा को प्रतिबंधात्मक वैश्विक नीतियों और परमाणु प्रसार पर गलत आशंकाओं के कारण घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अक्सर संदेह का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने कहा कि 2014 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में बड़ा बदलाव हुआ है तथा स्वच्छ और टिकाऊ बिजली उत्पादन के एक प्रमुख घटक के रूप में इसके परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को अधिक स्वीकार्यता मिली है। उन्होंने बताया कि अतीत के विपरीत, 100 गीगावाट परमाणु लक्ष्य की घोषणा को किसी भी नकारात्मक प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ा है, जो वैश्विक परमाणु समुदाय में भारत की बढ़ती विश्वसनीयता और परमाणु ऊर्जा विकास के लिए इसके जिम्मेदारीपूर्ण और पारदर्शी दृष्टिकोण की मान्यता को दर्शाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा के बारे में लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने सरकारी एजेंसियों, निजी कंपनियों और पर्यावरण समूहों के बीच सहयोग का आग्रह करते हुए कहा, "भय को दूर करने और परमाणु ऊर्जा को एक सुरक्षित एवं स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में रेखांकित करने के लिए एक अधिक जोरदार और निरंतर पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम की आवश्यकता है।"

हितधारकों के परामर्श से अब एक रोडमैप तैयार किए जाने के साथ, मंत्री ने पुष्टि की कि हालांकि चुनौतियां मौजूद हैं, लेकिन 2047 तक 100 गीगावाट का लक्ष्य हासिल करना महत्वाकांक्षी और साध्य दोनों है।

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