पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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2050 तक भारत की सर्कुलर अर्थव्यवस्था 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का बाजार और लगभग 10 मिलियन नौकरियां पैदा कर सकती है- केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव


डेलीगेट्स ने जयपुर की हेरिटेज साइट्स का किया अवलोकन

शहरी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सीएसआईआर और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बीच हुआ एमओयू

Posted On: 04 MAR 2025 6:39PM by PIB Delhi

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा की वर्ष 2050 तक भारत की सर्कुलर अर्थव्यवस्था 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का बाजार और लगभग 10 मिलियन नौकरियां पैदा कर सकती है। वहीं वैश्विक स्तर की बात करें तो यह सर्कुलर अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त आर्थिक उत्पादन कर सकती है।

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव मंगलवार को जयपुर में चल रहे भारत और प्रशांत क्षेत्र के 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सर्कुलर अर्थव्यवस्था' 250 साल पहले हुई द्योगिक क्रांति के बाद व्यापार में सबसे बड़े परिवर्तनों को सामने लाएगी और उत्पादन तथा उपभोग के अब तक चले रहे पारंपरिक मॉडल 'टेक, मेक, वेस्ट' में क्रांतिकारी परिवर्तन करेगी।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत वर्ष 2026 में विश्व सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के आयोजन के लिए उम्मीदवार है। उन्होंने कहा कि हर साल, विश्व सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का आयोजन किया जाता है और इस वर्ष, 2025 में इसका आयोजन ब्राजील के साओ पाउलो में किया जा रहा है। भारत ने विश्व सर्कुलर इकोनॉमी फोरम 2026 की मेजबानी करने की इच्छा व्यक्त की है। 2030 और उससे आगे की ओर देखते हुए, इस फोरम को वास्तविक परिवर्तन लाना चाहिए।

श्री यादव ने कहा कि भारत प्लास्टिक अपशिष्ट चुनौतियों और उनके संबंधित पारिस्थितिक प्रभावों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (2016) के जरिए नगरपालिका, द्योगिक, आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों को लक्षित करते हुए महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं। भारत ने 2022 में अधिसूचना के माध्यम से एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक की कुछ श्रेणियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही मिशन 'लाइफ' पहल के साथ जुड़ते हुए MoEFCC ने ऊर्जा दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देते हुए पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ाने के लिए इको-मार्क नियम लागू किए है।

केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने बताया कि 10 अपशिष्ट श्रेणियों के लिए सर्कुलर इकोनॉमी एक्शन प्लान को अंतिम रूप दिया गया है, जिसके लिए विनियामक और कार्यान्वयन रूपरेखा पर काम चल रहा है। श्री यादव ने कहा कि देश में एक मजबूत रीसाइक्लिंग द्योग तेजी से विकसित हो रहा है जो अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक आयामों में सतत विकास के लिए, हमें राष्ट्रीय आवश्यकताओं, प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी क्षेत्रों में 3R और सर्कुलर अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को एकीकृत करना चाहिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांत भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। यह 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन ज्ञान में परिलक्षित भी होता है।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री श्रीनिवास कथीकला और राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत ने आज संयुक्त रूप से एक महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर इकोनॉमी पहलों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस सत्र में भारत के अपशिष्ट प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से कई प्रमुख रिपोर्टों, बेस्ट प्रैक्टिसेज और महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

 

एसबीएम वेस्ट टू वेल्थ पीएमएस पोर्टल का शुभारंभ

सत्र का एक प्रमुख आकर्षण एसबीएम वेस्ट टू वेल्थ पीएमएस पोर्टल का शुभारंभ था, जो स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के तहत विकसित एक अभिनव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। पोर्टल को परियोजना निगरानी को बढ़ाने, डेटा प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने और संसाधन साझा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे वेस्ट टू वेल्थ के मिशन के व्यापक उद्देश्य का समर्थन किया जा सके। यह पहल सतत शहरी विकास और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

 

आईएफसी डॉक्यूमेंट रेफरेंस गाइड का विमोचन

सत्र में आईएफसी डॉक्यूमेंट रेफरेंस गाइड: बिजनेस मॉडल्स एंड इकोनॉमिक असिस्टेंस फॉर म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) प्रोजेक्ट्स का विमोचन भी किया गया। यह गाइड अपशिष्ट से बिजली बनाने, बायोमेथेनेशन और बायोरेमेडिएशन सहित एमएसडब्ल्यू प्रसंस्करण के लिए विभिन्न व्यावसायिक मॉडलों में व्यापक जानकारी प्रदान करती है। यह दस्तावेज़ नगरपालिकाओं और निजी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करेगा जो प्रभावी और आर्थिक रूप से व्यवहार्य अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं को लागू करना चाहते हैं।

 

सीएसआईआर और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बीच एमओयू

कचरा प्रबंधन में वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, काउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अन्डरस्टैंन्डिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह साझेदारी भारत भर में शहरी कचरा प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाने के लिए अनुसंधान-संचालित समाधान और नवीन तकनीकों की सुविधा प्रदान करेगी।

 

इंडियाज सर्कुलर सूत्रका विमोचन

इस कार्यक्रम मेंइंडियाज सर्कुलर सूत्र: कम्पेनडियम ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेज इन 3आर एंड सर्कुलर इकोनॉमीका विमोचन भी किया गया। यह संग्रह रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल (3आर) ढांचे में सफल केस स्टडी और अभिनव प्रयोगों को प्रस्तुत करता है, जो सर्कुलर इकोनॉमी समाधानों को लागू करने के इच्छुक शहरी स्थानीय निकायों और हितधारकों के लिए मूल्यवान रिसोर्स प्रदान करता है।

ये पहल टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

दस लाख से ज़्यादा आबादी वाले शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट

इस सत्र में ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) ने अपना नवीनतम अध्ययन प्रस्तुत किया, जो दस लाख से ज़्यादा आबादी वाले शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) प्रथाओं पर विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। रिपोर्ट में टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों, सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों और विकेंद्रीकृत समाधानों पर प्रकाश डाला गया है जिससे भारत के तेज़ी से शहरीकृत हो रहे क्षेत्रों को उनकी अनूठी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जा सकता है।

 

डेलीगेट्स का तकनीकी और हेरिटेज साइट्स का दौरा

डेलीगेट्स ने जयपुर में प्रमुख अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता सुविधाओं का तकनीकी दौरा किया, जिसमें लांगरियावास में अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र और सैनिटरी लैंडफिल साइट और देहलावास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शामिल हैं। इन यात्राओं से अभिनव अपशिष्ट प्रसंस्करण तकनीकों, अपशिष्ट से ऊर्जा पुनर्प्राप्ति और कुशल सीवेज उपचार तंत्रों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मिली।

तकनीकी यात्राओं के अलावा, प्रतिनिधियों ने जयपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी लुत्फ उठाया, जिसमें हवा महल, सिटी पैलेस, अल्बर्ट हॉल और पत्रिका गेट जैसे प्रतिष्ठित स्थल शामिल थे। इन विरासत यात्राओं ने शहर की स्थापत्य भव्यता और ऐतिहासिक महत्व की झलक पेश की, जो एक समग्र अनुभव प्रदान करता है जो शहरी बुनियादी ढांचे की प्रगति को राजस्थान की जीवंत सांस्कृतिक विरासत के साथ जोड़ता है।

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