विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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पिछले दशक में अनुसंधान एवं विकास पर भारत का व्यय दोगुना से भी अधिक हो गया, यह वर्ष  2013-14 में 60,196 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपये हो गया: डॉ. जितेंद्र सिंह


भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने के लिए एआई, जैव प्रौद्योगिकी और क्वांटम कंप्यूटिंग में घरेलू नवाचार: डॉ. जितेंद्र सिंह

दिशा कार्यक्रम भारत की ज्ञान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा, आत्मनिर्भर भारत को मजबूती प्रदान  करेगा, मंत्री ने कहा

एआई-संचालित स्वास्थ्य सेवा सुलभता में क्रांति लाएगी, लेकिन मानवीय विशेषज्ञता की अपरिहार्यता बरकरार है: डॉ. जितेंद्र सिंह

मंत्री ने दावे कहा कि युवा नवोन्मेषक 2047 तक भारत के तकनीकी परिवर्तन को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाएंगे,

Posted On: 03 MAR 2025 5:24PM by PIB Delhi

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक प्रगति को उत्प्रेरित करने की दिशा में सरकार समर्थित कदमों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में पिछले एक दशक में भारत का अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) दोगुना हो गया है, जो 2013-14 में 60,196 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,27,381 करोड़ रुपये हो गया है और यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जैव प्रौद्योगिकी और क्वांटम कंप्यूटिंग में घरेलू नवाचारों द्वारा परिभाषित भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था को आकार दे रहा है।”

यहां इंडिया हैबिटेट सेंटर में दिशा कार्यक्रम में अपने संबोधन में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत को गहन-तकनीकी नवाचार और व्यावसायीकरण के क्षेत्र में विश्‍व में अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार की बहुआयामी रणनीति पर प्रकाश डाला।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि भारत बौद्धिक संपदा (आईपी) से प्रेरित नवाचार इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जिसमें शैक्षणिक समुदाय, उद्योग और स्टार्टअप महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के वित्त पोषण पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने के कारण पिछले दशक में भारत का अनुसंधान और विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) दोगुना से अधिक हो गया है, जो 2013-14 में 60,196 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,27,381 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा, “सरकार न केवल अनुसंधान में निवेश कर रही है, बल्कि इन नवाचारों को प्रयोगशालाओं से उद्योगों में निर्बाध रूप से स्थानांतरित किया जाना  भी सुनिश्चित कर रही है, ताकि आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत हो सके।”

 

 

 

दिशा कार्यक्रम, नवाचारों को विकसित करने, उनके सफल उपयोग और उन्हें अपनाने के प्रति लक्षित  पहल है, जो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा में उठाया गया कदम है, जहां अनुसंधान-संचालित समाधान उद्योगों को परिवर्तित कर  देते हैं। यह कार्यक्रम विभिन्न विषयों में विघटनकारी प्रौद्योगिकियों पर काम करने वाले संकाय सदस्यों और छात्रों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि वैश्विक नवाचार में भारत का सबसे आगे रहना सुनिश्चित हो सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दिशा जैसी पहल अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) के साथ संबद्ध है, जिसका उद्देश्य विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान को जोड़ते हुए एक एकीकृत अनुसंधान इकोसिस्टम तैयार करना है। यह एकीकृत दृष्टिकोण भारतीय शोधकर्ताओं को खोज और कार्यान्वयन की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग में शामिल होने के लिए सशक्त बनाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह के संबोधन की एक मुख्य बात अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और परमाणु अनुसंधान जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनुमति देने के लिए भारत की नीति में बदलाव किए जाने से संबंधित रही। उन्होंने कहा, “जो पहले केवल सरकारी संस्थानों का क्षेत्र था, वह अब निजी उद्यमों के लिए खुला है, जिससे तेजी से तकनीकी प्रगति, उच्च दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सक्षम बनाया जा रहा है।”

 

 

विशेष रूप से, अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार में उछाल देखा गया है, जिसमें स्टार्टअप उपग्रह विकास, प्रक्षेपण सेवाओं और अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी उद्यमों  के लिए खोलने का सरकार का निर्णय एक अन्य परिवर्तनकारी कदम है जिसका उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।

स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में एआई-संचालित मोबाइल टेलीमेडिसिन इकाइयों की सफलता की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, “एआई-संचालित निदान और टेलीमेडिसिन समाधान पहले से ही रोगी देखभाल को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं सभी के लिए सुलभ और किफायती हो गई हैं।”

 

 

हालांकि, उन्होंने एआई और मानवीय विशेषज्ञता के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “एआई की भूमिका मानवीय बुद्धिमत्ता को पूरक बनाना है, न कि उसे प्रतिस्थापित करना। हाइब्रिड दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य सेवा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की भूमिका को कम करने के बजाय बढ़ाए।”

भारत 2047 में अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करने जा रहा है, ऐसे में डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवा नवोन्मेषकों से देश के तकनीकी भविष्य को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “तकनीकी रूप से उन्नत भारत का निर्माण करने की ज़िम्मेदारी अगली पीढ़ी पर है। आज हम जिस चीज़ में निवेश करते हैं, वह आने वाले दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारी स्थिति निर्धारित करेगी।”

सरकार गहन तकनीक अनुसंधान, कौशल विकास और उद्योग-अकादमिक सहयोग में निवेश करना जारी रखे हुए है, इसलिए दिशा जैसे कार्यक्रम भारत को नवाचार का केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मंत्री के संबोधन ने एक ऐसे भारत के दृष्टिकोण को मजबूत किया जो केवल प्रौद्योगिकी का उपभोक्ता ही नहीं है, बल्कि दुनिया के लिए अत्याधुनिक समाधानों का अग्रणी निर्माता और निर्यातक भी है।

 

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