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अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर दिवस 2025 पर सुगम्यता और समावेशिता की दिशा में एक अग्रणी पहल 'सुगम्य यात्रा' का आयोजन नई दिल्ली में किया गया

Posted On: 01 MAR 2025 6:35PM by PIB Delhi

अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर दिवस 2025 के अवसर पर, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी), केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमएसजेई) तथा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त (सीसीपीडी) के कार्यालय द्वारा आज नई दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर सुगम्य यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा का मकसद व्हीलचेयर को इस्तेमाल करने वाले लोगों से जुड़े मिथकों को तोड़ना, पहुंच को बढ़ावा देना और समाज में समावेशिता को प्रोत्साहित करना है।

इस पहल को पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय दिव्यांगजन संस्थान (पीडीडीयू-एनआईपीपीडी), भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी), दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी), और सामर्थ्यम - यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी केंद्र से भी समर्थन प्राप्त था। इस कार्यक्रम में स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, वास्तु कला अकादमी, आशा स्कूल, पीडीडीयू-एनआईपीपीडी और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों ने भी भाग लिया।

 

आयोजन में मुख्य गतिविधियाँ:

  • एक्सेसिबिलिटी वॉक - एक इंटरैक्टिव अनुभव, जहां नागरिकों और नीति निर्माताओं ने व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के सामने आने वाली वास्तविक जीवन की चुनौतियों को समझा।
  • अनुभवात्मक सिमुलेशन अभ्यास - गैर-दिव्यांग व्यक्तियों ने पहुंच संबंधी चुनौतियों का जीवंत अनुभव करने के लिए व्हीलचेयर का उपयोग किया।
  • पैनल चर्चा - समावेशिता, पहुंच और दिव्यांगजनों के अधिकारों पर नीति निर्माताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और दिव्यांगजन समुदाय के सदस्यों की एक विचारोत्तेजक बातचीत।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री राजेश अग्रवाल, सचिव, डीईपीडब्ल्यूडी, एमएसजेई ने पहुंच के महत्व पर जोर दिया और कहा, “सरकारी भवनों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाने के मकसद से वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुगम्य भारत अभियान शुरू किया गया था। हालाँकि, हमें अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि कई इमारतें अभी भी पूरी तरह से इस बावत सुलभ नहीं हो पाईं हैं। इसी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, अभियान को पिछले महीने से देश भर में फिर से सक्रिय किया गया है और आज के कार्यक्रम के साथ नई दिल्ली में इसकी शुरुआत हुई। इस पहल से न केवल सरकारी और निजी दोनों स्थानों पर पहुंच बढ़ सकेगी, बल्कि समावेशिता को लेकर व्यापक जागरूकता भी पैदा होगी।

श्री अग्रवाल ने मीडिया पेशेवरों और आम जनता से समावेशी और सुलभ वातावरण को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने डिजिटल सामग्री को और अधिक सुलभ बनाने के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा, "सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट करते समय, एएलटी विवरण जोड़ना ज़रुरी है, और वीडियो के संदर्भ में ट्रांस्क्रिप्शन अनिवार्य होना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जानकारी सभी के लिए सुलभ है।"

डीईपीडब्ल्यूडी की संयुक्त सचिव सुश्री मनमीत कौर नंदा ने देश भर में सुगम्य यात्रा पहल का विस्तार करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा, “हमारे प्रयास केवल सरकारी कार्यालयों तक ही सीमित नहीं रहेंगे; हम दिव्यांगजनों के लिए कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों को अधिक सुलभ बनाने में सहयोग करने के लिए निजी संगठनों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ेंगे।

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आयुक्त (सीसीपीडी) डॉ. एस. गोविंदराज ने बताया कि कैसे सुगम्य यात्रा, ज़िंदगी के सफर की अभिव्यक्ति है, जहां हर किसी के जीवन में कई उतार-चढ़ाव होते हैं। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि यह समाज का कर्तव्य है कि वह वंचित और हाशिए पर रहने वाले वर्गों, खासकर दिव्यांगजनों को ज्यादा से ज्यादा सहायता दे और उन्हें सशक्त बनाए ताकि उन्हें भी अन्य नागरिकों की तरह विकास का पूरा लाभ मिल सके। उन्होंने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण विभाग और सीसीपीडी कार्यालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा पूरा देश सुलभ और समावेशी विचारधारा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर दिवस पर नई दिल्ली में सुगम्य यात्रा का शुभारंभ, महज़ एक दिवसीय कार्यक्रम नहीं है, बल्कि सिर्फ एक शुरुआत है जिसे अपने लक्ष्य को पूरा करने तक जारी रहना चाहिए।

सामर्थ्यम की कार्यकारी निदेशक सुश्री अंजली अग्रवाल ने इस पहल के दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, आज से शुरू होने वाली सुगम्य यात्रा पूरे भारत में, गांवों से लेकर महानगरों तक आयोजित की जाएगी। यह पहल हमारे पर्यावरण को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाने में सक्रिय कदम उठाने के लिए, नीति निर्माताओं, इंजीनियरों और वास्तुकारों के लिए एक अहम संदेश के रूप में कार्य करती है।

इस आयोजन ने एक सशक्त संदेश दिया कि गतिशीलता में बाधाओं को दूर करके, दिव्यांगजन भी अधिक स्वतंत्रता और आर्थिक सशक्तिकरण प्राप्त कर सकते हैं, जिससे सही मायनों में समावेशी समाज का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

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