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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय नौसेना ने अपनी तरह की पहली नौसैन्य जलपोत-रोधी मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया

प्रविष्टि तिथि: 26 FEB 2025 7:45PM by PIB Delhi

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने 25 फरवरी, 2025 को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से अपनी तरह की पहली नौसैन्य जलपोत-रोधी मिसाइल (एनएएसएम-एसआर) का सफल परीक्षण पूरा किया। इन परीक्षणों में भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से प्रक्षेपित किए गए निर्धारित जहाज लक्ष्यों पर मिसाइल की क्षमता का प्रदर्शन किया गया  l

 

   

इन परीक्षणों ने मिसाइल की मैन-इन-लूप विशेषता को साबित कर दिया है और इसकी अधिकतम सीमा पर सी-स्किमिंग मोड में एक छोटे जहाज के लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया है। यह मिसाइल टर्मिनल मार्गदर्शन के लिए स्वदेशी इमेजिंग इंफ्रा-रेड सीकर तकनीक का इस्तेमाल करती है। मिशन ने उच्च बैंडविड्थ दो तरफा डेटालिंक प्रणाली को भी दर्शाया है, जिसका उपयोग उड़ान के दौरान पुनः लक्ष्य निर्धारण के लिए पायलट को लक्ष्य की त्वरित तस्वीर भेजने के लिए किया जाता है।

मिसाइल को लॉन्च मोड के बाद बियरिंग-ओनली लॉक-ऑन में प्रक्षेपित किया गया था, जिसमें से एक को चुनने के लिए कई लक्ष्य उसके पास में थे। मिसाइल ने शुरू में खोज के एक निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर एक बड़े लक्ष्य पर लॉक किया और टर्मिनल चरण के दौरान, पायलट ने एक छोटे छिपे हुए लक्ष्य का चयन किया, जिसके परिणामस्वरूप इसे सटीक रूप से नष्ट किया गया।

यह मिसाइल अपने मध्य-मार्ग मार्गदर्शन के लिए स्वदेशी फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप-आधारित आईएनएस और रेडियो अल्टीमीटर, एक एकीकृत एवियोनिक्स मॉड्यूल, एयरोडायनामिक तथा जेट वेन नियंत्रण हेतु इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्चुएटर्स, थर्मल बैटरी और पीसीबी वारहेड का उपयोग करती है। इसमें इन-लाइन इजेक्टेबल बूस्टर और लॉन्ग-बर्न सस्टेनर के साथ सॉलिड प्रोपल्शन का इस्तेमाल किया गया है। परीक्षणों ने मिशन के सभी निर्धारित उद्देश्यों को पूरा कर लिया है।

इस मिसाइल को डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित किया गया है, जिनमें रिसर्च सेंटर इमारत, रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला शामिल हैं। वर्तमान में मिसाइलों का उत्पादन एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स एवं अन्य उत्पादन साझेदारों की मदद से विकास सह उत्पादन सहभागिता वाले संगठन द्वारा किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और रक्षा उद्योग जगत के सदस्यों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मैन-इन-लूप सुविधाओं के लिए किए गए परीक्षण अद्वितीय हैं क्योंकि यह उड़ान के दौरान पुनः लक्ष्यीकरण की क्षमता उजागर करते हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी डीआरडीओ की पूरी टीम, उपयोगकर्ताओं तथा रक्षा उद्योग जगत के साझेदारों को इस सफलता पर बधाई दी है।

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एमजी/केसी/एनके


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