भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की ‘भारत के लिए गहन वैज्ञानिक खोजों का प्रभावशाली नवाचारों में रूपांतरण’ पहल के तहत कृषि से संबंधित अगली पीढ़ी के दो जैव-उत्पादों का हस्तांतरण
Posted On:
21 FEB 2025 7:12PM by PIB Delhi
उच्च सामाजिक व व्यावसायिक प्रभाव से लैस गहन विज्ञान-आधारित भारतीय नवाचारों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (सी-कैंप) ने दो नए बायोएक्टिव गैर-रासायनिक उत्पादों, एफिडकंट्रोल और ज़ैंथोकंट्रोल, को पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड को सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया है। यह घोषणा नई दिल्ली में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर ए.के. सूद और प्रतीक्षा ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी डॉ. क्रिस गोपालकृष्णन की उपस्थिति में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की गई।
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इन प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण सी-कैंप में डिस्कवरी टू इनोवेशन एक्सेलेरेटर (डीआईए) कार्यक्रम के तहत ‘भारत के लिए गहन वैज्ञानिक खोजों को प्रभावशाली नवाचारों में रूपांतरण’ पहल का एक हिस्सा है। पीएसए के कार्यालय और प्रतीक्षा ट्रस्ट द्वारा समर्थित, इस पहल को वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए अग्रणी अनुसंधान को औद्योगिक उत्पादन के लिए तैयार उत्पादों में बदलने के लिए डिज़ाइन की गई है। अब जबकि भारत में फसलों के नुकसान में कीटों एवं बीमारियों का महत्वपूर्ण योगदान – अनुमानित रूप से 10-35 प्रतिशत वार्षिक – है, इन दो जैव-आधारित उत्पादों की समावेश स्थायी कृषि की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। सिंथेटिक कीटनाशकों के इन शत-प्रतिशत जैविक विकल्पों को पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा बड़े पैमाने पर प्रमाणीकरण एवं व्यावसायीकरण से गुजरना होगा, जिससे फसलों की सुरक्षा संबंधी उपायों से जुड़े उनके पोर्टफोलियो को मजबूती मिलेगी।
एफिडकंट्रोल पौधों के अर्क से प्राप्त एक नया वानस्पतिक कीटनाशक है, जो प्रभावी रूप से एफिड को लक्षित करता है। एफिड एक व्यापक प्रसार करने वाला कीट है, जो कृषि को काफी नुकसान पहुंचाता है। पारंपरिक रासायनिक कीटनाशकों के उलट, यह जैविक उत्पाद पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए फसलों की सुरक्षा का एक स्थायी उपाय प्रदान करता है। एफिडकंट्रोल ने मौजूदा जैव कीटनाशकों की तुलना में बेहतर प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया है, जिससे एफिड के खिलाफ एक मजबूत, पर्यावरण-अनुकूल रक्षा तंत्र सुनिश्चित होता है। दूसरी ओर, ज़ैंथोकंट्रोल, माइक्रोबियल मेटाबोलाइट से विकसित एक सफल बायोकंट्रोल एजेंट है जो टमाटर और अनार सहित 40 से अधिक फसलों में जीवाणु जनित नुकसान (बैक्टीरियल ब्लाइट) के लिए जिम्मेदार जीवाणु रोगज़नक़ ज़ैंथोमोनस से प्रभावी ढंग से निपटता है। यह अभिनव उपाय सिंथेटिक कीटनाशकों का एक सुरक्षित व अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ विकल्प प्रदान करता है, जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध और पर्यावरणीय स्थिरता से जुड़ी चिंताओं को दूर करता है।
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प्रोफेसर ए.के. सूद ने इस पहल का स्वागत किया और कहा, “सी-कैंप डीआईए कार्यक्रम भारत के कृषि क्षेत्र को नया आकार देने की क्षमता के साथ उद्योग-केंद्रित नवाचारों को बढ़ावा दे रहा है। यह अनुसंधान और उद्योग के बीच अंतर को पाटने वाले परिवर्तनकारी कार्यक्रमों का समर्थन करने के प्रति पीएसए कार्यालय की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।”
पीएसए कार्यालय के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने कहा, “पीएसए कार्यालय द्वारा समर्थित डिस्कवरी टू इनोवेशन एक्सेलेरेटर कार्यक्रम के तहत विकसित दो अभिनव जैव-आधारित उत्पादों से संबंधित प्रौद्योगिकी का उद्योग जगत को हस्तांतरण टिकाऊ कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान को बाजार के लिए तैयार उत्पादों में बदलने की दिशा में किए गए सी-कैंप के प्रयासों का प्रमाण है। एफिडकंट्रोल और ज़ैंथोकंट्रोल जैसे दो गैर-रासायनिक उत्पादों के माध्यम से फसलों के नुकसान जैसी महत्वपूर्ण समस्या का हल निकलने के लिए सी-कैंप के नवप्रवर्तकों एवं टीम को मेरी शुभकामनाएं और बधाई।”
डॉ. क्रिस गोपालकृष्णन ने अनुसंधानों को सार्थक रूप देने के महत्व पर जोर दिया और इस ताकत का लाभ उठाने व वैश्विक जैव-नवाचार केन्द्र के रूप में उभरने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने वैज्ञानिक खोजों का प्रभावशाली वास्तविक उत्पादों में रूपांतरण सुनिश्चित करने के लिए सी-कैंप डीआईए कार्यक्रम की सराहना की। पीएसए कार्यालय के सलाहकार डॉ. मोनोरंजन मोहंती ने कहा कि एफिडकंट्रोल और ज़ैंथोकंट्रोल का हस्तांतरण डीआईए कार्यक्रम के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वैज्ञानिक उपलब्धियों को कृषि क्षेत्र की सेवा करने वाली नवीन प्रौद्योगिकियों में बदलने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सी-कैंप के सीईओ एवं निदेशक डॉ. तस्लीमारिफ़ सैय्यद ने इस परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने में डीआईए की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि इस कार्यक्रम ने देश भर के अनुसंधान संस्थानों द्वारा उत्पन्न ज्ञान का सफलतापूर्वक लाभ उठाया है और औद्योगिक मानकों के अनुरूप उनकी प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर को बेहतर किया है। उन्होंने कहा कि यह पहल भारत में शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटने का एक प्रमुख उदाहरण है और यह पीएसए कार्यालय तथा प्रतीक्षा ट्रस्ट के उदार समर्थन से संभव हुआ है।
इस कार्यक्रम में डॉ. अलका शर्मा, वैज्ञानिक एच, डीबीटी, डॉ. मोनोरंजन मोहंती, सलाहकार, पीएसए कार्यालय, डॉ. तसलीमारिफ सैय्यद, सीईओ एवं निदेशक, सी-कैंप, श्री मयंक सिंघल, उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आईपी इंडस्ट्रीज, श्री प्रशांत हेगड़े, सीईओ, एगकेम ब्रांड्स, श्री ईश्वर रेड्डी, सीमैप, डॉ. सारंगथेम इंदिरा देवी, आईबीएसडी, डॉ. सुदेश के. यादव, निदेशक, आईएचबीटी, डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, एनबीआरआई, डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीमैप, डॉ. संगीता अग्रवाल, वैज्ञानिक एफ, पीएसए कार्यालय और डॉ. हफ्सा अहमद, वैज्ञानिक, पीएसए कार्यालय ने भाग लिया।
यह उपलब्धि सीएसआईआर-आईएचबीटी, सीएसआईआर-सीमैप, आईबीएसडी, डीबीटी और पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सहयोगात्मक प्रयासों से संभव हुई। इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों में पीएसए कार्यालय, सी-कैंप, पीआई इंडस्ट्रीज, सीएसआईआर संस्थान, डीबीटी और प्रतीक्षा ट्रस्ट के प्रतिनिधि शामिल थे। यह आयोजन टिकाऊ कृषि और उद्योग जगत के सहयोग से संबंधित अनुसंधान-प्रेरित समाधानों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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एमजी / केसी / आर
(Release ID: 2105437)
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