विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज एम्स नई दिल्ली में भारत का पहला स्वदेशी स्वचालित बायो मेडिकल अपशिष्ट उपचार संयंत्र लॉन्च किया


स्वचालित बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार रिग, "सृजनम" आधिकारिक तौर पर राष्ट्र को समर्पित किया गया

सीएसआईआर एनआईआईएसटी तिरुवनंतपुरम द्वारा अपनी तरह का पहला स्वदेशी स्वचालित बायो मेडिकल अपशिष्ट उपचार रिग विकसित किया गया है

"भारत की नई पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकी बायोमेडिकल अपशिष्ट समाधान स्वास्थ्य देखभाल अपशिष्ट निपटान में बदलाव लाने के लिए तैयार" : विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रिकॉर्ड-तोड़ निवेश के साथ सरकार के पहले 100 दिनों के विजन को प्रदर्शित किया

Posted On: 10 FEB 2025 6:12PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज एम्स नई दिल्ली में भारत का पहला स्वदेशी स्वचालित बायो मेडिकल अपशिष्ट उपचार संयंत्र आरंभ किया।

एम्स सभागार में आयोजित समारोह में मंत्री द्वारा "सृजनम" नामक स्वचालित बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार रिग को आधिकारिक तौर पर राष्ट्र को समर्पित किया गया। समारोह के बाद, वह सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी और एम्स के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास के साथ एम्स परिसर में उस स्थान पर गए जहां मशीनरी स्थापित की गई थी और औपचारिक रूप से इसे चालू किया।

सीएसआईआर-एनआईआईएसटी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी) द्वारा विकसित यह अभिनव, पर्यावरण अनुकूल तकनीक, बायोमेडिकल कचरे के स्थायी प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति प्रदान करती है।

इसकी कमीशनिंग के अवसर पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'अपशिष्ट से धन' की ओर आदर्श बदलाव का आह्वान किया और स्थिरता एवं पर्यावरणीय चिंताओं के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्‍व की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं से निकलकर विश्‍व की पहली पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई है और निरंतर विकास के लिए तैयार है। उन्होंने नए बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार रिग के महत्व पर बल दिया, जो स्वास्थ्य सुविधाओं में अपशिष्ट प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है।

"सृजनम" रिग महंगे और ऊर्जा-गहन भस्मक के उपयोग के बिना, रक्त, मूत्र, थूक और प्रयोगशाला डिस्पोजेबल जैसे रोगजनक बायोमेडिकल कचरे को कीटाणुरहित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह रिग दुर्गंधयुक्त जहरीले कचरे को सुखद सुगंध प्रदान करता है। 400 किलोग्राम की दैनिक क्षमता के साथ, यह उपकरण प्रारंभिक चरण में प्रति दिन 10 किलोग्राम डिग्रेडेबल मेडिकल कचरे को संभालने में सक्षम है। एक बार मान्य होने के बाद, यह तकनीक संबंधित अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए तैयार हो जाएगी।

बेहतर अपशिष्ट निपटान समाधानों की बढ़ती मांग के साथ, "सृजनम" रिग सुरक्षित और अधिक कुशल दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो हानिकारक कचरे के मानव जोखिम से जुड़े खतरों को समाप्त करता है और इसके इधर-उधर फैलने तथा दुर्घटनाओं की आशंका को कम करता है। प्रौद्योगिकी को इसकी रोगाणुरोधी कार्रवाई के लिए तीसरे पक्ष द्वारा मान्य किया गया है, और अध्ययनों से पता चला है कि उपचारित सामग्री वर्मीकम्पोस्ट जैसे जैविक उर्वरकों की तुलना में अधिक सुरक्षित है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पर्यावरण-अनुकूल तरीके से रोगजनक जैव चिकित्सा अपशिष्ट के निपटान के लिए अभिनव और लागत प्रभावी समाधान के लिए सीएसआईआर-एनआईआईएसटी की सराहना की। उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें संकेत दिया गया था कि भारत प्रतिदिन 743 टन बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न करता है, जो इसके सुरक्षित और उचित निपटान में महत्वपूर्ण चुनौती पेश करता है। नई तकनीक इस मुद्दे का समाधान करती है और पारंपरिक भस्मीकरण विधियों के लिए पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार विकल्प प्रस्तुत करती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अनुचित पृथक्करण, खुले में डंपिंग, खुले में जलाना और बायोमेडिकल कचरे के अपर्याप्त दहन से कार्सिनोजेन्स और पार्टिकुलेट मैटर निकलने सहित गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा होते हैं। उन्होंने संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को भी स्वीकार किया, जिनके नेतृत्व में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और हरित पहल में भारत की प्रगति जारी है। उन्होंने इस परियोजना के लिए आवश्यक मंजूरी हासिल करने में त्वरित कार्रवाई के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सचिव श्री तन्मय कुमार की प्रशंसा की।

 

डॉ. सिंह ने भारत द्वारा हासिल की गई अन्य तकनीकी उपलब्धियों का जिक्र  किया, जिसमें पहली स्वदेशी डीएनए वैक्सीन, सर्वाइकल कैंसर से निपटने के लिए भारत की पहली एचपीवी वैक्सीन का विकास और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति शामिल है। उन्होंने स्वदेशी एंटीबायोटिक 'नेफिथ्रोमाइसिन' के निर्माण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा समर्थित हीमोफिलिया के लिए भारत के पहले जीन थेरेपी परीक्षण के साथ फार्मास्यूटिकल्स में भारत की सफलता की भी जानकारी दी।

सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'वन वीक वन लैब' पहल को याद किया, जिसका उद्देश्य एनसीएल पुणे द्वारा विकसित पहली हाइड्रोजन बसें, सीएसआईआर पालमपुर द्वारा विकसित ऑफ-सीजन ट्यूलिप, 108 पंखुड़ियों वाला कमल जैसी सीएसआईआर की अभूतपूर्व परियोजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने पहले 100 दिनों के दौरान सरकार की प्राथमिकताओं पर भी बल दिया, जिसमें भारत की पहली बायो ई 3 नीति की मंजूरी, अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए व्यवहार्यता गैप फंडिंग के लिए 1000 करोड़ की मंजूरी, मिशन मौसम के लिए 2000 करोड़ और अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) के लिए 50,000 करोड़ की मंजूरी शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने हालिया केंद्रीय बजट पर भी बात की, जिसमें भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के लिए 20,000 करोड़ का प्रस्ताव है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने संस्थानों के बीच अकादमिक सहयोग बढ़ाने का आग्रह करते हुए और स्नातकोत्तर छात्रों को विनिमय कार्यक्रमों में सह-मार्गदर्शक बनाने, तालमेल और साझा शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए सरकार के अटूट समर्थन पर बल दिया। उन्होंने कहा, "यह पहल 2047 तक सरकार के 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप है, और नवाचार एवं टिकाऊ प्रौद्योगिकियों में निरंतर प्रगति के साथ, भारत पर्यावरण और स्वास्थ्य देखभाल समाधानों में ग्‍लोबल लीडर बनने के लिए तैयार है।"

समारोह में नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वी.के. पॉल, डीएचआर सचिव और आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, तन्मय कुमार आईएएस, एमओईएफसीसी के सचिव डॉ. एन. कलैसेल्वी, डीएसआईआर के सचिव और सीएसआईआर महानिदेशक तथा एम्स निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास सहित प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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