मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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डेयरी मूल्य श्रृंखला

Posted On: 11 FEB 2025 5:33PM by PIB Delhi

पशुपालन भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण उप-क्षेत्र है और ग्रामीण आबादी को पोषण और आजीविका सहायता प्रदान करने में बहुआयामी भूमिका निभाता है। पोषण सुरक्षा में दूध की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह पशु प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत है। दूध लगभग संपूर्ण भोजन है और इसका पोषण मूल्य बहुत अधिक है। इसमें शरीर निर्माण करने वाले प्रोटीन, हड्डियों का निर्माण करने वाले खनिज, स्वास्थ्य बनाने वाले विटामिन, ऊर्जा देने वाले लैक्टोज और वसा होते हैं। दूध और डेयरी उत्पाद दुनिया भर में अरबों लोगों के पोषण के महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो छोटे बच्चों से लेकर बड़े वयस्कों तक सभी उम्र के लोगों को स्वास्थ्य और सक्रिय जीवनशैली प्रदान करके लाभ पहुँचाते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर और ऊर्जा से भरपूर, दूध कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक और फॉस्फोरस सहित आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन प्रदान करता है। ये सभी ऐसे रूपों में होते हैं जिन्हें शरीर आसानी से अवशोषित कर लेता है। कई अध्ययनों ने जीवन भर, विशेष रूप से बचपन के दौरान स्वस्थ पोषण और विकास में दूध और डेयरी की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है। आज की तिथि तक प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता आईसीएमआर द्वारा अनुशंसित 300 ग्राम/दिन से बढ़कर 471 ग्राम/दिन हो गई है। पशुधन क्षेत्र सामान्य रूप से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से कृषि अर्थव्यवस्था में योगदान देने के अलावा रोजगार सृजन के अवसर, परिसंपत्ति निर्माण, फसल खराब होने पर हैंडलिंग तंत्र और सामाजिक तथा वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करता है। इन योजनाओं का लाभ दूध उत्पादन और बोवाईन पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि के रूप में डेयरी में लगे सभी किसानों को मिल रहा है। वर्ष 2022-23 (राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी 2024 के अनुसार) के दौरान दूध के उत्पादन का मूल्य 11.16 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जो कृषि उपज में सबसे अधिक है तथा धान और गेहूं के संयुक्त मूल्य से भी अधिक है। ये योजनाएं दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने और देश के ग्रामीण किसानों के लिए डेयरी को अधिक लाभकारी बनाने के लिए दूध उत्पादन और बोवाईन पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

गुणवत्तापूर्ण आहार, नस्ल, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन से लेकर बाजार संपर्क तक डेयरी मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करने के लिए, भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन: पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), भारत सरकार देशी नस्‍लों के विकास और संरक्षण, बोवाईन आबादी के आनुवंशिक उन्‍नयन तथा दूध उत्‍पादन और उत्‍पादकता को बढ़ाने के लिए दिसंबर, 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन लागू कर रही है। इस योजना के अंतर्गत बोवाईन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

  1. राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार देशी नस्लों सहित बोवाईन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार कर रहा है। आज की तिथि तक, 8.32 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है, 12.20 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 5.19 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है।
  2. संतति परीक्षण और नस्ल चयन: इस कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों को पैदा करना है, जिसमें देसी नस्लों के सांड भी शामिल हैं। गिर, साहीवाल नस्ल के गोपशुओं और मुर्रा, मेहसाणा नस्ल की भैंसों के लिए संतति परीक्षण लागू किया गया है। नस्ल चयन कार्यक्रम के तहत राठी, थारपारकर, हरियाना, कंकरेज नस्ल के गोपशुओं और जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्ल की भैंसों को कवर किया गया है। अब तक 3,988 उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों को पैदा किया गया है और उन्हें वीर्य उत्पादन के लिए शामिल किया गया है।
  3. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का कार्यान्वयन: देशी नस्लों के श्रेष्ठ पशुओं के प्रजनन के लिए विभाग ने 22 आईवीएफ प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं। एक ही पीढ़ी में बोवाईन आबादी के आनुवंशिक उन्नयन में इस तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा, किसानों को उचित दरों पर तकनीक उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने आईवीएफ मीडिया की शुरुआत की है।
  4. सेक्‍स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन: पशुपालन,और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्‍तर प्रदेश में स्थित 5 सरकारी सीमेन केन्द्रों में सेक्‍स सॉर्टेड सीमेन उत्पादन की सुविधाएं स्थापित की हैं। तीन निजी सीमेन स्टेशन भी सेक्स सॉर्टेड सीमेन की ख़ुराकें पैदा कर रहे हैं। अब तक उच्च आनुवांशिक गुणता वाले सांडों से 1.15 करोड़ सेक्स सॉर्टेड सीमेन ख़ुराकें उत्पादित की गईं हैं और उन्हें कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपलब्ध कराया गया है।
  5. जीनोमिक चयन: गोपशुओं और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तीव्रता के लिए, पशुपालन,और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने एकीकृत जीनोमिक चिप्स विकसित की हैं - देशी गोपशुओं के लिए गौ चिप और भैंसों के लिए महिष चिप- जो विशेष रूप से देश में जीनोमिक चयन शुरू करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
  6. ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री): इस योजना के तहत मैत्री को किसानों के द्वार पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है। पिछले 3 वर्षों के दौरान राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 38,736 मैत्री को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है।
  7. सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उपयोग करके त्‍वरित नस्‍ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य 90% तक सटीकता के साथ बछियों का उत्पादन करना है, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में वृद्धि हो। किसानों को सुनिश्चित गर्भधारण के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन की लागत का 50% तक सहायता मिलती है। अब तक, इस कार्यक्रम से 341,998 किसान लाभान्वित हुए हैं। सरकार ने किसानों को उचित दरों पर सेक्स सॉर्टेड सीमेन उपलब्ध कराने के लिए देशी रूप से विकसित सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक शुरू की है।
  8. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस तकनीक का उपयोग बोवाईन पशुओं के तीव्र आनुवंशिक उन्नयन के लिए किया जाता है और आईवीएफ तकनीक अपनाने में रुचि रखने वाले किसानों को प्रत्येक सुनिश्चित गर्भावस्था पर 5,000 रुपये का प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जाता है।

 

2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम): पशुपालन,और डेयरी विभाग, भारत सरकार वित्तीय वर्ष 2014-15 से एनएलएम योजना को क्रियान्वित कर रहा है। क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए एनएलएम योजना को वित्तीय वर्ष 2021-22 से संशोधित और पुनर्संरेखित किया गया है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के साथ-साथ इस योजना के अन्य घटकों और उप-घटकों में चारा और आहार विकास संबंधी उप-मिशन भी शामिल है।

आहार और चारा संबंधी उप-मिशन निम्नलिखित कार्यकलापों को कवर कर रहा है:

कार्यकलाप I: गुणवत्ता वाले चारा बीज उत्पादन के लिए सहायता: केंद्र और राज्य सरकार के संस्थानों द्वारा चारा बीज उत्पादन की सभी श्रेणियों के लिए 100% प्रोत्साहन;

कार्यकलाप II: आहार और चारे में उद्यमशीलता कार्यकलाप: व्‍यक्तियों एसएचजी, एफसीओ, जेएलजी, एफपीओ, डेयरी सहकारी समितियों, सेक्शन 8 कंपनियों को घास/साइलेज/कुल मिश्रित राशन (टीएमआर)/चारा ब्लॉक जैसे मूल्य संवर्धन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु 50 लाख रुपए तक की एकमुश्‍त 50 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाती है।

कार्यकलाप III: चारा बीज प्रसंस्करण अवसंरचना के लिए उद्यमियों की स्थापना (प्रसंस्करण और ग्रेडिंग इकाई / चारा बीज भंडारण गोदाम): कंपनियों, स्टार्ट-अप / एसएचजी / एफपीओ / एफसीओ / जेएलजी / सहकारी समितियों धारा 8 कंपनियों और अन्य विश्वसनीय संगठनों को चारा बीज प्रसंस्करण अवसरंचना की स्थापना के लिए 50 लाख रु. तक की एकमुश्त 50% पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाती है।

कार्यकलाप IV: गैर-वन बंजर भूमि / रेंजभूमि / गैर-कृषि योग्य भूमि से चारा उत्पादन” और “वन भूमि से चारा उत्पादन: लवणीय, अम्लीय और भारी मिट्टी जैसी समस्याग्रस्त मिट्टी के वनस्पति आवरण को बढ़ाने के लिए अवक्रमित गैर-वन बंजर भूमि / रेंजभूमि/ चरागाह / गैर-कृषि योग्य भूमि और वन भूमि में विभिन्न चारे के उत्पादन के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को पशुधन बीमा के लिए सहायता भी प्रदान करती है और घटक को केंद्र सरकार और राज्यों के बीच 60:40 साझाकरण आधार पर और पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय राज्यों के लिए 90:10 के साझाकरण आधार पर लागू किया जाता है। घटक के अंतर्गत अन्य पशुधन प्रजातियों के साथ-साथ गाय-भैंसों सहित डेयरी पशुओं को भी कवर किया जाता है।

2. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम: यह योजना सहकारी डेयरी क्षेत्र में दूध और दूध उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन के लिए डेयरी अवसरंचना के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करती है, जिसमें डेयरी किसानों के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम, पशु-आहार और खनिज मिश्रण जैसी इनपुट सेवाएं और दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण के लिए सहायता शामिल है, जिससे सहकारी समितियों में नामांकित डेयरी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

3. पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (एलएच एंड डीसी): यह योजना खुरपका और मुंहपका रोग, ब्रुसेलोसिस जैसे पशु रोगों के नियंत्रण के लिए सहायता प्रदान करने और डेयरी पशुओं सहित पशुधन के अन्य संक्रामक रोगों के नियंत्रण हेतु राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करने के लिए कार्यान्वित की गई है। किसानों के द्वार पर गुणवत्तापूर्ण पशुधन स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए इस योजना के अंतर्गत मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां स्थापित की गई हैं। टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत: (i) एफएमडी के लिए 100 करोड़ से अधिक टीकाकरण किए गए हैं, जिसमें चालू वर्ष के दौरान किए गए 35 करोड़ टीकाकरण शामिल हैं; और (ii) ब्रुसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत लगभग 4.3 करोड़ बछड़ों और बछडि़यों को ब्रुसेलोसिस के लिए टीका लगाया गया है, जिसमें चालू वर्ष के दौरान 1.3 करोड़ बछड़ों और बछडि़यों को टीका लगाया गया है। पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण (ईएसवीएचडी-एमवीयू) घटक के अंतर्गत, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की खरीद और अनुकूलन के लिए 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें आवर्ती परिचालन व्यय हेतु उत्‍तर पूर्वी और पर्वतीय राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में; अन्य राज्यों के लिए 60% और संघ राज्‍य क्षेत्रों के लिए 100% सहायता प्रदान की जाती है, ताकि टोल-फ्री नंबर (1962) के माध्यम से किसानों के द्वार पर मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के माध्यम से पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें, जिसमें रोग निदान, उपचार, टीकाकरण, मामूली शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप, दृश्य-श्रव्य सहायता और विस्तार सेवाएं शामिल हैं। अब तक, 28 राज्यों में 4016 एमवीयू परिचालित हैं और 65 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।

4. पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): यह योजना (i) डेयरी प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण अवसंरचना, (ii) मांस प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण अवसंरचना और (iii) पशु आहार संयंत्र (iv) नस्ल सुधार तकनीक और नस्ल वृद्धि फार्म, (v) पशु चिकित्सा वैक्सीन और औषधि उत्पादन सुविधाएं, (vi) पशु अपशिष्ट से संपत्ति प्रबंधन (कृषि अपशिष्ट प्रबंधन) की स्थापना के लिए निवेश को प्रोत्साहन देने हेतु सुगम बनाने के लिए है। एएचआईडीएफ की सफलता को ध्यान में रखते हुए, पूर्ववर्ती डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना विकास निधि को दिनांक 01.02.2024 को एएचआईडीएफ में समाहित कर दिया गया है। अब कुल निधि 29110 करोड़ रुपये हो गई है। अब तक इस योजना के तहत 5976 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ डेयरी प्रसंस्करण की 131 परियोजनाएं और 1027.82 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 77 नस्ल सुधार परियोजनाएं संस्वीकृत की गई हैं।

यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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