संस्कृति मंत्रालय
संस्कृति मंत्रालय ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए "वैश्विक सहभागिता योजना" लागू की
Posted On:
10 FEB 2025 5:07PM by PIB Delhi
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए, संस्कृति मंत्रालय दुनिया भर में भारतीय कला और संस्कृति के प्रसार के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) पर हस्ताक्षर करता है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देते हैं ताकि अन्य देशों के साथ भारत के अंतर-सांस्कृतिक संबंधों को विकसित और मजबूत किया जा सके। सीईपी संगीत और नृत्य, रंगमंच, संग्रहालय और विज्ञान संग्रहालय, पुस्तकालय, अभिलेखागार, ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण, साहित्य, अनुसंधान और प्रलेखन, त्योहार आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करते हैं।
संस्कृति मंत्रालय भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और वैश्विक पटल पर भारत की छवि को बेहतर बनाने के लिए "ग्लोबल एंगेजमेंट स्कीम" नामक एक योजना भी चलाता है। इस योजना का उद्देश्य भारतीय कला रूपों का अभ्यास करने वाले कलाकारों को 'भारत महोत्सव' के बैनर तले विदेश में प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत, लोक संगीत, लोक नृत्य, लोक रंगमंच और कठपुतली, शास्त्रीय और पारंपरिक नृत्य, प्रयोगात्मक/समकालीन नृत्य, शास्त्रीय/अर्ध शास्त्रीय संगीत, रंगमंच आदि जैसे विविध सांस्कृतिक क्षेत्रों के कलाकार विदेशों में 'भारत महोत्सव' में प्रदर्शन करते हैं। संस्कृति मंत्रालय ने विदेशों में भारत महोत्सवों में प्रस्तुति के लिए विभिन्न कला रूपों के 627 कलाकारों/समूहों को सूचीबद्ध किया है।
इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय विदेशों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन के लिए भारत-विदेशी मैत्री सांस्कृतिक समितियों को अनुदान सहायता के माध्यम से विदेशों में भारतीय लोक कला, संस्कृति और संगीत को बढ़ावा देता है। विदेश मंत्रालय के पास प्रवासी भारतीयों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने (पीसीटीडी) नामक एक कार्यक्रम है, जिसके तहत विदेशों में भारतीय मिशनों/केंद्रों को सीमित मात्रा में धनराशि दी जाती है, ताकि प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ने के उद्देश्य से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस योजना का उद्देश्य भारत और उसके प्रवासी भारतीयों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को पोषित और मजबूत करना तथा भारतीय मूल के लोगों की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करना है।
विदेश मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) अपने सांस्कृतिक केंद्रों और मिशनों/विदेशों में स्थित पोस्ट के माध्यम से दुनिया भर में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देता है। उनके द्वारा संचालित गतिविधियों में अन्य बातों के साथ-साथ, योग, नृत्य, संगीत (गायन और वाद्य), संस्कृत और हिंदी की शिक्षा देना; भारतीय संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं का आयोजन/समर्थन करना; विदेशी विश्वविद्यालयों में भारतीय अध्ययन के पीठों का समर्थन करना; महात्मा गांधी और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों की प्रतिमाओं को उपहार में देना, दृश्य कला प्रदर्शनियों का आदान-प्रदान करना, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, आयुर्वेद दिवस और भारतीय त्योहार मनाना, भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देना, विभिन्न आगंतुक कार्यक्रमों (शैक्षणिक/प्रतिष्ठित/महत्वपूर्ण/जन. नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क) के तहत आगंतुकों की मेजबानी करना और विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत विदेशी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रायोजित करना शामिल है। आईसीसीआर ने विदेशों में अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने और विदेशी देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के साथ समझौता ज्ञापन भी किए हैं। आईसीसीआर भारतीयों को विभिन्न विदेशी देशों की खोज करने में सक्षम बनाने के लिए आने वाले विदेशी सांस्कृतिक दलों की मेजबानी भी करता है।
राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने तथा लोक कला और संस्कृति के विभिन्न रूपों की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए भारत सरकार ने पटियाला, नागपुर, उदयपुर, प्रयागराज, कोलकाता, दीमापुर और तंजावुर में मुख्यालयों के साथ सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (जेडसीसी) स्थापित किए हैं। ये जेडसीसी नियमित आधार पर पूरे देश में शिल्पग्राम उत्सव, ऑरेंज सिटी क्राफ्ट मेला, ऑक्टेव-फेस्टिवल ऑफ नॉर्थ ईस्ट, सलंगई नादम, गीता जयंती महोत्सव, राष्ट्रीय शिल्प मेला, राष्ट्रीय शिल्प मेला, फेट-डे-पुडुचेरी, चंडीगढ़ राष्ट्रीय शिल्प मेला, सिंधु दर्शन महोत्सव, पूर्वांचल लोक महोत्सव आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय देश में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) का भी आयोजन करता है और 2015 से अब तक मंत्रालय ने अपने जेडसीसी के माध्यम से 14 आरएसएम और 04 क्षेत्रीय स्तर के आरएसएम आयोजित किए हैं। इन आरएसएम का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विविधता को एक साथ लाना और युवा पीढ़ी को उनकी जड़ों से जोड़ना साथ ही उन्हें देश की सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों के बारे में जागरूक करना है, ताकि इन कार्यक्रमों में पूरे भारत से बड़ी संख्या में कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान किया जा सके।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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