कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध टिकाऊ कृषि पद्धतियों और लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए पहल

Posted On: 07 FEB 2025 4:45PM by PIB Delhi

सरकार आईसीएआर की प्रमुख नेटवर्क परियोजना ‘जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार’ (एनआईसीआरए) के माध्यम से देश भर में फैले 151 जलवायु संवेदनशील जिलों में जलवायु अनुकूल कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास और संवर्धन कर रही है, जो जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर सूखा, बाढ़, पाला, लू जैसी मुश्किल मौसम स्थितियों से ग्रस्त हैं।

जलवायु अनुकूल किस्में, अंतर-फसल प्रणाली, संरक्षण कृषि, फसल विविधीकरण, कृषि वानिकी प्रणाली, शून्य जुताई (जीरो-टिल) बुवाई, हरी खाद, एकीकृत कृषि प्रणाली, एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन, जैविक खेती, क्षेत्र विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन, इन-सीटू नमी संरक्षण, सुरक्षात्मक सिंचाई, सूक्ष्म सिंचाई विधियां आदि जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं और किसान भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से बड़ी संख्या में किसानों के सामने प्रदर्शित की गई हैं। इसके अलावा, इन प्रौद्योगिकियों को 23 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रलेखित किया गया है और राज्यों में चल रही योजनाओं के साथ आगे के उन्नयन और अभिसरण के लिए राज्य विभागों के साथ साझा किया गया है।

परिशुद्ध कृषि को बढ़ावा देने के लिए, आईसीएआर ने नेटवर्क प्रोग्राम ऑन प्रिसीसन एग्रीकल्चर या परिशुद्ध कृषि पर एक नेटवर्क कार्यक्रम (आईसीएआर-एनईपीपीए) 16 स्थानों पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य इनपुट/ सामग्रियों के सटीक उपयोग के माध्यम से त्वरित लाभदायक और टिकाऊ प्रणाली के लिए आईसीटी आधारित प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है। जलवायु परिवर्तन/मौसम संबंधी विचलन को अपनाने से संबंधित परियोजना के कुछ परिणाम इस प्रकार हैं-सेंसर आधारित मिट्टी एवं फसल स्वास्थ्य निगरानी और रोबोटिक्स, आईओटीऔर डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके इनपुट (पानी और उर्वरक) का परिशुद्ध प्रबंधन; वास्तविक समय के आधार पर प्रबंधन के उद्देश्य से मूल्य वर्धित सलाह के लिए विशेष रूप से चावल और कपास की फसलों के लिए कीट और रोग निगरानी के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां।

आईसीएआर 25 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एकीकृत कृषि प्रणालियों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम (एआईसीआरपी-आईएफएस) और 16 राज्यों में जैविक खेती पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम (एआईएनपी-ओएफ) संचालित करता है, ताकि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैकल्पिक कुशल फसल प्रणाली, एकीकृत कृषि प्रणाली, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती जैसी टिकाऊ खेती पद्धतियों को विकसित किया जा सके। अब तक 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 8 एकीकृत जैविक कृषि प्रणाली मॉडल और 16 राज्यों के लिए उपयुक्त 80 फसल प्रणालियों के लिए जैविक खेती पैकेज सहित एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) के कुल 76 मॉडल विकसित किए गए हैं।

देश में चरम मौसमी घटनाओं के विरुद्ध किसानों को लचीला बनाने में मदद करने और दीर्घकालिक कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) को लागू करती है, जो जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के अंतर्गत आने वाले मिशनों में से एक है। एनएमएसए के तीन प्रमुख घटक हैं- वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी); खेत पर जल प्रबंधन (ओएफडब्ल्यूएम); और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम)। भारत सरकार जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए एनएमएसए के माध्यम से राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

इसके अलावा, सरकार ने किसानों को चरम मौसम की घटनाओं के खिलाफ लचीलापन बनाने में मदद करने के लिए खरीफ 2016 से पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) के साथ-साथ प्रमुख उपज आधारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की है।

एनआईसीआरए के प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन से जुड़े घटक के माध्यम से, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से 6,93,629 किसान लाभान्वित हुए और जलवायु लचीली कृषि पर 23,613 क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से 6,47,735 किसान लाभान्वित हुए।

यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने दी।

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