अणु ऊर्जा विभाग
azadi ka amrit mahotsav

केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित "परमाणु मिशन" भारत के ऊर्जा परिदृश्य में लाएगा एक परिवर्तनकारी बदलाव और परमाणु ऊर्जा को भारत में ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरने में बनाएगा सक्षम: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह


छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों  में आर एंड डी के लिए ₹20,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिसका लक्ष्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किए गए, चालू एसएमआर स्थापित करना: डॉ. सिंह

Posted On: 05 FEB 2025 7:21PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां एक खास मीडिया साक्षात्कार में कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित "परमाणु मिशन" भारत के ऊर्जा परिदृश्य में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा और परमाणु ऊर्जा को भारत में ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरने में सक्षम बनाएगा।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के लिए सरकार के भविष्यवादी रोडमैप पर जोर दिया, जो ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ₹12 लाख तक की आय पर कर राहत प्रदान करने के क्रांतिकारी निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इस पहल से बड़ी आबादी को संतुष्टि मिलेगी और अर्थव्यवस्था पर इसका कई गुना प्रभाव पड़ेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस घोषणा की सराहना की कि एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल दिया गया है। इस कदम को "क्रांतिकारी" बताते हुए उन्होंने कहा कि 60-70 वर्षों से यह क्षेत्र गोपनीयता के तहत काम कर रहा था। अब, अधिक खुलेपन और सहयोग के साथ, भारत आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप परमाणु ऊर्जा में विकास और नवाचार को गति दे सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि कैसे प्रधान मंत्री रेन्द्र मोदी के निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र खोलने के फैसले ने उद्योग को बदल दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि परमाणु क्षेत्र इसी तरह के विकास और नवाचार का अनुभव करेगा, जिससे ऊर्जा सुरक्षा में एक बड़ा बदलाव आएगा।

पेट्रोलियम आयात पर भारत की निर्भरता पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। और स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि परमाणु ऊर्जा भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक प्रमुख स्रोत होगी।

ऊर्जा सुरक्षा के लिए परमाणु ऊर्जा को एक आधारशिला के रूप में मानते  हुए, सरकार ने विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन शुरू किया है, जिसका उद्देश्य घरेलू परमाणु क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों को तैनात करना है।

केंद्रीय बजट 2025-26 ने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों  में आर एंड डी के लिए ₹20,000 करोड़ आवंटित किए हैं, जिसका लक्ष्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किए गए, चालू एसआरएम स्थापित करना है। यह 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा सस्टेनिबिलिटी  सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता, जो वर्तमान में 8,180 मेगावाट है, को 2031-32 तक 22,480 मेगावाट तक विस्तारित करने की योजना है, जिसमें गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में दस रिएक्टर निर्माणाधीन हैं। इसके अतिरिक्त, दस और रिएक्टरों की योजना प्रगति पर है, जिसमें कोव्वाडा, आंध्र प्रदेश में संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से एक प्रमुख 6 x 1208 मेगावाट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र शामिल है।

उन्होंने साझा किया कि 19 सितंबर, 2024 को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया गया, जब राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना की इकाई-7 (आरएपीपी-7) क्रिटिकैलिटी तक पहुँच गई, जो एक नियंत्रित विखंडन श्रृंखला प्रतिक्रिया की शुरुआत का प्रतीक है - यह उपलब्धि भारत की बढ़ती परमाणु क्षमता को उजागर करती है।

डॉ. सिंह ने सीओपी26 प्रतिज्ञा के अनुरूप 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा उत्पादन के 500 गीगावॉट के लक्ष्य को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, और पीएम मोदी के 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के दृष्टिकोण पर उन्होंने कहा कि यह प्रधान मंत्री मोदी थे जिन्होंने मिशन लाइफ की शुरुआत की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु और जैव प्रौद्योगिकी प्रगति के प्रति भारत का दृष्टिकोण सरकार और विज्ञान के संपूर्ण मॉडल का अनुसरण करता है, जिससे एकीकृत प्रगति सुनिश्चित होती है।

 

डॉ. सिंह ने हाल ही में घोषित बायो ई3 पॉलिसी के बारे में भी बताया जो जैव प्रौद्योगिकी-संचालित औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देने के लिए भारत की पहली पहल है। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का समर्थन करने और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए एक मंच, बीआईआरएसी के निर्माण पर जोर दिया। भारत ने पहले ही जैव प्रौद्योगिकी में सफलता देखी है, जिसमें अपने पहले एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन का विकास जैसी उपलब्धियां शामिल हैं।

बायो ईपॉलिसी बायो-मैन्युफैक्चरिंग, बायो-फाउंड्री और सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल में प्रगति को बढ़ावा देगी, जिससे "वेस्ट से वेल्थ" की अवधारणा के तहत रिसाइकिलिंग योग्य और पुन: प्रयोज्य उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। इस पहल से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

निष्कर्ष की ओर बढ़ते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि केंद्रीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा के प्रावधान भारत के ऊर्जा परिदृश्य में एक परिवर्तनकारी बदलाव का संकेत देते हैं। टिकाऊ, स्केलेबल और सुरक्षित ऊर्जा स्रोत के रूप में परमाणु ऊर्जा का विस्तार करके, सरकार का लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और राष्ट्र के दीर्घकालिक आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करना है। डॉ. सिंह ने पुन: पुष्टि की कि विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन, परमाणु ऊर्जा विकास को गति देने और 2047 तक भारत को उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी में वैश्विक लीडर  के रूप में स्थापित करने के लिए तैयार है।

 

***

एमजी/आरपीएम/केसी/एसके/डीए


(Release ID: 2100132) Visitor Counter : 87


Read this release in: English , Urdu , Tamil