मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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राष्ट्रीय गोकुल मिशन

Posted On: 04 FEB 2025 5:17PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना दूध उत्पादन और बोवाइन पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस योजना के कार्यान्वयन तथा पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा किए गए अन्य उपायों से देश में दूध उत्पादन वर्ष 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 239.30 मिलियन टन हो गया है। यह पिछले 10 वर्षों के दौरान 63.55% की वृद्धि है। देश में बोवाइन पशुओं की कुल उत्पादकता वर्ष 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1640 किलोग्राम से बढ़कर वर्ष 2023-24 में प्रति पशु प्रति वर्ष 2072 किलोग्राम हो गई है। यह 26.34% की वृद्धि है, जो विश्व में किसी भी देश द्वारा बोवाइन पशुओं की उत्पादकता में हुई सबसे अधिक वृद्धि है। देशी और नॉन-डिस्क्रिप्ट गोपशुओं की उत्पादकता वर्ष 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 927 किलोग्राम से बढ़कर वर्ष 2023-24 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1292 किलोग्राम हो गई है, जो 39.37% की वृद्धि है। भैंसों की उत्पादकता वर्ष 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1880 किलोग्राम से बढ़कर वर्ष 2023-24 में प्रति पशु प्रति वर्ष 2161 किलोग्राम हो गई है, जो 14.94% की वृद्धि है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत दूध उत्पादन और बोवाइन पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित घटकों को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है:

  1. राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग दूध उत्पादन और देशी नस्लों सहित बोवाईन पशुओं की उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार कर रहा है। अब तक, 8.32 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है, 12.20 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 5.19 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।

 

  1. संतति परीक्षण और नस्ल चयन: इस कार्यक्रम का उद्देश्य देशी नस्लों के सांडों सहित उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन करना है। संतति परीक्षण को गोपशु की गिर, साहीवाल नस्लों तथा भैंसों की मुर्राह, मेहसाणा की नस्लों के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है। नस्ल चयन कार्यक्रम के अंतर्गत गोपशु की राठी, थारपारकर, हरियाना, कांकरेज की नस्ल और भैंस की जाफराबादी, नीली रवि, पंढारपुरी और बन्नी नस्लों को शामिल किया गया है। अब तक 3,988 उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन किया गया है और उन्हें वीर्य उत्पादन के लिए शामिल किया गया है।

 

  1. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का कार्यान्वयन: देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं का प्रसार करने के लिए, विभाग ने 22 आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। आईवीएफ तकनीक की आनुवंशिक उन्‍नयन में महत्‍वपूर्ण भूमिका है और यह कार्य एक ही पीढ़ी में संभव है। इसके अतिरिक्‍त किसानों को उचित दरों पर तकनीक उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने आईवीएफ मीडिया शुरू किया है।

 

  1. सेक्स-सॉर्टेड वीर्य उत्पादन: विभाग ने गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में स्थित 5 सरकारी वीर्य स्टेशनों पर सेक्स सॉर्टेड वीर्य उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं। 3 निजी वीर्य स्टेशन भी सेक्स सॉर्टेड वीर्य खुराक का उत्पादन कर रहे हैं। अब तक उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों से 1.15 करोड़ सेक्स-सॉर्टेड वीर्य खुराकों का उत्पादन किया गया है और उसे कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपलब्ध कराया गया है।
  1. जीनोमिक चयन: गोपशु और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए विभाग ने देश में जीनोमिक चयन शुरू करने के लिए विशेष रूप से तैयार की गईं एकीकृत जीनोमिक चिप विकसित की हैं- देशी गोपशुओं के लिए गौ चिप और भैंसों के लिए महिष चिप।

 

  1. ग्रामीण भारत में बहुउद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री): इस योजना के तहत मैत्री को किसानों के द्वार पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है। पिछले 3 वर्षों के दौरान राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 38,736 मैत्री को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है।

 

  1. सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य 90% सटीकता के साथ बछियों का उत्पादन करना है, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में वृद्धि हो। किसानों को सुनिश्चित गर्भधारण के लिए सेक्स-सॉर्टेड वीर्य की लागत के 50% तक सहायता मिलती है। अब तक, इस कार्यक्रम से 341,998 किसान लाभान्वित हो चुके हैं। सरकार ने किसानों को उचित दरों पर सेक्स-सॉर्टेड वीर्य उपलब्ध कराने के लिए देशी रूप से विकसित सेक्स-सॉर्टेड वीर्य तकनीक शुरू की है।

 

  1. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का उपयोग करते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस तकनीक का उपयोग बोवाईन पशुओं के तीव्र आनुवंशिक उन्नयन के लिए किया जाता है और आईवीएफ तकनीक अपनाने में रुचि रखने वाले किसानों को प्रत्येक सुनिश्चित गर्भावस्था पर 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाती है।

 

देशी बोवाइन नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए वर्ष 2014-15 और वर्ष 2024-25 (दिसंबर 2024 तक) के बीच कार्यान्वयन एजेंसियों को 4442.87 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी की गई है और इसके मुकाबले वर्ष 2004-05 और वर्ष 2013-14 के बीच गोपशु और भैंस विकास के लिए 983.43 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इस योजना का लाभ दूध उत्पादन और बोवाइन पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि के रूप में डेयरी से जुड़े किसानों को मिल रहा है।

यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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