मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
मछुआरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं
Posted On:
04 FEB 2025 4:11PM by PIB Delhi
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा भारत में मात्स्यिकी क्षेत्र के स्थायी (सस्टेनेबल) और जिम्मेदार विकास और मछुआरों के कल्याण के माध्यम से नीली क्रांति (ब्लू रेवोल्यूशन) लाने हेतु सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 20,050 करोड़ रुपये के निवेश से एक प्रमुख योजना 'प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना' (पीएमएमएसवाई) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस योजना में अन्य बातों के साथ-साथ मछुआरों और मत्स्य किसानों के लिए कई कल्याणकारी गतिविधियों की परिकल्पना की गई है, जिसमें विभाग ने पीएमएमएसवाई योजना के तहत वेस्सल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम के नेशनल रोलआउट प्लांन को स्वीकृति दी है, जिसमें 364.00 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,00,000 फिशिंग वेसल्स पर ट्रांसपोंडर की स्थापना शामिल है। नाव मालिकों को ट्रांसपोंडर के लिए सहायता निःशुल्क प्रदान की जाती है जिसमें टू वे कम्यूनिकेशन की सुविधा उपलब्ध है और संपूर्ण एक्सक्लूसिव इकोनोमिल ज़ोन (ईईजेड) को कवर करते हुए किसी भी आपात स्थिति के दौरान छोटे टेक्स्ट मैसेज भेजे जा सकते हैं । यह मछुआरों को समुद्री सीमा के पास आने या उसे पार करने पर अलर्ट भी करता है। इसके अतिरिक्त, अन्य गतिविधियों में शामिल हैं (i) समुद्री राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में इंटीग्रेटेड कोस्टल फिशिंग विल्लेजस का विकास, जिसका उद्देश्य स्थायी मत्स्यन प्रथाओं के माध्यम से पर्यावरणीय नुकसान को कम करते हुए तटीय मछुआरों को इष्टतम आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करना है, (ii) 18 से 70 वर्ष आयु समूह में आकस्मिक मृत्यु या स्थायी पूर्ण शारीरिक अक्षमता पर 5.00 लाख रुपये, आकस्मिक स्थायी आंशिक शारीरिक अक्षमता पर 2.50 लाख रुपये और दुर्घटनावश अस्पताल में भर्ती होने पर 25,000 रुपये का बीमा लाभ प्रदान करना, (iii) 18 से 60 वर्ष आयु समूह के लिए मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/मंद अवधि के दौरान मत्स्य संसाधनों के संरक्षण के लिए सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े सक्रिय पारंपरिक मछुआरों के परिवारों के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता, जिसमें मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/मंद अवधि के दौरान तीन महीनों के लिए प्रति मछुआरे को 3000 रुपए की सहायता प्रदान की जाती है जिसमें लाभार्थी का योगदान 1500 रुपये होता है और इसके लिए सामान्य राज्य के लिए अनुपात 50:50, उत्तर पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों के लिए 80:20 जबकि केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% है।
इसके अलावा, वर्तमान में चल रही पीएमएमएसवाई के तहत, मछुआरों और मत्स्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी बारगैनिंग पावर बढ़ाने के लिए मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों / फिश फारमर्स प्रोड्यूसर ओरगेनाईज़ेशन्स (एफएफपीओ) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है, जो अंततः मछुआरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है। मत्स्यपालन विभाग ने अब तक 544.85 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत पर कुल 2195 एफएफपीओ की स्थापना के लिए स्वीकृति दी है, जिसमें 2000 मत्स्य सहकारिताओं को एफएफपीओ का रूप देने और 195 नए एफएफपीओ गठित करना शामिल है। इसके अलावा, मछुआरों और मत्स्य पालकों द्वारा संस्थागत ऋण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिए, 2018-19 से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा को मात्स्यिकी क्षेत्र तक विस्तारित किया गया है और आज तक मछुआरों और मत्स्य पालकों को 4,50,799 केसीसी कार्ड स्वीकृत किए गए हैं।
यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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(Release ID: 2099607)
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