संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
विकसित भारत के सपने को सहयोग
Posted On:
01 FEB 2025 3:15PM by PIB Delhi
प्रस्तावना
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में जीडीपी में 11.74% (₹31.64 लाख करोड़) योगदान दिया और 14.67 मिलियन श्रमिकों को रोजगार दिया। इस क्षेत्र में उत्पादकता अन्य से पांच गुना अधिक है, वहीं इसकी हिस्सेदारी 2029-30 तक जीवीए का 20% तक पहुंचने का अनुमान है। एआई, क्लाउड सेवाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स विकास के चालक हैं, और साथ ही भारत दुनिया के 55% वैश्विक क्षमता केंद्रों की मेजबानी कर रहा है। बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा) सेक्टर में, 95% से अधिक बैंकिंग भुगतान लेन-देन अब डिजिटल हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स सालाना 30% की दर से विस्तार कर रहे हैं। 2030 तक, डिजिटल अर्थव्यवस्था के राष्ट्र के विकास का प्रमुख चालक बनने की उम्मीद है।
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई)
2016 में लॉन्च हुआ यूपीआई या एकीकृत भुगतान इंटरफेस, मोबाइल उपकरणों के जरिए वास्तविक समय पर इंटरबैंक लेन-देन को सक्षम बनाता है, जिससे निर्बाध डिजिटल भुगतान की सुविधा मिलती है। एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में वैश्विक वास्तविक समय भुगतान लेन-देन का लगभग 49% भारत में हो रहा है। 2023 तक, भारत में किए गए सभी भुगतानों में से 40% से अधिक डिजिटल हैं, जिनमें यूपीआई की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
प्रमुख उपलब्धियां:
- दिसंबर 2024 में, यूपीआई के माध्यम से किए गए लेन-देन का मूल्य ₹23,24,699.91 करोड़ है, जबकि दिसंबर 2016 में यह ₹707.93 करोड़ था और दिसंबर 2020 में यह ₹4,16,176.21 करोड़ था।
- दिसंबर 2016 में केवल 35 बैंक और दिसंबर 2020 तक केवल 207 बैंक के मुकाबले दिसंबर 2024 तक 641 बैंक यूपीआई पर लाइव हैं।
- दिसंबर 2024 तक, यूपीआई के माध्यम से 16,730.01 मिलियन लेन-देन हुए, जबकि दिसंबर 2016 में 1.99 मिलियन और दिसंबर 2020 में 2,234.16 मिलियन लेन-देन हुए थे।
- यूपीआई अब 7 देशों में निर्बाध रूप से लाइव लेन-देन की सुविधा प्रदान करता है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख मार्केट शामिल हैं।
दूरसंचार और इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर
टेलीफोन सदस्यता
भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 में 933 मिलियन से बढ़कर अक्टूबर 2024 में 1188.70 मिलियन हो गए।
भारत में कुल टेली-घनत्व जो मार्च 2014 में 75.23% था, अक्टूबर 2024 में बढ़कर 84.49% हो गया।
मार्च 2014 में 555.23 मिलियन की तुलना में अक्टूबर 2024 में शहरी टेलीफोन कनेक्शन बढ़कर 661.36 मिलियन हो गए, जबकि ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 में 377.78 मिलियन से बढ़कर अक्टूबर 2024 में 527.34 मिलियन हो गए।
इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की पहुंच
- मार्च 2014 में इंटरनेट कनेक्शन 25.15 करोड़ से बढ़कर जून 2024 में 96.96 करोड़ हो गए, जो 285.53% की बढ़ोतरी दर्ज करता है।
- मार्च, 2014 में ब्रॉडबैंड कनेक्शन 6.1 करोड़ से बढ़कर अगस्त, 2024 में 1452% की बढ़ोतरी के साथ 94.92 करोड़ हो गए।
- दिसंबर 2024 तक देश में 6,44,131 गांवों में से 6,15,836 गांवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी है।
- जून, 2024 में प्रति ग्राहक प्रति जीबी वायरलेस डेटा से औसत राजस्व प्राप्ति घटकर 8.31 रुपये हो गई, जो दिसंबर, 2014 में 268.97 रुपये थी, जो 96.91% से अधिक की गिरावट है।
- प्रति वायरलेस डेटा ग्राहक औसत मासिक डेटा खपत मार्च, 2014 में 61.66 एमबी से 353 गुना बढ़कर जून, 2024 में 21.30 जीबी हो गई।
- दिसंबर 2024 तक 779 जिलों में 4,62,084 बीटीएस स्थापित किए जाने के साथ भारत ने दुनिया में 5जी सेवाओं का सबसे तेज रोलआउट देखा है।
- माध्यिका मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड मार्च 2014 में 1.30 एमबीपीएस से बढ़कर दिसंबर 2024 में 95.67 एमबीपीएस हो गई है।
- 783 जिलों में फैले 4जी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) की संख्या दिसंबर 2024 तक 24,96,644 तक पहुंच गई है।
आधार
2009 में लॉन्च किया गया, आधार भारतीय निवासियों के लिए बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा से जुड़ी एक अद्वितीय 12-अंकीय पहचान संख्या प्रदान करता है।
प्रमुख उपलब्धियां:
- मार्च 2018 तक 120.71 करोड़, मार्च 2014 तक 61.01 करोड़ और मार्च 2011 तक 0.42 करोड़ के मुकाबले यूआईडीएआई ने मार्च 2023 तक 136.65 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी किए हैं।
- जनवरी 2025 में आधार फेस अधिप्रमाणन ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया।
- मार्च 2014 में 0.01 करोड़ और मार्च 2018 में 501.98 करोड़ लेन-देन के मुकाबले, मार्च 2023 तक 1470.22 करोड़ ई-केवाईसी लेन-देन दर्ज किए गए।
डिजीलॉकर
2015 में लॉन्च किए गए, डिजीलॉकर का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल दस्तावेज वॉलेट में प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान करके नागरिकों का 'डिजिटल सशक्तिकरण' करना है।
प्रमुख उपलब्धियां:
- 1 फरवरी 2025 तक 46.52 करोड़ उपयोगकर्ता।
- 2015 में दर्ज 9.98 लाख साइनअप की तुलना में 2024 में 2025.07 लाख वार्षिक उपयोगकर्ता साइनअप दर्ज किए गए।
उमंग
2017 में लॉन्च किया गया, उमंग (यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस) को भारत में मोबाइल गवर्नेंस को चलाने के लिए तैयार किया गया है। उमंग सभी भारतीय नागरिकों को केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक अखिल भारतीय ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुंच के लिए एक एकल मंच प्रदान करता है।
प्रमुख उपलब्धियां:
- 2017 में 0.25 लाख उपयोगकर्ता व 3.90 करोड़ लेन-देन और 2020 में 2.54 करोड़ उपयोगकर्ता व 126.55 करोड़ लेन-देन के मुकाबले दिसंबर 2024 तक 7.34 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकरण व 516.06 करोड़ लेन-देन दर्ज किए गए।
- दिसंबर 2024 तक 23 भारतीय भाषाओं में उमंग पोर्टल पर 2,101 सरकारी सेवाएं उपलब्ध हैं, जबकि 2017 में 166 सेवाएं और 2020 में 974 सेवाएं उपलब्ध थीं।
भारतनेट
2011 में लॉन्च की गई, भारतनेट एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य देश की प्रत्येक ग्राम पंचायत को किफायती हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंच प्रदान करना है।
प्रमुख उपलब्धियां:
- जनवरी 2025 तक 2.14 लाख ग्राम पंचायतें भारतनेट के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ चुकी हैं।
- जनवरी 2025 तक 6.92 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जा चुकी है।
- जनवरी 2025 तक ग्राम पंचायतों में 1.04 लाख वाईफाई हॉटस्पॉट स्थापित किए गए हैं।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी)
2022 में लॉन्च किया गया, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका उद्देश्य डिजिटल कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाना है। यह पूरे भारत में विक्रेताओं, खरीदारों और सेवा प्रदाताओं, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए एक समान अवसर बनाने की परिकल्पना करता है।
प्रमुख उपलब्धियां:
जनवरी 2025 तक, विक्रेता और सेवा प्रदाता ओएनडीसी नेटवर्क के भौगोलिक कवरेज का विस्तार करते हुए 616+ शहरों में फैल चुके हैं।
जनवरी 2025 तक, ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर 7.64 लाख से अधिक विक्रेता/ सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं।
ओएनडीसी ने दिसंबर 2024 तक कुल मिलाकर 154.4 मिलियन+ ऑर्डर संसाधित किए। दिसंबर 2024 के महीने में, ओएनडीसी ने 15.4 मिलियन+ ऑर्डर संसाधित किए और औसत दैनिक लेनदेन लगभग 4,90,000+ तक पहुंच गया।
भाषिणी
2022 में लॉन्च किया गया, भारत के लिए भाषा इंटरफेस या भाषिणी, एक अग्रणी पहल है जिसका उद्देश्य भारत के भाषाई स्पेक्ट्रम में डिजिटल सामग्री और सेवाओं तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना है। भाषिणी का लक्ष्य भाषा की बाधाओं को पार करना है और यह भी सुनिश्चित करना कि प्रत्येक नागरिक अपनी भाषा में डिजिटल सेवाओं तक सहजता से पहुंच सके। राष्ट्रीय भाषा प्रौद्योगिकी मिशन के अंतर्गत लॉन्च किया गया, भाषिणी आवाज को एक माध्यम के तौर पर इस्तेमाल करता है, जिसमें भाषाओं के बीच पुल बनाने के साथ-साथ डिजिटल विभाजन को पाटने की भी क्षमता है।
प्रमुख उपलब्धियां:
- प्रति माह 100 मिलियन+ निष्कर्ष
- प्रमुख सरकारी निकाय (एनपीसीआई, आरबीआईएच, एमओआरडी, लोकसभा, राज्यसभा, आदि) और निजी क्षेत्र के साझेदारों सहित 50 से अधिक हितधारक इसमें शामिल हुए।
- 500,000+ मोबाइल ऐप डाउनलोड
- 22+ भाषाओं का सहयोग
सरकारी ई-बाजार (जेम)
2016 में लॉन्च किया गया, सरकारी ई-बाजार (जेम), जो विभिन्न सरकारी विभागों/ संगठनों/ पीएसयू की ओर से आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा प्रदान करता है, रिकॉर्ड 5 महीने में निर्मित किया गया।
प्रमुख उपलब्धियां:
जनवरी, 2025 तक, जेम ने मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के 10 महीनों के अंदर ₹4.09 लाख करोड़ का जीएमवी हासिल किया, जो बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50% की बढ़ोतरी दर्शाता है।
जेम के पास 1.6 लाख+ सरकारी खरीदारों और 22.5 लाख से अधिक विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं का नेटवर्क है।
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एमजी/आरपीएम/केसी/एमएम/डीके
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