वित्त मंत्रालय
आर्थिक समीक्षा 2024-25 का सारांश
Posted On:
31 JAN 2025 2:30PM by PIB Delhi
वित्त वर्ष 2026 में भारत के जीडीपी में 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान
वित्त वर्ष 2025 में वास्तविक जीडीपी के 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जो इसके दशकीय औसत के करीब है
वित्त वर्ष 2025 में वास्तविक सकल मूल्य वर्द्धन – जीवीए में 6.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी
कैपेक्स जुलाई-नवंबर 2024 के दौरान 8.2 प्रतिशत से बढ़ा,कैपेक्स जुलाई से नवंबर 2024 के दौरान 8.2 प्रतिशत से बढ़ा और इसमें और भी तेजी का अनुमान है
दिसंबर 2024 में खुदरा हेडलाइन महंगाई गिरकर 4.9 प्रतिशत पर आई
वित्त वर्ष 2026 में भारत का उपभोक्ता मूल्य महंगाई 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब रहेगा
दिसंबर 2024 तक समग्र निर्यात में 6 प्रतिशत (साल दर साल) की तेजी
अप्रैल-नवंबर 2025 के दौरान देश के सेवा निर्यात क्षेत्र में बढ़ोतरी 12.8 प्रतिशत पर पहुंची जो वित्त वर्ष 2024 के 5.7 प्रतिशत से अधिक है
सकल एफडीआई आगत 47.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 55.6 बिलियन डॉलर हुई जो 17.9 प्रतिशत की साल दर साल बढ़ोतरी है
फॉरेक्स 640.3 बिलियन डॉलर रहा जो 10.9 महीने के निर्यात और 90 प्रतिशत विदेशी कर्ज से निपटने के लिए पर्याप्त है
दिसंबर 2024 में सौर और पवन ऊर्जा में साल दर साल 15.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी
बीएसई स्टॉक बाजार पूंजीकरण और जीडीपी अनुपात 136 प्रतिशत रहा जो चीन (65 प्रतिशत) और ब्राजील (37 प्रतिशत) से काफी ज्यादा है
विकास के उच्च अनुपात को बनाए रखने के लिए अगले दो दशकों तक अवसंरचना में अनवरत निवेश की जरूरत
एमएसएमई को इक्विटी वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का आत्म-निर्भर भारत कोष का शुभारम्भ
वित्त वर्ष 2025 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद
खरीफ खाद्यान्न उत्पादन के 1647.05 एलएमटी तक पहुंचने की उम्मीद जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 एलएमटी अधिक है
कृषि क्षेत्र में वृद्धि के प्रमुख संचालक बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन हैं
वित्त वर्ष 2025 में औद्योगिक क्षेत्र में 6.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान
वित्त वर्ष 2021 और 2025 के बीच सामाजिक सेवा व्यय में 15 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई
सरकार के स्वास्थ्य मद पर खर्च में 29 प्रतिशत से 48 प्रतिश की बढ़ोतरी, वहीं स्वास्थ्य पर लोगों का खर्च 62.6 प्रतिशत से घटकर 39.4 प्रतिशत रह गया
बेरोजगारी दर वर्ष 2017-18 के 6 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2023-24 में 3.2 प्रतिशत रह गई
समाज पर एआई के दुष्प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, और शिक्षा जगत के बीच सहकार्यात्मक प्रयास करने की जरूरत है
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 3.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अगले पांच वर्षों में 3.2 प्रतिशत की दर से वैश्विक वृद्धि होने का अनुमान जताया है जो पिछले वर्षों में तय मानकों के अनुरूप ही है।
समीक्षा के अनुसार, वर्ष 2024 में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में विषम बढ़ोतरी के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था ने निरंतरता का प्रदर्शन किया है। आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने और कमजोर विदेशी मांगों की वजह से वैश्विक स्तर पर खासकर यूरोप और कुछ एशियाई देशों में विनिर्माण में धीमी गति का चलन पाया गया। इसके विपरीत, सेवा क्षेत्र ने तुलनात्मक तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्था को मदद मिली। ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं पर महंगाई का दबाव हल्का ही रहा। हालांकि, समीक्षा में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र पर महंगाई का असर दिखा।
समीक्षा में जोर देते हुए कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भारत में निरंतर आर्थिक विकास होता रहा है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का वास्त्विक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रही जो दशकीय औसत के काफी करीब है।
सकल मांग के नजरिए से, स्थिर मूल्यों पर निजी अंतिम उपभोक्ता खर्च के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
आपूर्ति पक्ष में, समीक्षा में कहा गया है कि वास्तविक मूल्य वर्द्धन (जीवीए) के 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है। वहीं. औद्योगिक क्षेत्र में भी 2025 में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। निर्माण गतिविधियों और विद्युत, गैस, जलापूर्ति तथा अन्य उपयोगिता सेवा क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि दर से औद्योगिक विस्तार को मदद मिल सकती है। वित्तीय, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाएं, सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में बढ़ती गतिविधियों की वजह से सेवा क्षेत्र में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद जताई जाती है।
घटती-बढ़ती वृद्धि दर को देखते हुए, इस समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी के 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया गया है।
समीक्षा में आर्थिक नीतियों और व्यापार नीति में अनिश्चतता को लेकर वैश्विक चिंताओं की वजह से जोखिम के संदर्भ में वैश्विक कारकों और घरेलू वृद्धि के कारकों को मजबूत करने की महत्ता पर जोर दिया गया है।
वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए, यह जरूरी है कि भारत के मीडियम टर्म ग्रोथ आउटलुक का आकलन भू-आर्थिक विखंडन, चीन का विनिर्माण पर कब्जा, और ऊर्जा रूपांतरण प्रयासों में चीन पर निर्भरता को लेकर उभरते वैश्विक वास्तविकता के संदर्भ में किया जाए। समीक्षा में कहा गया है कि प्रणालीगत विनियमन के मुख्य तत्व पर फोकस करते हुए भारत को आंतरिक साधनों और विकास के घरेलू प्रोत्साहकों पर नए सिरे से बल देने की जरूरत है। इससे आसानी से कानून सम्मत आर्थिक गतिविधियां संपन्न करने के लिए व्यक्तिगत और सांगठनिक व्यवसाय में आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त हो सकेगी। समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि सुधार और आर्थिक नीति ईंज ऑफ डूइंग विज़नेस 2.0 के तहत प्रणालीगत तरीके से बनाई जाए। इससे देश के एसएमई क्षेत्र को व्यावहार्य बनाने में प्रोत्साहन मिलेगा।
आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के पहली छमाही में कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर में निरंतरता बनी रही, दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर रही जो पिछले 4 तिमाहियों में सुधार का संकेत है। बेहतर खरीफ उत्पादन और पानी की पर्याप्त उपलब्धता से कृषि क्षेत्र में बेहतर उत्पादनों को बल मिला। वर्ष 2024-25 में कुल खरीफ खाद्यान उत्पादन के रिकॉर्ड 1647.05 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) होने का अनुमान है, जो वर्ष 2023-24 की तुलना में 5.7 प्रतिशत अधिक और पिछले 5 वर्षों के दौरान औसत खाद्यान उत्पादन से 8.2 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में औद्योगिक क्षेत्र में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और वित्त वर्ष 2025 में इसके 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई लेकिन तीन कारकों की वजह से दूसरी तिमाही में इसमें थोड़ी कमी आई। पहला, गंतव्य देशों की तरफ से कमजोर मांग होने और उनकी कठोर व्यापारिक तथा औद्योगिक नीतियों से विनिर्माण निर्यात में काफी कमी आई। दूसरा, औसत से अच्छे मानसून का मिश्रित प्रभाव पड़ा, इससे कृषि को तो मदद मिली, जबकि इससे खनन, निर्माण और कुछ हद तक विनिर्माण क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा। तीसरा, पिछले और मौजूदा वर्षों में सितम्बर और अक्तूबर माह के दौरान त्यौहारों के समय में बदलाव की वजह से वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में वृद्धि प्रभावित हुई।
समीक्षा में कहा गया है कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भारत पीएमआई के विनिर्माण में तेज वृद्धि दर्ज करता रहा। दिसम्बर, 2024 के लिए नवीनतम पीएमआई विनिर्माण विस्तारक क्षेत्र में बेहतर रहा, जिससे नये व्यापार मिले, तेज मांग हुई और विज्ञापन कोशिशों में भी तेजी आई।
समीक्षा में कहा गया है कि सेवा वित्त वर्ष 2025 में सेवा क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेगा। इस वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सभी उप श्रेणियों में सभी उप क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया। वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-नवम्बर महीनों के दौरान देश के सेवा निर्यात में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5.7 प्रतिशत से अधिक है।
आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि इस विकास प्रकिया को महंगाई, वित्तीय स्थिति और भुगतान संतुलन जैसे मोर्च पर स्थायित्व से काफी मदद मिली। महंगाई पर समीक्षा में कहा गया है कि खुदरा हेडलाइन महंगाई 5.4 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-दिसम्बर 2024 में 4.9 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) से निर्धारित खाद्य महंगाई वित्त वर्ष 2024 में 7.5 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-दिसंबर) में 8.4 प्रतिशत हो गई। इसमें सब्जियों औ दालों का योगदान है। आरबीआई और आईएमएफ के अनुसार उपभोक्ता मूल्य महंगाई वित्त वर्ष 2026 में 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब आ जाएगी।
पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में वित्त वर्ष 2021 से 2024 तक लगातार सुधार हुआ है। समीक्षा में बताया गया है कि आम चुनाव के बाद केन्द्र सरकार के कैपेक्स में जुलाई से नवम्बर 2024 के दौरान साल-दर-साल आधार पर 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कुल कर राजस्व (जीटीआर) में अप्रैल-नवम्बर, 2024 के दौरान साल-दर-साल आधार पर 10.7 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद केन्द्र सरकार को प्राप्त कर राजस्व में कोई खास वृद्धि नहीं हुई।
समीक्षा के अनुसार, केन्द्र सरकार के जीटीआर और राज्यों के ओटीआर में अप्रैल-नवम्बर 2024 के दौरान अच्छी वृद्धि हुई। राज्यों का राजस्व खर्च अप्रैल-नवम्बर 2024 के दौरान 12 प्रतिशत (वाईओवाई) बढ़ा। इसमें सब्सिडी और जिम्मेदारियों के निर्वहन में वृद्धि क्रमश: 25.7 प्रतिशत और 10.4 प्रतिशत रही।
समीक्षा में बैंकिंग क्षेत्र में मजबूत संचालन प्रदर्शन और पूंजी की वजह से स्थायित्व को रेखांकित किया गया है। बैंकिंग प्रणाली में सकल गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) घटकर 12 वर्षों में सबसे कम सकल ऋण और एडवांस का 2.6 प्रतिशत रह गईं। समीक्षा में बताया गया है कि अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सीआरएआर सितंबर 2024 तक 16.7 प्रतिशत थी, जो सामान्य से अधिक है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में इस बात पर जोर दिया गया है कि बाह्य क्षेत्र की स्थिरता सेवाओं के व्यापार और उपार्जन से सुरक्षित है और भारत के मर्चेंडाइज्ड निर्यात में अप्रैल-दिसंबर 2024 वर्ष आधार वर्ष में 1.6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है।
भारत के मजबूत सेवा निर्यात क्षेत्र ने देश को वैश्विक सेवा निर्यात में सातवां सबसे बड़ा हिस्सा हासिल करने में मदद की है, जो इसके प्रतिस्पर्धा स्तर को रेखांकित करता है।
सेवा व्यापार के अतिरिक्त विदेशों मे रहे भारतीय कामगारों द्वारा भारत में धन भेजने में काफी वृद्धि हुई है। विश्व में ओईसीडी अर्थव्यवस्था रोजगार सृजन में शीर्ष पर पहुंच गया है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार इन दोनों कारकों से वर्ष 2025 के दूसरी तिमाही में भारत का मौजूदा वित्तीय घाटा सकल घरेलू दर के 1.2 प्रतिशत पर स्थिर रहा।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025 में सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश वित्तीय वर्ष 2024 के पहले आठ महीने में यूएसडी 47.2 बिलियन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2025 के इसी अवधि में यूएसडी 55.6 बिलियन की वृद्धि हुई है। जो वर्ष-दर-वर्ष आधार पर जो 17.9 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2024 में दूसरी छमाही में एफपीआई प्रवाह में वैश्विक भू-राजनीतिक और मौद्रिक नीति विकास के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव रहा।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार स्थिर पूंजी प्रवाह के परिणामस्वरूप, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 616.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो सितंबर 2024 तक बढ़कर 704.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह 3 जनवरी 2025 तक 634.6 बिलियन डॉलर पर स्थिर है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी ऋण के 90 प्रतिशत हिस्से का भुगतान करने और दस माह से अधिक के आयात मद का भुगतान करने में सक्षम है।
आर्थिक समीक्षा में रोजगार के मामले में भारत की अच्छी स्थिति को रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी के बाद हुए सुधार और सामान्य स्थिति होने से हाल के वर्षों में भारत में श्रम बाजार में वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी जो 2023-24 में घटकर 3. 2 प्रतिशत रह गई।
आथिर्कि सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि भारत के श्रम बाजार में एआई को अपनाने से उत्पादकता बढ़ाने, कार्यबल की गुणवत्ता को बढ़ाने और रोजगार के अवसर सृजन होने में मदद मिलती है, बशर्ते कि मजबूत संस्थागत नेटवर्क के माध्यम से प्रणालीगत चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाए। सर्वेक्षण में यह बात भी कही गई कि एआई आधारित परिदृय में सफल रहने के लिए शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण होगा। इसमें कहा गया है इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने में कई व्यवधान है। जिसके लिए निति निर्माताओं को इस क्षेत्र में ध्यान देने की जरूरत है। श्रम क्षेत्र में एआई के समाज पर पड़ने वाले संभावित विपरित प्रभाव को कम करने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण सरकार निजी क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र को आपस में सहयोग करने का आवाह्न करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में आधारभूत ढांचा क्षेत्र में उच्च वृद्धि को बनाए रखने के लिए अगले दो दशकों से अधिक आधारभूत संबंधी निवेश को बनाए रखने की आवश्यकता की बात कही गई है। रेलवे संपर्क के क्षेत्र में वर्ष 2024 अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच 2031 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क बढ़ाया गया और वंदे भारत के नये 17 जोड़ो को भारतीय रेल में शामिल किया गया है। वित्तीय वर्ष 2025 में बंदरगाह क्षमता में वृद्धि हुई है। जिससे बड़े बंदरगाहों के बीच कंटेनरो के टर्न-अराउंड टाइम में कमी आई है जो वित्तीय वर्ष 2024 के 48.1 घंटे कम होकर वित्तीय वर्ष 2025 (अप्रैल-नवंबर) में 30.4 घंटे रह गया है।
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एनबी/एमजी/हिन्दी इकाई- 23
(Release ID: 2097926)
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