मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
76वें गणतंत्र दिवस परेड में “भारत की स्वदेशी मवेशी नस्लों को सतत ग्रामीण विकास के प्रतीक के रूप में सम्मान” थीम वाली झांकी की सराहना की गई
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की पहली बार झांकी के प्रदर्शन में गूंजा “गऊ मैया तुझे प्रणाम…”
Posted On:
26 JAN 2025 9:20PM by PIB Delhi
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की झांकी नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 76वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान प्रदर्शित की गई। झांकी का विषय था "भारत की स्वदेशी मवेशी नस्लों को सतत ग्रामीण विकास के प्रतीक के रूप में सम्मान" जो वर्ष 2025 की थीम "स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास" से मेल खाता है। इस झांकी की भागीदारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मंत्रालय गठन के बाद से यह पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया ।
यह झांकी भारत की संस्कृति के साथ-साथ इसकी अर्थव्यवस्था के लिए स्वदेशी गोवंश की निरंतर और महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। समृद्ध कलात्मक विरासत से लेकर श्वेत क्रांति 2.0 के अंतर्गत डेयरी किसानों के लिए अधिक समृद्धि लाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता, झांकी द्वारा देश में पशुधन क्षेत्र के योगदान को दर्शाती है।
पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की झांकी के सामने वाले हिस्से में दूध से भरा एक बड़ा डिब्बा दिखाया गया, जो विश्व में सबसे ज़्यादा दूध उत्पादन करने वाले देश के रूप में भारत के स्थिति को दर्शाता है। वर्ष 2023-24 के दौरान प्रति व्यक्ति 471 ग्राम प्रतिदिन की उपलब्धता के साथ, भारत (वैश्विक औसत 329 ग्राम प्रतिदिन है) कहीं आगे निकल जाएगा, जो वैश्विक पोषण में इसके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है।
झांकी के पिछले हिस्से में आदमकद कामधेनु को दिखाया गया है, जो भारतीय समाज में देशी गायों के महत्व का प्रतीक है। झांकी में पंढरपुरी भैंस को प्रमुखता से दिखाया गया है। यह भारत में मवेशी नस्लों की समृद्धि का प्रतीक है। उन नस्लों के आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व पर भी इस झांकी में ध्यान केंद्रित किया गया।
झांकी में ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं के योगदान को भी प्रदर्शित किया गया, जो डेयरी फार्मिंग और सहकारी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाएं परिवारों को सशक्त बनाती हैं और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देती हैं।
झांकी में डिजिटल नवाचार को दर्शाया गया है जो किसानों को वास्तविक समय में पशुधन प्रबंधन सहायता प्रदान करता है जैसे कि “भारत पशुधन” ऐप, पारंपरिक घी मथना, खुरपका और मुँहपका रोग (एफएमडी) के खिलाफ सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान ताकि एफएमडी मुक्त भारत को प्राप्त किया जा सके। झांकी में घी ट्रेसेबिलिटी को प्रमुखता से दर्शाया गया है, जिसमें भारत पशुधन लाइव डेटाबेस दिखाया गया है, जो घी जैसे डेयरी उत्पादों की संपूर्ण एंड-टू-एंड ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है। यह पहल किसान उपज का मूल्य बढ़ाती है, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ता है।
झांकी के साथ, भारत के विभिन्न राज्यों से आए पुरुष और महिला बाइकर्स दूध के परिवहन के लिए अभिनव बायो-सीएनजी मोटरसाइकिलों पर सवार दिखाई दिए। झांकी में दूध देने वाली मशीनों से सुसज्जित ‘मिल्को-बाइक’ भी दिखाया गया है जो सीधे पशुओं से दूध एकत्र करती हैं और उसे संग्रह केंद्रों या उपभोक्ताओं तक पहुंचाती हैं।
झांकी के दो दृश्य-श्रव्य पैनल में भारत की देशी नस्लों और उन्नत पशुधन प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया, जिसमें पशुधन क्षेत्र के अभिनव और सतत भविष्य के निर्माण के लिए तेजी से कदम उठाते हुए जीवंत सांस्कृतिक विरासत के प्रति पशुपालन और डेयरी विभाग की समर्पण को दर्शाया गया। पृष्ठभूमि गीत “गौ मैया तुझे प्रणाम…” जो पूजनीय गौ-माता को समर्पित है, ने भारत की मवेशियों की आबादी के गहन महत्व पर प्रकाश डाला।
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