विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सीमित इलेक्ट्रॉन ने उन्नत ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों, सेंसरों और नैनो-उत्प्रेरक के लिए मार्ग प्रशस्त किया
Posted On:
28 JAN 2025 4:17PM by PIB Delhi
नैनोविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति में, अनुसंधानकर्ताओं ने धातुओं में इलेक्ट्रॉन परिरोधन-प्रेरित प्लाज़्मोनिक विखंडन की अभूतपूर्व खोज की है।
यह अध्ययन नैनोस्केल प्रणालियों में इलेक्ट्रॉन के मौलिक व्यवहार को समझने और उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव के नए मार्ग खोलता है। इससे अधिक परिशुद्धता के साथ उन्नत नैनोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों, परमाणु और आणविक स्तरों पर काम करने वाले सेंसरों और सक्षम नैनो उत्प्रेरकों को डिजाइन करने में मदद मिल सकती है।
धातुओं को लंबे समय से उनके प्लाज़्मोनिक गुणों के लिए जाना जाता है। मुक्त इलेक्ट्रॉनों का सामूहिक दोलन विशिष्ट ऑप्टिकल प्रतिक्रियाओं को सक्षम बनाता है। प्लाज़्मोनिक व्यवहार उत्प्रेरक से लेकर उन्नत फोटोनिक उपकरणों तक, आधुनिक तकनीकों की एक विस्तृत श्रृंखला का आधार है। प्रो. साहा का अनुसंधान इस क्षेत्र के विशिष्ट और परिवर्तनकारी पहलू पर प्रकाश डालता है कि नैनोस्केल पर इलेक्ट्रॉनों का परिसीमन कैसे प्लाज़्मोनिक व्यवहार को बाधित करता है और अंततः उसे विखंडित करता है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत बेंगलुरु में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) द्वारा किए गए एक नए अनुसंधान में यह पता लगा है कि नैनोस्केल में आकार में कमी के कारण इलेक्ट्रॉनों की क्वांटम सीमा धातुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को किस तरह बदलती है। प्रोफेसर बिवास साहा के नेतृत्व वाली टीम द्वारा प्रदर्शित इस बदलाव में प्लास्मोनिक गुणों के लिए आवश्यक सामूहिक दोलनों में कमी आती है, जिससे पदार्थ के ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक व्यवहार में मौलिक रूप से बदलाव आता है।
नैनोस्केल पर, पदार्थ के व्यवहार अक्सर पारंपरिक अंतर्ज्ञान को चुनौती देते हैं। प्रतिष्ठित साइंस एडवांसेज (2024, खंड 10, अंक 47) में प्रकाशित जेएनसीएएसआर का वैज्ञानिक अनुसंधान पारंपरिक प्लास्मोनिक्स और इस स्तर पर उत्पन्न क्वांटम प्रभावों के बीच के अंतर को पाटता है।
प्रो. साहा की टीम ने धातु प्रणालियों में प्लाज़्मोनिक घटनाओं को देखने के लिए अलग-अलग डिग्री युक्त उन्नत स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों का इस्तेमाल किया। साथ ही, कम्प्यूटेशनल सिमुलेशन ने विखंडन को समझने के लिए एक गहन सैद्धांतिक ढांचा प्रदान किया।
वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉन ऊर्जा क्षय स्पेक्ट्रोस्कोपी (ईईएलएस) और प्रथम-सिद्धांत क्वांटम यांत्रिक गणना जैसे अत्याधुनिक उपायों का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें अभूतपूर्व सटीकता के साथ इलेक्ट्रॉन व्यवहार के पूर्वानुमान में मदद मिली।
जेएनसीएएसआर के अलावा, पर्ड्यू विश्वविद्यालय के प्रो. एलेक्जेंड्रा बोल्टसेवा और प्रो. व्लादिमीर शालेव और अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रो. इगोर बोंडारेव और सिडनी विश्वविद्यालय के डॉ. मैग्नस गारब्रेच और डॉ. आशा पिल्लई ने इस अध्ययन में भाग लिया।
यह अनुसंधान प्लास्मोनिक्स में लंबे समय से चली आ रही धारणाओं को चुनौती देता है और धातु-आधारित सामग्रियों के साथ क्या संभव है इसकी सीमाओं को फिर से परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉन परिरोध-प्रेरित प्लास्मोनिक विखंडन न केवल वैज्ञानिक खोज है, बल्कि यह नैनोस्केल सामग्रियों के डिजाइन सिद्धांतों पर पुनर्विचार की आवश्यता भी दिखलाता है।
इस सफलता के बारे में प्रो. साहा ने कहा कि हमारे निष्कर्ष भौतिक गुणों को फिर से परिभाषित करने में क्वांटम परिरोध की परिवर्तनकारी भूमिका को उजागर करते हैं। यह केवल प्लाज़्मोनिक विखंडन को समझने की ही नहीं बल्कि उन सीमाओं को आगे बढ़ाने के बारे में है कि हम तकनीकी नवाचार के लिए नैनोस्केल परिघटनाओं का कैसे उपयोग कर सकते हैं।
क्वांटम सामग्रियों और नैनो प्रौद्योगिकी में बढ़ती रुचि के साथ ही प्रो. साहा और उनके सह वैज्ञानिकों की खोज ने जेएनसीएएसआर को उस विशिष्ट क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है जहां क्लासिकल फ़िज़िक्स और क्वांटम भौतिकी एक दूसरे से मिलते हैं।
पेपर के मुख्य लेखक प्रसन्ना दास ने अपनी टिप्पणी में कहा कि धातुओं में इलेक्ट्रॉन परिरोध-प्रेरित प्लाज़्मोनिक विखंडन, पदार्थ विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। क्वांटम परिरोध और प्लाज़्मोनिक व्यवहार के बीच जटिल अंतर्क्रिया को सामने लाकर, यह अनुसंधान उद्योगों में क्रांतिकारी प्रगति का आधार प्रदान करता है। इस अध्ययन के बहुत व्यापक निहितार्थ हैं। इनके दायरे में इलेक्ट्रॉनिकी और फोटोनिक्स, सेंसर प्रौद्योगिकियां और उत्प्रेरक तथा ऊर्जा रूपांतरण शामिल हैं।
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एमजी/आरपीएम/केसी/एकेवी/एसके
(Release ID: 2097110)
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