भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
प्रौद्योगिकी से संबंधित कूटनीति के क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाशने हेतु 24 और 25 जनवरी 2025 को पीएसए के कार्यालय, आईआईएससी और विदेश मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी संवाद 2025 का आयोजन किया
Posted On:
27 JAN 2025 6:21PM by PIB Delhi
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 24 और 25 जनवरी 2025 को संयुक्त रूप से आईआईएससी, बेंगलुरु में "प्रौद्योगिकी संवाद 2025: प्रौद्योगिकी कूटनीति के क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाशना" शीर्षक से एक अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी नीतिगत शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन नवंबर 2023 में आयोजित संवाद 2023 के क्रम में किया गया।
भारत की वैश्विक साझेदारियों को आगे बढ़ाने में प्रौद्योगिकी के महत्व को स्वीकार करते हुए इस शिखर सम्मेलन में भारत के अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सहभागिता से संबंधित ढांचे और क्वांटम, एआई, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और जैव अर्थव्यवस्था जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के बारे में रणनीतिक साझेदारी का लाभ उठाने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इस शिखर सम्मेलन का शुभारंभ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सहभागिता रूपरेखा (आईटीईएफ) पर मुख्य भाषण के साथ हुआ। जिसमें उन्होंने वैश्विक साझेदारियों और सहयोग के महत्व पर बल देते हुए भारत की प्रौद्योगिकी संबंधी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न राष्ट्रीय पहलों और मिशनों को रेखांकित किया। माननीय मंत्री डॉ. सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी से संबंधित भारत की सहभागिताओं को आगे बढ़ाने के लिए सुव्यवस्थित रूपरेखा और दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी बल दिया। इस उद्घाटन समारोह में प्रोफेसर अजय कुमार सूद (प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार,भारत सरकार), महामहिम पवन कपूर (उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार), श्री एस. रघुराम (संयुक्त सचिव, नीति नियोजन और अनुसंधान, विदेश मंत्रालय), प्रोफेसर जी. रंगराजन (निदेशक, आईआईएससी) और डॉ. किरण मजूमदार-शॉ (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, बायोकॉन) ने भाग लिया। यह आयोजन प्रोफेसर जी.के.अनंतसुरेश (डीन, मैकेनिकल विज्ञान प्रभाग, आईआईएससी) की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। पीएसए प्रो. अजय कुमार सूद ने आईटीईएफ की संकल्पना और मूलभूत बिंदुओं के संबंध में विशेष व्याख्यान दिया। डॉ. किरण मजूमदार-शॉ ने भारत के आईटीईएफ को आकार देने वाले औद्योगिक परिप्रेक्ष्य पर विशेष व्याख्यान दिया।
शिखर सम्मेलन में महामहिम पवन कपूर (उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार) ने भारत के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के संबंध में रणनीतिक साझेदारियों का लाभ उठाने पर मुख्य भाषण दिया। इसके बाद प्रौद्योगिकी संबंधी साझेदारियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता की रूपरेखा का विस्तार करने पर एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें महामहिम चंद्रू अय्यर (दक्षिण एशिया में निवेश हेतु महामहिम के उप व्यापार आयुक्त, कर्नाटक और केरल में ब्रिटेन के उप उच्चायुक्त), महामहिम कार्ली पार्ट्रिज (मिनिस्टर काउंसलर, ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग), महामहिम अल्फोंसो टैगलियाफेरी (बेंगलुरु में इटली के महावाणिज्य दूतावास), डॉ सोरेन ट्रैनबर्ग हैनसेन (डेनमार्क के महावाणिज्य दूतावास) और डॉ राम स्वामी बंसल (मुख्य वैज्ञानिक और प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्य निदेशालय, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) शामिल हुए।
दूसरे दिन की शुरुआत विशेष सचिव (ईआर एवं डीपीए), विदेश मंत्रालय श्री पेरियासामी कुमारन द्वारा भारत की प्रौद्योगिकी और विकास साझेदारी पर मुख्य भाषण के साथ हुई। उन्होंने अपने भाषण में उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारत सरकार के कई देशों के साथ जारी द्विपक्षीय प्रयासों को रेखांकित किया।
क्वांटम प्रौद्योगिकियों और नीतिगत अनिवार्यताओं की दिशा में हुई वैश्विक स्तर की प्रगति के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए ‘क्वांटम क्रांति के लिए सहयोग को बढ़ावा देना’ पर विषयगत पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। पैनल चर्चा की शुरुआत प्रो. अजय कुमार सूद द्वारा भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) की विशेषताओं को रेखांकित करने वाली मुख्य प्रस्तुति से हुई। पैनल में प्रो. एंड्रयू व्हाइट (एआरसी ऑस्ट्रेलियन लॉरेट फेलो), डॉ. अमित सिंघी (निदेशक, आईबीएम रिसर्च इंडिया) और प्रो. उर्बसी सिन्हा (प्रोफेसर, रामन अनुसंधान संस्थान) भी शामिल हुए। इसका संचालन श्री ल्यूक प्रेस्की (मुख्य राजस्व अधिकारी, रेजोनेंस) ने किया।
शिखर सम्मेलन में डॉ. एस सोमनाथ (पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग और पूर्व अध्यक्ष,इसरो) और डॉ. कोइची वाकाता (अंतरिक्ष यात्री और सीटीओ, एशिया-प्रशांत एक्सिओम स्पेस) के बीच ‘अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की संभावनाएं तलाशना’ विषय पर संवाद भी आयोजित किया गया। इसमें अंतरिक्ष अन्वेषण में तेजी, निजी संस्थाओं, उद्योग साझेदारों और विदेशी निवेश के प्रवेश के साथ-साथ अंतरिक्ष स्टार्टअप के उत्साहजनक विकास पर चर्चा की गई।
‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) नवाचार में तेजी’ विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में श्री एस कृष्णन (सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय), महामहिम आर्थर बारिचर्ड (डिजिटल मामलों के उप राजदूत, यूरोप और विदेशी मामले, फ्रांस गणराज्य), सुश्री लक्ष्मी शेनॉय (प्रबंध निदेशक, एक्सेंचर), श्री बिस्वजीत दास (प्रमुख - डेटा एनालिटिक्स और एआई, अमेज़ॅान वेब सर्विसेज), और डॉ. लीह जंक (ग्लोबल सेंटर ऑन एआई गवर्नेंस, दक्षिण अफ्रीका) शामिल हुए। इसका संचालन प्रोफेसर चिरंजीब भट्टाचार्य (अध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान और स्वचालन विभाग, आईआईएससी) ने किया। पैनल चर्चा में एआई गवर्नेंस, काम का भविष्य और सार्वजनिक हित के लिए एआई पर ध्यान केंद्रित करते हुए भरोसेमंद एआई इकोसिस्टम बनाने के बारे में विचार-विमर्श किया गया।
‘भारत की जैव-अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना’ विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में डॉ अलका शर्मा (सलाहकार, जैव प्रौद्योगिकी विभाग), श्री कृष्ण मोहन पुव्वाडा (सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, एमईआईए नोवोनेसिस), श्री पीटर बैंस (ग्रुप सीईओ, बायोकॉन समूह), प्रो उषा विजयराघवन (डीन, जैविक विज्ञान प्रभाग, आईआईएससी) और डॉ भुवनेश श्रीवास्तव (निदेशक- हेल्थकेयर, यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) शामिल हुए। इसका संचालन प्रोफेसर गायत्री सबरवाल (डीन, जैव सूचना विज्ञान और अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी संस्थान) ने किया। पैनल ने भारत द्वारा अपनी जैव-अर्थव्यवस्था संबंधी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर चर्चा की।
समापन सत्र में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने स्वतंत्र और सहक्रियात्मक प्रौद्योगिकीय विकास के माध्यम से क्षेत्रीय परिवर्तन को आगे बढ़ाने पर मुख्य भाषण दिया गया। इस सत्र में श्री उत्पल शाह (सीनियर वाइस प्रेसिडेंट – स्ट्रेटेजी एंड बिजनेस डेवेलपमेंट, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स) और प्रोफेसर एंड्रयू व्हाइट के बीच वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में भारत की स्थिति के बारे में अनौपचारिक चर्चा भी हुई। यह चर्चा प्रोफेसर नवकांत भट (डीन, डिवीजन ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी साइंसेज, आईआईएससी) की अध्यक्षता में संपन्न हुई ।
प्रौद्योगिकी संवाद 2025 में भारत-फ्रांस एआई नीतिगत गोलमेज चर्चा: एआई एक्शन समिट 2025 के लिए रोडमैप का भी आयोजन किया गया। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) में अपर सचिव और इंडिया एआई मिशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अभिषेक सिंह ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए और बेंगलुरु में फ्रांस के महावाणिज्यदूत महामहिम श्री मार्क लैमी ने फ्रांस का प्रतिनिधितत्व करते हुए इस गोलमेज चर्चा की सह-अध्यक्षता की। इस चर्चा में वैश्विक एआई विकास और गवर्नेंस से संबंधित प्रमुख नीतिगत पदों पर ध्यान केंद्रित किया गया, साथ ही भारत और फ्रांस के बीच सहयोग और तालमेल की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई। गोलमेज चर्चा में निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया:
· एकीकृत वैश्विक एआई गवर्नेंस
· एआई प्रौद्योगिकियों और निहितार्थों को समझना
· डिजिटल डिवाइड और मार्केट कॉन्सेंट्रेशन को दूर करना
· कॉमन और ओपन एआई इंफ्रास्ट्रक्चर
· एआई में सांस्कृतिक और भाषाई विविधता
· एआई नवाचार को बनाए रखना और संसाधन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करना
प्रौद्योगिकी संवाद 2025 के दौरान भारत-फ्रांस एआई नीति गोलमेज वार्ता ने 2025 एआई एक्शन समिट की ओर अग्रसर होने वाली चर्चाओं के मंच के रूप में कार्य किया। इस समिट की सह-अध्यक्षता माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतिगत और कूटनीतिक प्रयासों की संभावनाएं तलाशने वाले इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में प्रमुख साझेदार देशों के साथ भारत में विभिन्न विदेशी मिशनों, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रमुख वैश्विक चिंतकों, विभिन्न प्रौद्योगिकियों में उद्योग और शिक्षा जगत के वैचारिक नेतृत्व, उद्योग निकायों, स्टार्ट-अप और सार्वजनिक नीति के विद्वानों की भागीदारी रही।
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