लोकसभा सचिवालय
85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में 5 संकल्प अंगीकृत, संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता, विधायी संस्थाओं में बाधा रहित एवं व्यवस्थित चर्चा, संविधान के 75 वर्ष, संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप सदन संचालन और टेक्नॉलजी व AI के उपयोग पर संकल्प - लोक सभा अध्यक्ष
सभी विधायी संस्थाएं देश में चर्चा, संवाद, सहमति, असहमति के साथ देश को आगे बढ़ाते हुए 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करें - लोक सभा अध्यक्ष
भारत की संसद प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में अग्रणी - लोक सभा अध्यक्ष
भारत की संसद और सभी राज्यों के विधायी निकायों को स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी के साथ संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनानी चाहिए - लोक सभा अध्यक्ष
संसद के प्रशिक्षण संस्थान PRIDE द्वारा सभी लोकतान्त्रिक संस्थाओं के लिए CAPACITY BUILDING और LEGISLATIVE DRAFTING के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित - लोक सभा अध्यक्ष
Posted On:
21 JAN 2025 7:53PM by PIB Delhi
लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि विधानमंडलों में बाधा रहित एवं व्यवस्थित चर्चा तथा श्रेष्ठ संवाद की परंपरा बनाये रखना चाहिए। बैठकों की कम होती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि यह सभी पीठासीन अधिकारियों का प्रयास होना चाहिए कि हमारे सदनों में व्यवधान ना हो, सहमति असहमति के बावजूद हमारे सदन बेहतर वातावरण में व्यापक जनहित में कार्य निष्पादन करें ताकि हम अपने सदनों के माध्यम से अपने संवैधानिक दायित्वों का बेहतर निर्वहन कर जनसेवा एवं सुशासन में बेहतर योगदान दे पाए। पटना में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन के अवसर पर श्री बिरला ने कहा कि सम्मेलन मे संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता, विधायी संस्थाओं में बाधा रहित एवं व्यवस्थित चर्चा, संविधान के 75 वर्ष, संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप सदन संचालन और टेक्नॉलजी व AI के उपयोग पर कुल 5 संकल्प पारित किए गए है।
श्री बिरला ने कहा कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ को उत्सव के रूप में मनाने को लेकर सभी पीठासीन अधिकारियों ने creative ideas दिए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की संसद और सभी राज्यों के विधायी निकायों को स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी के साथ संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनानी चाहिए।
विधि निर्माताओं के लिए उत्कृष्ट रिसर्च सपोर्ट पर जोर देते हुए श्री बिरला ने कहा कि सदस्यों के क्षमता निर्माण और सहायता के लिए विधायी संस्थाओं में उत्कृष्ट रिसर्च और reference विंग होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारी योजना है कि राज्यों की विधान सभाओं/विधान परिषदों के लिए हम लोक सभा में एक RESEARCH POOL स्थापित करें जिससे विधायिकाओं को संसद द्वारा RESEARCH SUPPORT की सुविधा भी उपलब्ध करवायी जा सके।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के विज़न – “ONE NATION ONE LEGISLATIVE PLATFORM” का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि इस दिशा में पिछले वर्ष में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। जहां संसद की DEBATES को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में TRANSLATE कर ONLINE उपलब्ध करवाया जा रहा है, वहीं राज्यों की विधायिकाओं द्वारा भी अपनी वर्तमान व पूर्व की DEBATES के DIGITIZATION के कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की गयी है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2025 में हम माननीय प्रधानमंत्री जी के विज़न के अनुसार भारत के नागरिकों को एक ऐसा अद्वितीय PLATFORM उपलब्ध करवा पाएंगे जहां वे KEY WORD, META DATA व AI EMPOWERED SEARCH के माध्यम से किसी भी विषय पर न केवल संसद की DEBATES अपितु विधायिकाओं में होने वाली DEBATES को भी ACCESS कर पाएंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की संसद प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में दुनिया मे अग्रणी है।
उन्होंने बताया कि भारत की संसद में 22 आधिकारिक भाषाओं में से दस में एक साथ अनुवाद किया जा रहा है और जल्द ही यह सुविधा सभी बाईस भाषाओं में सदस्यों के लिए उपलब्ध होगी। यह भी बताते हुए कि भारत की संसद में सदस्यों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से सभी प्रकार के संसदीय कागजात दस क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराए जा रहे हैं, श्री बिरला ने खुशी व्यक्त की कि भारत दुनिया का एकमात्र लोकतंत्र है जिसमें हम सभी बहसों का अनुवाद करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों को विनम्रतापूर्वक सूचित किया कि भारत की संसद उनकी दक्षता, प्रभाव और उत्पादकता में सुधार के लिए राज्य विधानमंडलों के साथ तकनीकी ज्ञान साझा करेगी।
श्री बिरला ने आगे कहा कि यह पीठासीन अधिकारियों का संकल्प है कि भारत की संसद, राज्यों की विधायिकाएं, पंचायती राज संस्थाएं, नगरीय निकाय, सहकारी संस्थाएं व समस्त लोकतान्त्रिक संस्थाओं के सशक्तीकरण के लिए हम निरंतर कार्य करते रहें। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतान्त्रिक संस्थाएं जितनीं सशक्त होंगी - उतना ही राष्ट्र के विकास एवं जनकल्याण में भारत के नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो पाएगी।
श्री बिरला ने कहा कि ये हमारा संकल्प होना चाहिए कि ये विधायी संस्थाएं देश में चर्चा, संवाद, सहमति, असहमति के साथ देश को आगे बढ़ाते हुए 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करें।
सम्पूर्ण विश्व में विधि निर्माताओं और संसदीय अधिकारियों के प्रशिक्षण में लोक सभा सचिवालय की PRIDE संस्था की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि PRIDE के माध्यम से हम 100 से अधिक विभिन्न राष्ट्रों की संसदों एवं लगभग सभी राज्य विधायिकाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। हमने 25 राज्य विधायिकाओं के लिए Legislative Drafting पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं। श्री बिरला ने बताया कि अब हम PRIDE के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं , नगरीय निकाय, सहकारी संस्थाओं व समस्त लोकतान्त्रिक संस्थाओं के लिए CAPACITY BUILDING और LEGISLATIVE DRAFTING के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
विधानमंडलों में समिति व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने पर जोर देते हुए श्री बिरला ने उल्लेख किया कि हमने भारत की संसद में संसदीय समितियों की कार्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए सार्थक पहल की है। देश के विभिन्न राज्यों की विधायिकाओं में PUBLIC ACCOUNTS COMMITTEE, ESTIMATE COMMITTEE व अन्य समितियां कार्यरत हैं। उन्होंने आगे बताया कि इस वर्ष AIPOC के बैनर के तहत सभी राज्य विधायिकाओं की समितियों के लिए भी TRAINING व CAPACITY BUILDING के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे ।
श्री बिरला ने बताया कि 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में सभी पीठासीन अधिकारियों ने व्यापक विचार विमर्श कर 5 महत्वपूर्ण संकल्प लिए हैं:
• संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धांजलि
• संविधान में निहित मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप सदन का संचालन करने का संकल्प।
• विधायी संस्थाओं में बाधा रहित एवं व्यवस्थित चर्चा श्रेष्ठ संवाद का संकल्प
• संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर वर्ष भर अभियान व कार्यक्रम चलाने का संकल्प
• टेक्नॉलजी व AI के उपयोग से प्रभावी सेवाएं सुनिश्चित करने का संकल्प
पीठासीन अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी और उनके बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सराहना करते हुए श्री बिरला ने कहा कि पटना में 85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) पीठासीन अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों को और अधिक प्रभावी ढंग से निर्वहन करने में मार्गदर्शन करने में निर्णायक होगा तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करेगा। श्री बिरला ने कहा कि सम्मेलन में सूचनाओं और अनुभवों को साझा करने से पीठासीन अधिकारियों को अपने-अपने सदनों में नवाचारों के लिए प्रेरणा मिलेगी जिससे शासन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
दो दिवसीय सम्मेलन का एजेंडा था: ‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ: संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधान निकायों का योगदान’।
इस अवसर पर, श्री बिरला ने बिहार विधानमंडल परिसर में नेवा सेवा केंद्र (NeVA – National e-Vidhan Application) का उद्घाटन भी किया।
85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (एआईपीओसी) के अवसर पर, संसद संग्रहालय और अभिलेखागार, लोकसभा सचिवालय द्वारा भारत में लोकतंत्र की गौरवशाली यात्रा पर एक प्रदर्शनी लगाई गई।
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