विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मुंबई में भारत के अपने तरह के पहले सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण किया


सीएसआईआर और आईआईटी बॉम्बे, आईक्रिएट, एनआरडीसी जैसे 6 प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच 6 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए

सीएसआईआर संस्थानों से स्टार्टअप, एमएसएमई और संस्थानों को 50 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किए गए

सीएसआईआर-आईसी भारत में अन्य सभी सुविधाओं के साथ कॉर्पोरेट हब के रूप में कार्य करेगा: सीएसआईआर महानिदेशक

Posted On: 17 JAN 2025 7:58PM by PIB Delhi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज मुंबई में वर्चुअल माध्यम से भारत के अपनी तरह के पहले सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण किया।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन का श्रेय दिया, जिससे भारत स्टार्ट-अप और इनोवेशन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में सक्षम हुआ। उन्होंने कहा कि इस कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन एक और ऐतिहासिक कदम है।


डॉ. सिंह ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि हमारे पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं जो भारत की उद्यमशीलता की भावना के प्रमाण हैं।

उन्होंने कहा, "यह उल्लेखनीय वृद्धि युवाओं को सशक्त बनाने और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई परिवर्तनकारी पहलों और नीतियों का प्रतिबिंब है।"


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने सीएसआईआर की सराहना करते हुए कहा कि यह अपने नवीन अनुसंधान, औद्योगिक एवं सामाजिक भागीदारी, उद्यमिता, क्षमता निर्माण और नीति निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करके देश की वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

नवाचार, उद्योग सहयोग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर और आईआईटी बॉम्बे, आईक्रिएट, एनआरडीसी जैसे 6 प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। स्टार्टअप्स को मजबूत करें सीएसआईआर संस्थानों से स्टार्टअप्स, एमएसएमई और संस्थानों को 50 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हुए।

डॉ. सिंह ने कहा कि सीएसआईआर-आईसी मुंबई एक अत्याधुनिक नवाचार-सह-इन्क्यूबेशन सुविधा है, जिसमें उच्च स्तरीय वैज्ञानिक अवसंरचना और विशेषज्ञता है, जिसे स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के लिए महत्वपूर्ण ट्रांसलेशनल संबंधी अपूर्ण आवश्यकताओं (प्रयोगशाला से नियामक और नियामक से उद्योग डोमेन) को बढ़ावा देने और तेजी से तकनीक हस्तांतरण को उत्प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नवोन्मेषी स्टार्ट-अप्स, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी करने वाली कंपनियों, एमएसएमई, भारत और विदेश की डीप-टेक कंपनियों, सार्वजनिक-वित्तपोषित अनुसंधान संस्थानों और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को तैयार विश्व स्तरीय इनक्यूबेशन प्रयोगशालाएं और आईपी/व्यवसाय विकास सहायता हमारी नवाचार क्षमता को और मजबूत करेगी।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईसी-मुंबई का उपयोग सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के व्यवसाय विकास और तकनीक हस्तांतरण गतिविधियों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा, जिससे मुंबई द्वारा प्रदान किए जाने वाले अद्वितीय अवसरों का लाभ उठाया जा सकेगा। यह सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के भीतर संचालित अन्य इनक्यूबेटरों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा।

नौ मंजिलों में फैले आईसी मुंबई में 24 "रेडी टू मूव " इनक्यूबेशन प्रयोगशालाएं और नवीन स्टार्ट-अप, एमएसएमई और उद्योग और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के लिए सुसज्जित कार्यालय/ नेटवर्किंग स्थान है।

 


उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की सुविधाएं सहयोग, नवाचार और समावेशिता की भावना को मूर्त रूप देती हैं जो राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारे दृष्टिकोण को परिभाषित करती हैं।

डॉ. एन कलैसेल्वी ने बताया कि न केवल भारत में बल्कि सीएसआईआर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 4 देशों जर्मनी, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड आदि के साथ सहयोग कर रहा है।

उन्होंने इसे दशक के सपने को हकीकत में बदलना बताया। अपने पूर्ववर्तियों को इसका श्रेय दिया। उन्होंने पर्पल क्रांति को स्वदेशी तकनीकों के प्रति समर्पण को दर्शाते हुए एक नई क्रांति बताया।

डॉ. कलईसेलवी ने बताया कि हर साल सीएसआईआर द्वारा 10-15 तकनीकें विकसित की जाती हैं, जिन्हें विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 5 राष्ट्रीय राजमार्ग सीएसआईआर द्वारा विकसित स्टील स्लैग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

भारत की स्वदेशीकरण प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारत के स्वदेशी पैरासिटामोल के विकास को याद किया। एक और विकास शून्य तरल निर्वहन संयंत्र है जो भारत में अपनी तरह का पहला है। उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर’ और ‘आत्मनिर्भरता’ पर जोर दिया।


नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने महामारी के दौरान सीएसआईआर टीम के अथक प्रयासों को याद किया। उन्होंने उन्हें कोविड योद्धा बताया। उन्होंने सीएसआईआर का उल्लेख करते हुए कहा कि सीआरआईएसपीआर डायग्नोस्टिक टेस्ट विकसित करने में वह दुनिया में पहले स्थान पर है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का विकास कर उसे देश के हर कोने में भेजा गया है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने उद्योग जगत को नवाचार के लिए बुलाने के बजाय नवाचार को उद्योग जगत तक ले जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हम हर चीज को लागत प्रभावी तरीके से विकसित करते हैं और हमें इसका लाभ उठाना चाहिए।

इस परिसर को हकीकत में बदलने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. राम विश्वकर्मा ने बताया कि परिसर में 500 वर्ग फीट की 24 प्रयोगशालाएं हैं। स्टार्टअप के लिए 24 कार्यालय-स्थान और 6 सम्मेलन कक्ष और लाउंज हैं।

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एमजी/केसी/वीएस


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