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राष्ट्रपति ने वीडियो संदेश द्वारा पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र आईसीएआर अनुसंधान परिसर के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया

Posted On: 09 JAN 2025 9:26PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (9 जनवरी, 2025) वीडियो संदेश द्वारा मेघालय के उमियम स्थित पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र आईसीएआर अनुसंधान परिसर के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया।

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि प्रकृति प्रदत अनेक लाभ के बावजूद पूर्वोत्तर क्षेत्र को कृषि क्षेत्र में अनूठी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि इस क्षेत्र की लगभग 70 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार कृषि है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उमियम स्थित केंद्र ने पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र के कृषि-जलवायु अनुकूल सौ से अधिक फसलों की किस्में विकसित की हैं। इस केंद्र ने सूअर की नस्लों, कुक्कुट की किस्में और हल्दी की विभिन्न प्रजाति विकसित करने में भी मदद की है। उच्च उपज और जलावायु अनुकूल धान, मक्का और बागवानी फसलों की किस्में प्रस्तुत कर संस्थान ने खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका बढ़ाने में मदद की है। पिछले दस वर्षों में क्षेत्र में खाद्यान्न और बागवानी उत्पाद क्रमशः 30 प्रतिशत और 40 प्रतिशत बढ़ा है। इसके अतिरिक्त बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन जैसे कृषि-संबद्ध क्षेत्रों में उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करने से आजीविका का सृजन हुआ है और युवाओं को कृषि कार्यों में शामिल रखने में मदद मिली है। पिछले पांच वर्ष में पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि उद्यमियों की संख्या 25 प्रतिशत बढ़ी है। इनमें फूलों की खेती, जैविक कृषि और स्थानीय उपज संवर्धन शामिल हैं जिसे कई युवा-संचालित कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के मूल निवासियों की वासभूमि कृषि और सीढ़ीनुमा खेती जैसे संवहनीय और पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन प्राकृतिक और जैविक कृषि की लागत कम होती है और इनमें जलवायु परिवर्तन अनुरूप ढलने की क्षमता होती है। ये कृषि पद्धतियां पूरी दुनिया में आधुनिक कृषि के उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। राष्ट्रपति ने कृषि वैज्ञानिकों से पूर्वोत्तर क्षेत्र की अनूठी फसलों, पशुधन और जैव विविधता से जुड़े स्वदेशी और पारंपरिक ज्ञान को दस्तावेजी रूप देने और उनके मान्यकरण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आनुवंशिक संसाधनों जैसे बीज, ऊतक और डीएनए अनुक्रमों को संदर्भित करने वाले जर्मप्लाज्म संसाधनों का संरक्षण क्षेत्र की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखने और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए काफी अहम है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैव विविधता और स्वदेशी ज्ञान की समृद्ध विरासत के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। उमियम स्थित आईसीएआर अनुसंधान परिसर स्थानीय ज्ञान को आधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ सम्बद्ध करने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के कृषि और संबंद्ध क्षेत्रों के उत्तम प्रचलन देश के अन्य पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों में भी अपनाए जा सकते हैं। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से इसका लाभ उठाने और प्रौद्योगिकी-संचालित, पारिस्थितिकी-आधारित कृषि पुनरुत्थान के लिए आपस में सहयोग का आह्वान किया।

राष्ट्रपति ने पूर्वोत्तर पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आईसीएआर अनुसंधान परिसर की 50 वर्षों की अद्वितीय सेवा और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह चुनौतियों को अवसरों में बदलने और पूर्वोत्तरवासियों को सशक्त बनाने में सहायक रहा है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई प्रगति नवाचार और सहयोग के लिए प्रेरित करेगी, जिससे इस क्षेत्र में कृषि के लिए उन्नत भविष्य सुनिश्चित होगा।

राष्ट्रपति का आज मेघालय के उमियम स्थित पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र आईसीएआर अनुसंधान परिसर के दौरे पर जाने का कार्यक्रम था पर खराब मौसम के कारण यह रद्द हो गया।

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