कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उपलब्धियों की संक्षिप्त जानकारी


बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि- 2024-25 के दौरान 122528.77 करोड़ रुपये की राशि

पीएम-किसान-पीएम-किसान के माध्यम से किसानों को आय सहायता

2023-24 में धान (सामान्य) के लिए एमएसपी ₹2,300 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जबकि गेहूं के लिए एमएसपी बढ़ाकर ₹2,425 प्रति क्विंटल कर दिया गया है

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत ₹1.70 लाख करोड़ से अधिक दावों का भुगतान किया गया है और

कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण- कृषि में जमीनी स्तर पर ऋण वितरण में 349 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में ₹7.30 लाख करोड़ से बढ़कर 2021-22 में ₹1,425 हो गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में ₹25.48 लाख करोड़

डिजिटल कृषि मिशन, 02.09.2024 को ₹2,817 करोड़ के बजट के साथ स्वीकृत

23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 1410 मंडियों को ई-नाम के साथ एकीकृत किया गया

खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन - तिलहन (एनएमईओ-तिलहन) का उद्देश्य घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। 10,103 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ यह 2024

Posted On: 07 JAN 2025 8:23PM by PIB Delhi

कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय फसल विविधीकरण और गुणात्मक इनपुट तथा कृषि संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के संदर्भ में उत्पादन पहलुओं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्षमता निर्माण के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए कई पहल करने के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों के कल्याण के लिए डीएएंडएफडब्ल्यू की प्रमुख उपलब्धियां संक्षेप में दी गई हैं:

  1. बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि- 2024-25 के दौरान किसानों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर्गत 122528.77 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
  2. रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन- तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2023-24 के लिए खाद्यान्न उत्पादन 332.30 मिलियन टन दर्ज किया गया है, जबकि बागवानी उत्पादन 352.23 मिलियन टन है।
  3. पीएम-किसान के माध्यम से किसानों को आय सहायता- पीएम-किसान एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे 24 फरवरी 2019 को भूमिधारक किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरू किया गया। योजना के अंतर्गत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण -डीबीटी के माध्यम से देश भर के किसानों के परिवारों के बैंक खातों में हर चार महीने में तीन बराबर किस्तों में 6,000 रूपये प्रति वर्ष हस्तांतरित किए जाते हैं। यह योजना तकनीकी और प्रक्रिया प्रगति का लाभ उठाती है ताकि अधिकतम लाभार्थी बिना किसी परेशानी के लाभान्वित हो सकें। पीएम-किसान दुनिया की सबसे बड़ी डीबीटी योजनाओं में से एक है। 18 किस्तों के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक पीएम किसान लाभार्थी किसानों को कुल 3.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है।
  4. कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ)- ₹1 लाख करोड़ के आवंटन के साथ शुरू किया गया।  इसका उद्देश्य कटाई के बाद के प्रबंधन और सामुदायिक खेती के बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण प्रदान करना है। यह 7 वर्षों तक के लिए ₹2 करोड़ तक के ऋण पर 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सहायता और सीजीटीएमएसई योजना के माध्यम से ₹2 करोड़ तक के ऋण के लिए ऋण गारंटी कवरेज प्रदान करता है। 2020 में अपनी स्थापना के बाद से, एआईएफ ने 84,159 परियोजनाओं के लिए ₹51,364 करोड़ मंजूर किए हैं। इनमें  गोदाम, प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड स्टोरेज और अन्य कटाई के बाद की सुविधाएं शामिल हैं। 28.08.2024 को सरकार ने सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों को एकीकृत करने, द्वितीयक प्रसंस्करण और पीएम-कुसुम घटक- के साथ अभिसरण सहित एआईएफ के दायरे का विस्तार करने के उपायों को मंजूरी दी। इन पहलों का उद्देश्य कृषि बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, इनपुट लागत को कम करना, उत्पादकता में सुधार करना और कृषि आय में वृद्धि करना है।  जिससे भारत में सतत कृषि विकास का समर्थन हो सके।
  5. एफपीओएस को बढ़ावा- 29 फरवरी 2020 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा शुरू की गई, 10,000 एफपीओ के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना का बजट 2027-28 तक ₹6,865 करोड़ है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय नाबार्ड, एसएफएसी, नेफेड और अन्य सहित 14 एजेंसियों के माध्यम से इसके कार्यान्वयन की देखरेख करता है। आवंटित 10,000 एफपीओ में से 9,180 पंजीकृत हो चुके हैं।
  6. उत्पादन लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करना- सरकार ने 2018-19 से अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी बढ़ा दिया है। 2023-24 में धान (सामान्य) के लिए एमएसपी ₹2,300 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जबकि गेहूं के लिए एमएसपी बढ़ाकर ₹2,425 प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
  7. नमो ड्रोन दीदी योजना- सरकार ने किसानों को उर्वरक और कीटनाशक लगाने जैसी किराये की सेवाएं देने के लिए 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान करने के लिए 1,261 करोड़ रुपये की केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दी है। 2023-24 में, 500 ड्रोन खरीदे गए (स्वयं के संसाधनों से) और लीड फर्टिलाइजर कंपनियों (एलएफसी) द्वारा वितरित किए गए। शेष 14,500 ड्रोन 2024-25 और 2025-26 में प्रदान किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य स्थायी व्यावसायिक अवसर प्रदान करना है, जिसमें एसएचजी को सालाना कम से कम 1 लाख रुपये की कमाई हो।
  8. प्रति बूंद अधिक फसल- 2015-16 में शुरू की गई प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना का उद्देश्य ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता को बढ़ाना है। शुरुआत में पीएमकेएसवाई के अंतर्गत लागू किया गया, यह अब 2022-23 से आरकेवीवाई का हिस्सा है। यह योजना सूक्ष्म सिंचाई स्थापना के लिए छोटे और सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत और अन्य को 45 प्रतिशत की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 2015-16 से 2024-25 (दिसंबर 2024) तक लगभग 95 लाख हेक्टेयर को कवर किया गया है। 2020-21 में नीति आयोग द्वारा किए गए मूल्यांकन में पाया गया कि पीडीएमसी जल उपयोग दक्षता (30 से 70 प्रतिशत) में सुधार, किसानों की आय में वृद्धि (10 से 69 प्रतिशत) और रोजगार के अवसर सृजित करने में प्रभावी है।
  9. कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण- कृषि में जमीनी स्तर पर ऋण वितरण में 349 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में ₹7.30 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में ₹25.48 लाख करोड़ हो गया है। इसमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के ऋण शामिल हैं। उल्लेखनीय रूप से, अल्पकालिक ऋणों में भी 275 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि देखी गई है। यह वित्त वर्ष 2013-14 में ₹5.48 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में ₹15.07 लाख करोड़ हो गया है। यह पिछले एक दशक में कृषि क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता में महत्वपूर्ण विस्तार को दर्शाता है। इसके अलावा इसी अवधि के दौरान किसान क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से अल्पकालिक ऋण निवेश 270 प्रतिशत बढ़कर ₹3.63 लाख करोड़ से ₹9.81 लाख करोड़ हो गया है।
  10. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) - 2016 में शुरू ]पीएमएफबीवाई प्राकृतिक आपदाओं और अप्रत्याशित मौसम की घटनाओं के कारण फसल के नुकसान पर व्यापक कवरेज प्रदान करती है। योजना के अंतर्गत ₹1.70 लाख करोड़ से अधिक के दावों का भुगतान किया गया है। कृषि रक्षक पोर्टल (केआरपीएच) और एक समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन (14447) कुशल शिकायत निवारण के लिए स्थापित की गई है। इससे किसान शिकायतों को ट्रैक कर सकते हैं और एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर समाधान सुनिश्चित कर सकते हैं।
  11. -नाम प्लेटफॉर्म की स्थापना- विभाग ने 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 1410 मंडियों को -नाम के साथ एकीकृत किया है। 31.12.2024 तक 1.78 करोड़ किसान और 2.63 लाख व्यापारी -नाम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। कुल 11.02 करोड़ मीट्रिक टन और 42.89 करोड़ नंबर (बांस, सुपारी, नारियल, नींबू और स्वीट कॉर्न) का सामूहिक रूप से लगभग 4.01 लाख करोड़ रुपये का व्यापार -नाम प्लेटफॉर्म पर दर्ज किया गया है।
  12. डिजिटल कृषि मिशन- केंद्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के विकास की घोषणा की, जिसे 2024-25 के बजट में और बढ़ाया गया। डीपीआई किसानों पर व्यापक डेटा प्रदान करेगा।  इसमें जनसांख्यिकीय विवरण, भूमि जोत और बोई गई फसलें शामिल हैं। यह अभिनव, किसान-केंद्रित सेवाओं के लिए राज्य और केंद्र सरकार के डेटा को एकीकृत करती हैं। 02.09.2024 को ₹2,817 करोड़ के बजट के साथ स्वीकृत डिजिटल कृषि मिशन पहल के मूल में तीन प्रमुख डीपीआईशामिल हैं: एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस ), और मृदा प्रोफ़ाइल मानचित्रण। एग्रीस्टैक 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल आईडी बनाएगा और एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करेगा। डीएसएस  फसलों, मिट्टी, मौसम और पानी पर भू-स्थानिक डेटा को एकीकृत करेगा, जबकि मृदा प्रोफ़ाइल मानचित्र 142 मिलियन हेक्टेयर को कवर करेगा। मिशन में सटीक उपज अनुमानों के लिए डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण भी शामिल है। इस पहल का उद्देश्य 2,50,000 प्रशिक्षित युवाओं और कृषि सखियों के लिए रोजगार सृजित करना तथा एआई और रिमोट सेंसिंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से किसानों को सेवा प्रदान करना है।
  13. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना- 19 फरवरी 2015 को शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम) कार्यक्रम राज्य सरकारों को किसानों को एसएचसी जारी करने में सहायता करते हैं। 2022-23 से, उन्हें आरकेवीवाई के मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता घटक के अंतर्गत मिला दिया गया। 2024-25 की उपलब्धियों में शामिल हैं:
  • 75 लाख मृदा नमूने एकत्र किए गए, 92 लाख के लक्ष्य के मुकाबले 53 लाख एसएचसी बनाए गए।
  • आबंटित 201.85 करोड़ रुपये में से 109.87 करोड़ रुपये जारी किए गए।
  • 1,020 स्कूलों में स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जा रहा है, 1,000 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं और 125,972 छात्रों का नामांकन हुआ है।
  • 31 लाख किसानों को एटीएमए से मृदा स्वास्थ्य सलाह मिली।
  1. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में देश भर में मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू किया है। इस योजना का कुल परिव्यय 2481 करोड़ रुपये है।

  1. आरकेवीवाई के अंतर्गत कृषि वानिकी घटक- आरकेवीवाई के अंतर्गत कृषि वानिकी घटक, जो मूल रूप से 2016-17 से 2021-22 तक कृषि वानिकी पर उप-मिशन (एसएमएएफ) का हिस्सा है।  यह अतिरिक्त किसान आय के लिए खेत पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करता है। इस अवधि में 1.21 लाख हेक्टेयर में 532.298 लाख पेड़ लगाए गए और 899 नर्सरी स्थापित की गईं।  इससे लगभग 1.86 लाख किसान लाभान्वित हुए। गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री प्रदान करने और विभिन्न हितधारकों द्वारा नर्सरी की स्थापना का समर्थन करने के लिए 2023-24 में योजना का पुनर्गठन किया गया। 2023-24 में, 162 नई कृषि वानिकी नर्सरियों के लिए ₹58.10 करोड़ जारी किए गए और 470 मौजूदा नर्सरियों ने पौधे उगाना शुरू कर दिया। 2024-25 में 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 33.24 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिसमें दिसंबर 2023 में नर्सरियों के लिए मान्यता प्रोटोकॉल विकसित किए गए। अब तक 133 नर्सरियों को मान्यता दी जा चुकी है।
  2. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम)-आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) का उद्देश्य वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना और 'मीठी क्रांति' हासिल करना है। 2020-23 के लिए 500 करोड़ रुपये के बजट के साथ, इस योजना को 370 करोड़ रुपये शेष रहते हुए 2025 तक बढ़ा दिया गया था। यह एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (आईबीडीसी), शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं, मधुमक्खी पालन उपकरण निर्माण इकाइयां और कस्टम हायरिंग केंद्र जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए तीन मिनी मिशनों (एमएम-I, एमएम-II, एमएम-III) पर केंद्रित है। प्रमुख उपलब्धियों में 8 क्षेत्रीय शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं, 33 शहद प्रसंस्करण इकाइयां, 1305 हेक्टेयर प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, 385 हेक्टेयर मधुमक्खी-अनुकूल वृक्षारोपण शामिल हैं।
  3. बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) - 2014-15 से 2024-25 तक, एमआईडीएच के अंतर्गत एनएचएम/एचएमएनईएच योजना ने महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है: 13.96 लाख हेक्टेयर बागवानी फसलों का विस्तार किया गया, 908 नर्सरियां स्थापित की गईं, 1.52 लाख हेक्टेयर पुराने बागों का कायाकल्प किया गया और 52,459 हेक्टेयर जैविक खेती के अंतर्गत कवर किया गया। इसके अतिरिक्त, 3.08 लाख हेक्टेयर संरक्षित खेती के अंतर्गत कवर किए गए, 55,347 जल-संचयन संरचनाएं बनाई गईं और 16.45 लाख मधुमक्खी कालोनियों का वितरण किया गया। इसके अलावा, 9.77 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया। योजना में हाल के बदलावों में राष्ट्रव्यापी कवरेज, मखाना और औषधीय फसलों को शामिल करना, और एफआरए पट्टा भूमि और लाख कीट मेजबान पौधों के बागानों वाले आदिवासी परिवारों को लाभ प्रदान करना शामिल है।
  4. खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन - तिलहन (एनएमईओ-तिलहन)- खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन - तिलहन (एनएमईओ-तिलहन) का उद्देश्य घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। 10,103 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ, यह 2024-25 से 2030-31 तक चलेगा। मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन करना है।   इस पहल से उच्च उपज देने वाली बीज किस्मों, चावल की परती खेती और अंतर-फसल को बढ़ावा मिलेगा, जिसका लक्ष्य 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल की 72 प्रतिशत ज़रूरतों को पूरा करना है।
  5. कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) योजना: 2014-15 में शुरू की गई कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) कृषि मशीनरी खरीदने और कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी), हाई-टेक हब और फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

उपलब्धियाँ (2014-15 से 2024-25, नवंबर 2024 तक):

  • राज्यों में 8,565 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
  • ट्रैक्टर और पावर टिलर सहित 1,909,809 कृषि मशीनें वितरित की गईं।
  • 26,637 सीएचसी, 609 हाई-टेक हब और 24,176 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए।
  • किसान ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए 141.39 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिसमें आईसीएआर को 296 ड्रोन खरीदने के लिए 52.5 करोड़ रुपये शामिल हैं।
  • किसानों को 527 ड्रोन दिए गए और 1,595 ड्रोन सीएचसी स्थापित किए गए।
  • आईसीएआर ने 287 कर्मियों को ड्रोन पायलट के रूप में प्रशिक्षित किया है।
  • 30,234.7 हेक्टेयर क्षेत्र में 27,099 ड्रोन प्रदर्शन किए गए, जिससे 351,856 किसान लाभान्वित हुए।
  1. 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना (नवंबर, 2024 तक): 2018-19 में शुरू की गई फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना, वायु प्रदूषण को दूर करने और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी पर सब्सिडी देने में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली की सहायता करती है।

उपलब्धियाँ:

  • पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और आईसीएआर को 4,391.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
  • 319,103 इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें वितरित की गईं।
  • 40,996 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए।
  • 2023 की तुलना में 2024 के मौसम में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने की घटनाओं में 57 प्रतिशत की कमी आई है।
  1. जलवायु लचीली किस्में- बाढ़/जल डूब/जल भराव सहनशीलता, सूखा/नमी तनाव/जल तनाव सहनशीलता, लवणता/क्षारीयता/सोडियम मिट्टी सहनशीलता, ताप तनाव/उच्च तापमान सहनशीलता, ठंड/ठंढ/सर्दियों में ठंड सहनशीलता सहित चरम जलवायु के लिए विशेष रूप से अनाज, तिलहन, दलहन, चारा फसलों, फाइबर फसलों और शर्करा फसलों की जलवायु लचीली फसल किस्मों को सटीक फेनोटाइपिंग उपकरणों का उपयोग करके विकसित किया गया है। आईसीएआर ने हाल ही में 109 जलवायु लचीली किस्में जारी की हैं जो किसानों को कृषि जलवायु परिस्थितियों के आधार पर इसे अपनाने में मदद करेंगी।

22. विस्तार सुधार (एटीएमए) योजना

एटीएमए, एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्तमान में देश के 28 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के 739 जिलों में लागू किया जा रहा है। यह योजना देश में विकेंद्रीकृत और किसान-अनुकूल विस्तार प्रणाली को बढ़ावा देती है। योजना का उद्देश्य राज्य सरकार के प्रयासों का समर्थन करना और विभिन्न विस्तार गतिविधियों जैसे किसान प्रशिक्षण, प्रदर्शन, एक्सपोजर दौरे, किसान मेला, किसान समूहों को संगठित करना और फार्म स्कूल आदि के माध्यम से किसानों को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में नवीनतम कृषि तकनीक और अच्छी कृषि पद्धतियाँ उपलब्ध कराना है।

सरकार के सभी प्रयास और पहल कृषक समुदाय को अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैं।

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