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यार्ड 12707 (सूरत) और यार्ड 12651 (नीलगिरी) भारतीय नौसेना को सौंपे गए

Posted On: 20 DEC 2024 9:01PM by PIB Delhi

देश की आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक ऐतिहासिक मील के पत्थर स्थापित करते हुए दो युद्धपोत, पहला डिस्ट्रॉयर (सूरत) और दूसरा फ्रिगेट (नीलगिरि) 20 दिसंबर, 2024 को भारतीय नौसेना को सौंप दिए गए। इन दोनों जहाजों का डिजाइन भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो और निर्माण मेसर्स एमडीएल द्वारा स्वदेशी रूप से किया गया है। यह भारत सरकार और भारतीय नौसेना द्वारा आत्मनिर्भरता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण पर दिए गए जोर के अनुरूप ही है। दो अत्याधुनिक युद्धपोतों के एक साथ भारतीय नौसेना में शामिल होने से इसकी परिचालन क्षमता और युद्ध तत्परता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

यार्ड 12707 (सूरत) प्रोजेक्ट 15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और अंतिम पोत है, जो पिछले तीन वर्षों में शामिल किए गए अपने पूर्ववर्ती भारतीय नौसैन्य जहाजों विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ तथा इम्फाल के बाद आया है। यार्ड 12707 सूरत को भारतीय नौसेना को सौंपा जाना, उस प्रतिष्ठित स्वदेशी विध्वंसक निर्माण परियोजना का समापन है, जो प्रोजेक्ट 15 (तीन दिल्ली श्रेणी, 1997-2001) के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद प्रोजेक्ट 15ए (तीन कोलकाता श्रेणी, 2014-2016) और प्रोजेक्ट 15बी (चार विशाखापत्तनम श्रेणी, 2021-2024) आते हैं। यार्ड 12707 (सूरत) 7,400 टन भार विस्थापित करने वाला और 164 मीटर की कुल लंबाई का एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक होने के कारण एक शक्तिशाली एवं बहुमुखी युद्धपोत है, जो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज-रोधी मिसाइलों तथा टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों व सेंसरों से सुसज्जित है। यह पोत चार गैस टर्बाइनों वाले कम्बाइन्ड गैस एंड गैस (सीओजीएजी) प्रोपल्शन सेट द्वारा संचालित होता है और इसने अपने समुद्री परीक्षणों के दौरान 30 नॉट्स (56 किलोमीटर/घंटा) से अधिक की गति हासिल की है। यह स्वदेशी रूप से विकसित एआई समाधानों का उपयोग करने वाला भारतीय नौसेना का पहला एआई सक्षम युद्धपोत भी होगा, जो इसकी परिचालन क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा।

यार्ड 12651 (नीलगिरि) प्रोजेक्ट 17ए स्टील्थ फ्रिगेट का पहला जहाज है, जो सेवा में सक्रिय शिवालिक श्रेणी (प्रोजेक्ट 17) फ्रिगेट का अनुवर्ती है। नीलगिरि एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता द्वारा निर्माणाधीन सात पी17ए फ्रिगेट्स में से पहला है। ये बहु-उद्देश्यीय युद्धपोत भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों से निपटने के लिए ‘गहरे समुद्री’ वातावरण में कार्य करने में सक्षम हैं। नवीनतम तकनीक से तैयार हो रहे इन जहाजों का निर्माण भी ‘एकीकृत निर्माण’ दर्शन का उपयोग करके किया गया है, जिसमें समग्र निर्माण अवधि को कम करने के लिए ब्लॉक चरणों में व्यापक प्री-आउटफिटिंग शामिल है। जहाज दो संयुक्त रूप से डीजल या गैस (सीओडीओजी) मेन प्रोपल्शन प्लांट्स द्वारा संचालित होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में डीजल इंजन और गैस टरबाइन होता है, जो एक कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर (सीपीपी) को चलाता है। इन पोतों में अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (आईपीएमएस) भी है। जहाज सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी उन्नत तोप और तीव्र गति से मार करने वाली नजदीकी हथियार प्रणालियों के संयोजन से सुसज्जित हैं।

इन युद्धपोतों का सौंपा जाना देश की डिजाइन, जहाज निर्माण, इंजीनियरिंग कौशल और औद्योगिक कुशलता को प्रदर्शित करता है। यह डिलीवरी जहाज डिजाइन और पोत निर्माण यानी कि दोनों ही क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता पर भारतीय नौसेना के निरंतर ध्यान दिए जाने की भी पुष्ट करती है। आत्मनिर्भरता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण पर वर्तमान जोर को ध्यान में रखते हुए इन जहाजों में 75% स्वदेशी सामग्री इस्तेमाल की गई है और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (प्रत्येक शिपयार्ड में 200 से अधिक) सहित असंख्य स्वदेशी फर्मों को ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। इन परियोजनाओं से देश में आत्मनिर्भरता, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों और सहायक इकोसिस्टम की वृद्धि को बढ़ावा मिला है।

इन युद्धपोतों में कई प्रमुख हथियार और सेंसर लगे हैं, जो स्वदेशी मूल उपकरण निर्माताओं जैसे मेसर्स बीएपीएल, एलएंडटी, एमटीपीएफ, मेसर्स बीईएल, बीएचईएल तथा महिंद्रा आदि से प्राप्त किए गए हैं।

सूरत के निर्माण कार्य की आधारशिला 07 नवम्बर, 2019 को रखी गई और इसे 17 मई, 2022 को इसे लांच किया गया। यह जहाज लॉन्च से लेकर डिलीवरी तक 31 महीनों में भारतीय नौसेना को सौंपा गया है, जिससे यह अब तक का सबसे तेजी से सेवा में आने वाला स्वदेशी विध्वंसक जहाज बन गया है। इस युद्धपोत ने 15 जून, 2024 को अपने कॉन्ट्रैक्टर समुद्री परीक्षण शुरू किए थे और 25 नवंबर, 2024 को अपने अंतिम मशीनरी परीक्षण पूरे किए, जो कि केवल छह महीने के अभूतपूर्व रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ था।

नीलगिरि के निर्माण कार्य की आधारशिला 28 दिसंबर, 2017 को रखी गई और जहाज को 28 सितंबर, 2019 को समुद्र में उतारा गया। यह जहाज 24 अगस्त को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ था और तब से बंदरगाह तथा समुद्र में इसके व्यापक परीक्षण हुए हैं, जिसके बाद अब इसे यहां पहुंचाया गया है।

इस श्रेणी के शेष छह जहाज एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इन युद्धपोतों के 2025 और 2026 में भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।

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